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60 प्रतिशत से अधिक बलात्कारियों को सजा नहीं मिल पाती भारत में : अमित शाह

नयी दिल्ली, 9 अप्रैल (उहि ) । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमितशाह ने आज राज्य सभा में दंड प्रक्रिया (शनाख्त)विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब दिया।अमित शाह ने कहा कि इस बिल का प्रमुख उद्देश्य है देश में अदालतों में जाने वाले मामलों में दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाना है। साथ ही इस बिल का उद्देश्य पुलिस और फॉरेंसिक टीम की कैपेसिटी बिल्डिंग करना, थर्ड डिग्री का कम से कम इस्तेमाल करके दोष सिद्धि के लिए प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसी को साइंटिफ़िक एवीडेंस उपलब्ध कराना और डेटा को सुरक्षित प्लेटफार्म पर रखकर उसे निश्चित प्रक्रिया के तहत साझा कर किसी भी नागरिक की प्राइवेसी को रिस्क में न डालते हुए एक व्यवस्था तंत्र बनाना है।

गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष के एक भी सदस्य ने ये नहीं कहा कि दोष सिद्धि का प्रमाण कम है और उसे बढ़ाना चाहिए। उन्होने पूछा कि हम किस प्रकार का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम चाहते हैं? दोष सिद्धि का हमारा प्रतिशत क्या है? हत्या में सिर्फ़ 44.1 प्रतिशत लोगों को हम सज़ा दिला पाते हैं, बलात्कार में 39.3 प्रतिशत, चोरी में 38.4 प्रतिशत, डकैती में 29.4 प्रतिशत और बाल अपराध में 37.9 प्रतिशत लोगों को सज़ा करा पाते हैं। उन्होने कहा कि हमारा क़ानून शक्ति के हिसाब में बच्चा है जबकि दूसरे देशों में इससे कहीं अधिक कठोर क़ानून बने हैं। इंग्लैंड में दोष सिद्धि 84.3% है, कनाडा में 64.2%, साउथ अफ्रीका 82.5% ऑस्ट्रेलिया 97% और अमरीका में 93.5% है, क्योंकि वहां प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसी को साइंटिफ़िक एवीडेंस का आधार मिला हुआ है।

अमित शाह ने कहा कि बहुत सारे एनालिसिस में सजा न हो पाने के जो कारण निकाले गए हैं उनके अनुसार सबूतों की कमी के आधार पर हर साल 7.5 लाख केस बंद कर दिए जाते हैं,15 लाख केस न्याय की अपेक्षा में पुख्ता सबूतों के अभाव में पेंडिंग हैं। उन्होने कहा कि सरकार इन्वेस्टिगेशन को थर्ड डिग्री से बदलकर टेकनीक के आधार पर करना चाहते हैं, इसीलिए ये बिल लाया गया है। उन्होने कहा कि वे सदस्यों को स्पष्ट बताना चाहता हूं कि इसकी व्याख्या में नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ़ टेस्ट नहीं आता।

गृह मंत्री ने कहा कि हमें नेक्स्ट जनरेशन क्राइम के बारे में सोचते हुए अभी से उसे रोकने का प्रयास करना पड़ेगा,क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को नए युग में ले जाने का प्रयास करना होगा क्योंकि हम पुरानी तकनीकों से नेक्स्ट जनरेशन क्राइम को टैकल नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि ये कानून प्रवर्तक ऐजेंसियों को सशक्त करने का प्रयास है। इसके लिए बहुत सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं,इसलिए इस विधेयक को आइसोलेशन में मत देखिए,यह बिल इन सभी इनीशिएटिव में से एक है जिसे एक हॉलिस्टिक व्यू से देखने की जरूरत है।

अमित शाह ने कहा कि जब हम सीआरपीसी,आईपीसी और एविडेंस एक्ट में सुधार लाएंगे तो उसे स्टैंडिंग  कमेटी या गृह मंत्रालय की कंसलटेटिव कमेटी में अवश्य भेजेंगे,हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होने कहा कि सरकार ने डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन का एक प्रस्ताव भी राज्य को दिया है,साथ ही ई गवर्नेंस के लिए बहुत सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। सीसीटीएनएस (CCTNS) व्यवस्था लेकर आए हैं और जनवरी 2022 तक 16390 यानी शत् प्रतिशत पुलिस स्टेशन में सीसीटीएनएस लागू कर दिया गया है और 99% पुलिस स्टेशन में FIR का रजिस्ट्रेशन सीसीटीएनएस के आधार पर होता है। देशभर में CCTNS साफ्टवेयर में 7 करोड़ से अधिक FIR उपलब्ध हैं और CCTNS National Database में लगभग 28 करोड़ पुलिस रिकार्ड हैं जो खोज और संदर्भ के लिए राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों और केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिए उपलब्ध हैं।देश में 751 अभियोजन जिलों में ई अभियोजन यानी ई प्रॉसीक्यूशन लागू हो चुका है, ई-प्रिज़न को 1259 अलग-अलग जेलों में लागू कर दिया गया है और ई-फॉरेंसिक एप्लीकेशन को 117 फॉरेंसिक लैब ने लागू कर दिया है। इन सभी ई-प्रयासों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के लिए इंटर-ऑपरेटेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) लाए हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि Investigation Tracking System for Sexual Offences (ITSSO) का एक online analytical tool शुरू किया गया है और “यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस”(NDSO) आरंभ किया है जिसमें देश के लगभग 12 लाख से अधिक यौन अपराधियों का डाटा है,इस सब में कहीं से भी अभी तक कोई लिकेज नहीं हुआ है। गृह मंत्री ने कहा कि Cri-MAC (Crime Multi Agency Center) लागू किया गया है और 60 हजार लोगों ने इसका इस्तेमाल किया है, इससे 24,000 से ज्यादा अलर्ट देश के अलगअलग हिस्सों में भेजे गए हैं और उसमें से कई अपराधी पकड़ लिए गए हैं। लापता व्यक्ति की खोज के लिए भी सारी एफआईआर का एनालिसिस कर उसका डेटाबेस लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी से साझा किया और 14,000 की तलाशी ली गई,उनमें से 12,000 लोग प्राप्त कर लिए गए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सिर्फ ई इनिशिएटिव पर ही लगभग 2,050 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

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