उत्तराखण्ड की पांचवीं विधानसभा में मुल्जिम घटे मगर करोड़पति और बुजुर्ग बढ़े..8 महिलाएं और 2 अनपढ़ भी

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-जयसिंह रावत
उत्तराखण्ड विधानसभा में इस बार भले ही करोड़पतियों की संख्या बढ़ रही है, मगर अपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों की संख्या में अवश्य ही कमी आ गयी है। राज्य की विधायिका में इस बार सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस, दानों के 8-8 अपराधिक पृष्ठभूमि के काननू निर्माता होंगे। इस बार भी केवल 50 प्रतिशत विधायक दुबारा चुने गये हैं, जिनकी सम्पत्ति में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है और दो अशिक्षित विजेता भी विधानसभा पहंचे हैं।
एसोशियेशन फॉर डेमाक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा के नवीनतम् चुनाव में विजयी प्रत्याशियों द्वारा दाखिल शपथ पत्रों के आधार पर किये गये विश्लेषण के अनुसार इस बार चुने गये कुल 70 विधायकों में से 19 (27 प्रतिशत) ने अपने ऊपर अपराधिक मामले न्यायालयों में चलने की घोषणा की है, जिनमें से 14 के खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले विचाराधीन हैं। जबकि 2017 के चुनाव में अपराधिक पृष्ठभूमि के कुल 22 (31 प्रतिशत) प्रत्याशी चुने गये थे, जिनमें से 14 के खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले विचाराधीन थे।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार इस बार चुनाव जीतने वाले भाजपा और कांग्रेस के 8-8, बसपा के 2 और निर्दलियों में से दोनों पर अपारिाधिक मामले विचाराधीन हैं। इनमें से भाजपा के 5, कांग्रेस के 4, बसपा के 1 और 2 निर्दलियों पर गंभीर आरोप हैं।
प्रदेश की पांचवीं विधानसभा में इस बार सर्वाधिक 83 प्रतिशत करोड़पति प्रवेश कर रहे हैं। जबकि 2017 में 73 प्रतिशत करोड़पति ही चुनाव जीते थे। इनमें भाजपा के 40, कांग्रेस के 15, बसपा के 2 और निर्दलियों में से एक करोड़पति शामिल हैं। इनमें 5 करोड़ से अधिक सम्पत्ति वाले 33 प्रतिशत, 2 करोड़ से अधिक 30 प्रतिशत, 50 लाख से 2 करोड़ तक सम्पत्ति वाले 27 प्रतिशत, 10 लाख से 50 लाख रु0 तक की सम्पत्ति वाले 9 प्रतिशत और 10 लाख से कम सम्पत्ति वाले 1 प्रतिशत विधायक हैं। इस बार के विधायकों की औसत सम्पत्ति 7.17 करोड़ है जबकि 2017 से 2022 तक के विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.11 करोड़ थी। इस बार भाजपा के विधायकों की औसत संपत्ति 6.52 करोड़ और कांग्रेस विधायकों की औसत सम्पत्ति 6.35 करोड़ है।
रिपोर्ट कहती है कि इस बार के विधायकों में सर्वाधिक अमीर सतपाल महाराज हैं, जिन्होंने अपनी चल अचल सम्पति को 86,34,13,319 रुपये मूल्य की घोषित किया है। दूसरे नम्बर पर खानपुर से जीते निर्दलीय उमेश जे. कुमार हैं, जिन्होंने अपनी चल अचल सम्पत्ति 54,89,16,580 घोषित की है। तीसरे नम्बर पर काशीपुर से चुने गये त्रिलोक सिंह चीमा हैं जिन्होंने अपनी चल और अचल सम्पत्ति 44,15,46,441 घोषित की है। इस बार के विधायकों में त्रिलोक सिंह चीमा ने 9 करोड़, प्रदीप बत्रा और विक्रम सिंह नेगी ने 3-3 करोड़ रुपयों की देनदारी घोषित कर रखी है। इस बार आयकर रिटर्न में खुशाल सिंह अधिकारी ने 2 करोड़, त्रिलोक सिंह चीमा ने 1 करोड़ और सुमित हृदयेश ने अपनी सालाना आय 73 लाख घोषित कर रखी है।
विधायकों लॉ मेकर या विधि निर्माता होते हैं और इसीलिये उन्हें विधायक पुकारा जाता है। इस बार के विधि निर्माता विधायकों में 2 अशिक्षित और 20 आठवीं से लेकर 12वीं तक पढ़े हुये हैं। कुल 70 में से 48 विधायक ही ऐसे हैं जो कि स्नातक या उससे अधिक शिक्षित हैं। इस बार के विधायकों में 16 विधायक 31 से 50 साल और 54 विधायक 51 से लेकर 80 साल की उम्र के हैं। इस बार सर्वाधिक 8 महिलाएं विधानसभा पहुंची हैं जबकि 2017 में जीतने वाली महिलाओं की संख्या मात्र 5 थी।
इस बार पुनः चुने जाने वाले विधायकों की संख्या 35 है जिनकी औसत 7.56 करोड़ है, जबकि 2017 में दुबारा चुने गये विधायकों की औसत सम्पत्ति 4.96 करोड़ और इस बार के दुबारा चुने गये विधायकों की औसत सम्पत्ति 7.56 करोड़ रुपये है। सन् 2017 से लेकर 2022 तक पुनः चुने जाने वाले विधयकों की सम्पत्ति में 2.59 करोड़ या 52 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।

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