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बद्रीनाथ मार्ग पर डेंजर जोन चारधाम यात्रा के लिए बने हुए खतरे के सबब

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-

आगामी यात्रा सीजन के लिए बढ़े पैमाने पर यात्रियों द्वारा पंजीकरण किए जाने पर भले सरकार अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन जिस प्रकार से बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई डेंजर जोन आगामी बरसात में यात्रा में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके चलते क्या यात्री सुरक्षित यात्रा कर पाएंगे इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।

विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट आगामी 12 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाने हैं। इस बार देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण करवाकर सरकार की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं। लोकसभा के प्रथम चरण के मतदान के बाद प्रशासन ने भले ही यात्रा सीजन की तैयारियों के लेकर कमर कस ली हो लेकिन जिस प्रकार से जनपद चमोली के अंतर्गत यात्रा मार्ग पर कई भूस्खलन क्षेत्र यथावत है जो बरसात के सीजन में लंबे समय तक यात्रियों की राह रोक सकते हैं। उनका अभी स्थाई उपचार तक शुरू नहीं किया गया है। इससे यात्रियों की यात्रा सुरक्षित हो पाएगी इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।

इसका जीता जागता उदाहरण जनपद चमोली के प्रवेश द्वार कमेड़ा का जखेड़ भूस्खलन क्षेत्र है जिसने 25 जुलाई 23 को क्षेत्र में हुई पहली बारिश से लगभग 100 मीटर सड़क पर भारी भूस्खलन से जनपद चमोली की लाइफ लाइन को पांच दिनों तक अवरूद्ध कर दिया था। तब प्रशासन ने इस जगह पर राष्ट्रीय राजमार्ग खोलने के लिए अधिकार क्षेत्र से बाहर होने पर भी बी आर ओ के साथ ही निर्माणाधीन रेलवे कंपनियों को झोंक दिया था। तब इस मार्ग को पांच दिन बाद अस्थाई रूप से यातायात के लिए खोला जा सका था। इसके बाद भी यह भूस्खलन क्षेत्र यातायात के लिए परेशानी का सबब बना रहा।

अभी तक इस स्थान पर स्थाई समाधान का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया गया है। जिस प्रकार से काफी ऊपर से पहाड़ी खिसककर आ रही है इससे भूस्खलन क्षेत्र पार करने में हर किसी की रूह कांप जाती है। वर्ष 2013 की आपदा में भी इसी स्थान पर पुलिया सहित सड़क का बड़ा हिस्सा वास आउट हो गया था। तब यह मार्ग बी आर ओ के अधीन था। अब एन एच डी सी एल के अधीन है।

25 जुलाई 23 को क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश से 2013 की ही पुनरावृत्ति होने से जनपद के लोग भारी मुसीबत में फंस गए थे। तब लोगों को मीलों जंगली रास्ता अपनाकर आर पार जाना पड़ा था। यह तो एक उदाहरण है बद्रीनाथ तक कई भूस्खलन क्षेत्र हैं जो यात्रियों की राह रोक सकते हैं। इन ध्यान देने की नितांत आवश्यकता है।

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