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‘समन्वय 2022’ में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए सेना और नागर प्रशासन के बीच साझा चिंतन

–उत्तराखंड हिमालय  —

नयी दिल्ली, 30   नवम्बर ।  हाल के वर्षों में भारत अपने नागरिकों के साथ-साथ क्षेत्रीय भागीदारों को मानवीय सहायता एवं आपदा राहत प्रदान करने की क्षमता के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक क्षेत्रीय शक्ति और शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में उभरा है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के आगरा में मल्टी-एजेंसी मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास ‘समन्वय 2022’ में यह बात कही।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी के साथ-साथ एक बड़ी आबादी तक सूचना का प्रसार और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना होता है, जिसके लिए एक सशक्त तंत्र की आवश्यकता होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देशों की अलग-अलग क्षमताएं होने के कारण आपदाओं से निपटने के लिए सहयोगी तैयारी की आवश्यकता है। श्री राजनाथ सिंह ने संसाधनों, उपकरणों और प्रशिक्षण को साझा करके प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रों से एक साथ आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एचएडीआर में क्षेत्रीय सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए जानकारी साझा करने की आवश्यकता है।

श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि विविध क्षमताओं का उपयोग और विशेषज्ञता तथा नई तकनीकों का उपयोग करके हम प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं। जलवायु संबंधी आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति पर ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों की एचएडीआर टीमों के लिए एक मंच पर एक साथ आना आवश्यक है।

भारत के मजबूत एचएडीआर तंत्र के बारे में विस्तार से बताते हुए, जिसने भारत और अन्य देशों में प्रभावी रूप से राहत प्रदान की है, रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने इस ढांचे को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के निर्माण के बाद भारत के दृष्टिकोण ने राहत-केंद्रित दृष्टिकोण से रोकथाम, तैयारी, शमन, प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास सहित ‘बहुआयामी’ दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया है।

श्री राजनाथ सिंह ने एचएडीआर ऑपरेशन्स के दौरान नागरिक प्रशासन को भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण एचएडीआर मिशनों में उनकी भूमिका की सराहना की, जैसे 2015 में ऑपरेशन राहत और श्रीलंका, नेपाल, इंडोनेशिया, मोजाम्बिक मालदीव तथा मेडागास्कर में राहत अभियान। उन्होंने राहत कार्यों के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “सशस्त्र बल, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, जिला राजस्व प्रशासन, राज्य पुलिस और सक्षम एनजीओ संकट से उबरने और भविष्य में उनसे निपटने के लिए भारत की क्षमता को बदलने के लिए एक साथ आए हैं।”

रक्षा मंत्री ने भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण तैयार करने के लिए एचएडीआर गतिविधियों में शामिल विभिन्न एजेंसियों को एक साथ लाने के लिए ‘समन्वय 2022’ की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि समग्र विकास के लिए आपदा राहत तंत्र को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने मित्र राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को उनकी भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और अभ्यास के आयोजन के लिए भारतीय वायुसेना की सराहना की।

यह अभ्यास 28-30 नवंबर, 2022 तक आगरा, वायुसेना स्टेशन में भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित किया जा रहा है। आसियान देशों के प्रतिनिधि और नागरिक प्रशासन, सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (एनआरएससी) एवं भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) सहित आपदा प्रबंधन में शामिल विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हितधारक इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं।

इससे पहले श्री राजनाथ सिंह ने अभ्यास के दौरान क्षमता प्रदर्शन कार्यक्रमों में भाग लिया, जिसमें सू-30 विमान, परिवहन विमान और हेलीकॉप्टरों का हवाई प्रदर्शन शामिल था। उन्होंने विभिन्न संगठनों की एचएडीआर संपत्तियों की प्रदर्शनी का भी दौरा किया, जिसमें भारत की बढ़ती आपदा प्रबंधन क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया था। आकाशगंगा टीम के प्रदर्शन से उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो गए। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, वायु मसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और अन्य वरिष्ठ नागरिक एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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