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मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है देवाल विकास खंड

-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-
थराली /देवाल। उत्तराखंड में जड़ी-बूटी उत्पादन के क्षेत्र में एक नई अलख जगाने वाला विकास खंड देवाल अब मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। जिससे इस ब्लाक में स्वरोजगार के क्षेत्र में पंख लगने लगे हैं।


पिछले दो दशकों में देवाल ब्लाक के घेस घाटी के हिमनी, बहतर, घेस, बलाण व पिनाऊ के साथ ही रूपकुंड घाटी के वांण, कुलिंग, दिदिना आदि गांवों में मूल्यवान कुटकी सहित तमाम अन्य जड़ी-बूटियों का जिस बड़े स्तर पर किसानों ने कृषिकरण कर उत्पादन शुरू किया हैं उससे कास्तकार प्रति वर्ष लाखों रुपए कमा रहे हैं।

अब इन गांवों के ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन जड़ी-बूटी उत्पादन बन चुका हैं। सैकड़ों किसानों ने जड़ी-बूटी को स्वरोजगार के रूप में अपना कर इस विकास खंड को राज्य में जड़ी-बूटी ब्लाक के रूप में एक नई पहचान दिलानी शुरू कर दी है।

जड़ी-बूटी के साथ ही पिछले 7-8 वर्षों में देवाल विकास खंड के लोग मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी आगें आएं हैं। रूपकुंड घाटी के वांण गांव एवं ल्वाणी गांवों में बड़े स्तर पर पक्कें तालाबों का निर्माण कर उनमें 600 से 700 रूपया प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाली ‘ट्राउट रेनबो’ मछलियों का बड़े स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है, और प्रति वर्ष लाखों रुपए कमा कर कास्तकार अपनी एवं इस क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ ही सदियों से इस कहावत को कि ‘ पहाड़ का पानी एवं पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नही आती हैं’ निरर्थक साबित करना शुरू कर दिया हैं। धीरे-धीरे ही सही पानी व जवानी अब पहाड़ के काम आने लगी हैं।
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रूपकुंड घाटी के बाद अब पिंडारी क्षेत्र में भी मत्स्य पालन की दस्तक हो चुकी है। मत्स्य पालन को स्वरोजगार का जरिया बनाने का इस क्षेत्र के तीन अलग – अलग गांवों के गड़िया बंधुओं ने जो पहल की हैं उसकी जमकर सराहना हो रही हैं। चमोली जिलें के बड़े गांवों में सुमार खेता, मानमती के डाडन तोक में जो कि पिंडर नदी से करीब 20 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, में जिले के अंतिम गांवों में सम्लित हरमल गांव के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य रमेश गड़िया,रेन गांव के सीएससी संचालक किशन गड़िया एवं डाडन के कास्तकार बलवंत गड़िया ने गड़िया स्वायत्त सहकारिता के बैनर तले 9 यूनिट मत्स्य तालाबों का निर्माण कर एक समारोह में थराली विधायक भूपाल राम टम्टा की मौजूदगी में 30 हजार ट्राउट रेनबो मत्स्य बीज डाले हैं । इन तालाबों में करीब 45 हजार मत्स्य बीज डाले जा सकतें हैं,और आने वाले 6 महिनों में मछलियों का उत्पादन शुरू हो जाएगा। डालें गए मत्स्य बीजों का वजन वजन आने वाले समय में हजारों कुंतल में होगा।इस प्रोजेक्ट के स्थापना रमेश गड़िया एवं किशन गड़िया ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में अभी भी मत्स्य विभाग के सहयोग से विस्तारीकरण का कार्य करते हुए इसकी क्षमता और अधिक बढ़ाई जाएगी।इस प्रोजेक्ट की स्थापना के बाद आशा जताई जा रही हैं कि पिंडारी क्षेत्र के अन्य गांव के कास्तकार भी मत्स्य पालन के क्षेत्र में आगे आ सकतें हैं। यहां पर मछली पालन के लिए बेहतरीन स्थान होने के साथ ही प्रयाप्त पानी के प्राकृतिक जल स्रोत मौजूद हैं। जिसका बेहतरीन उपयोग किया जा सकता हैं।

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