परिसम्पत्तियों को लेकर योगी-धामी की बैठक की उपलब्धियों: नयी बोतल में पुरानी शराब
देहरादून, 18 नवम्बर (उ.हि.)। उत्तराखण्ड सरकार ने वृहस्पतिवार को लखनऊ में हुयी उत्त्र प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्रियों के बीच हुयी मात्र 30 मिनट की बैठक में पिछले 21 सालों से लटका परिसम्पत्तियों का विवाद सुलझ जाने का दावा किया है। लेकिन सरकार की ओर से जिन मुद्दों पर सहमति बनने की बात कही गयी है, उन्हीं मुद्दों पर विगत में भी समझौते हो चुके थे। नहरों, बांधों और जमीन जैसे विवाद के जो असली मुद्दे थे, उन पर साझा टीमों का गठन कर भविष्य के लिये लटका दिया गया है।
वृहस्पतिवार को आयोजित बैठक में हरिद्वार के होटल को उत्तर प्रदेश को सौंपने पर सहमति की बात कही गयी है जबकि इसी होटल को लेकर त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी अपनी पीठ थपथपवा चुके थे। इस होटल के बदले में उसी की बगल में उत्तर प्रदेश का होटल निर्माणाधीन है। यही नहीं त्रिवेन्द्र रावत बदरीनाथ में भी उत्तर प्रदेश को जमीन दे चुके थे।
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आज की बैठक की उपलब्धियों का विवरण देने से पहले हम 28 जून 2018 को उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और उत्तर प्रदेश के उनके काउंटरपार्ट राजीव कुमार के बीच हुयी बैठक में लिये गये निर्णयों या सहमतियों का विवरण देना चाहेंगे, ताकि पाठक स्वयं वस्तु स्थिति का आंकलन कर सकें। तीन साल पहले हुयी बैठक में सहमति बनी थी कि उत्तर प्रदेश का सिंचाई विभाग उत्तराखण्ड के सिंचाई विभाग को 3.9 करोड़ रुपये देगा। दूसरी सहमति थी कि उ0प्र0 वन निगम उत्तराखण्ड के वन निगम को 99 करोड़ देगा। बैठक में अन्य सहमतियों में खाद्य विभाग उत्तराखण्ड द्वारा उत्तर प्रदेश के इसी विभाग को 105 करोड़ रुपये देना। उ0 प्र0 परिवहन निगम द्वारा उत्तराखण्ड के निगम को 8.27 करोड़ का भुगतान, उ0 प्र0 उर्जा विभाग द्वारा उत्तराखण्ड के उर्जा विभाग के कार्मिकों के प्रोविडेंट फण्ड के 174 करोड़ का भुगतान। उत्तराखण्ड के बिजली विभाग द्वारा उ0प्र0 के बिजली विभाग को बिजली बिलों को 160 करोड़ का भुगतान करना और उ0 प्र0 के सिंचाई विभाग द्वारा उत्तराखण्ड के सिंचाई विभाग को उत्तराखण्ड स्थित जमीन में 25 प्रतिशत हिस्सा देना शामिल था। अब जमीन देने की बात के बजाय सर्वे करने की बात कही गयी है। इस समझौते के अलावा बाद में भी त्रिवेन्द्र काल में कुछ सहमतियां बनीं थीं उनके आधार पर उत्तराखण्ड को चाहे कुछ मिला हो या नहीं, मगर हरिद्वार और बदरीनाथ में उत्तराखण्ड ने अपनी बेशकीमती जमीन अवश्य ही गंवाई। आज भी लगभग इसी तरह के समझौते हुये हैं।
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के भाग-6, धारा 43 से लेकर 61 तक परिसम्पतियों और अन्य लेन देन के बंटवारों की विधियां तय की गयी है। बंटवारे के लिये जो जहां है और जैसा है, सिद्धान्त तय किया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश 21 सालों से इस सिद्धान्त की अवहेलना कर उत्तराखण्ड की कई परिसम्पत्तियों पर काबिज है। बांध उत्तराखण्ड में हैं और उनमें पानी उत्तर प्रदेश का है। बीच हरिद्वार में उत्तर प्रदेश ने जतीन दबा रखी है। तत्कालीन केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड को उसके जलसंसाधन से वंचित करने के लिये राज्य गठन के अधिनियम में धारा 79 और 80 का प्रावधान किया था, उत्तर प्रदेश उसी का लाभ उठाना चाहता है और इसीलिये जलसंसाधनों से सम्बंधित परिसम्पत्तियों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है।
इधर सूचना विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार
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दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि हरिद्वार स्थित अलकनंदा पर्यटक आवास गृह का लोकार्पण दिसम्बर 2021 में किया जाएगा और तत्समय पूर्व पर्यटक आवास गृह उत्तराखंड को हस्तांतरित किया जाएगा। किच्छा में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की बस स्टैंड की भूमि को उत्तराखण्ड को 15 दिन के अन्दर हस्तांतरित किया जायेगा। वन विभाग के अवशेष 90 करोड़ के देयकों का भुगतान भी तत्काल उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को किया जायेगा। जनपद उधमसिंह नगर स्थित धौरा, बैगुल, नानक सागर जलाशय में पर्यटन एवं वाटर स्पोर्ट की अनुमति दी गई। ऊपरी गंग नहर में वाटर स्पोर्ट की अनुमति भी दी गई। गुरुवार को बैठक में सभी प्रकरणों पर सहमति बनी है। 21 सालों से जो प्रकरण लंबित चल रहे थे, उनका निस्तारण किया गया। कुछ प्रकरणों पर 15 दिनों का समय लिया गया है। ऐसे प्रकरणों पर दोनों राज्यों द्वारा ज्वाइंट सर्वे कर निस्तारण किया जायेगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि सिंचाई विभाग की 5700 हेक्टेयर भूमि और 1700 आवासों में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के उपयोग हेतु आवश्यक भूमि एवं भवन के आकलन के लिये संयुक्त सर्वे कर शीघ्र चिन्हीकरण किया जायेगा। दोनों राज्यों के मध्य सहमति बनी कि न्यायालयों में लम्बित विभिन्न वादों को वापस लिया जायेगा और आपसी सहमति से मामलों को हल किया जायेगा। दो बैराज भारत नेपाल सीमा पर बनबसा बैराज तथा किच्छा का बैराज जो आपदा से नुकसान के कारण जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, इन बैराजों का निर्माण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा किया जायेगा। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा उत्तराखण्ड परिवहन निगम को 205 करोड़ का भुगतान करने पर सहमति बनी। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद् की उत्तराखण्ड में अवस्थित परिसम्पतियों के निस्तारण से होने वाली आय एवं देनदारियों का दोनों राज्यों को 50-50 प्रतिशत के अनुपात में बंटवारा होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का उत्तराखण्ड की जनता की ओर से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 21 साल से जो मामले लंबित पड़े थे, सभी मांगों पर सहमति बन गई है। सभी मामले जल्द ही निस्तारित किये जायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड दोनों राज्य का आपस में बड़े एवं छोटे भाई का सबंध है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.संधु, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आर. के. तिवारी, उत्तराखण्ड से सचिव श्री रंजीत सिन्हा, प्रमुख अभियंता सिंचाई श्री मुकेश मोहन एवं उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।