टीएमयू चांसलर के राष्ट्रपति भवन में बिताए पल अविस्मरणीय

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–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद द्वारा श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ को दिए व्यक्तिगत निमंत्रण पर टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन माता जी के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे तथा शिष्टाचार के तौर पर कुलाधिपति ने राष्ट्रपति को गुलदस्ता भेंट किया। उल्लेखनीय है, जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के शिष्टमंडल में कुलाधिपति भी शामिल थे। राष्ट्रपति भवन में सर्वप्रथम ससंघ पहुंचीं पूज्य माता जी ने साउथ कोर्ट की ओर से मंगल प्रवेश किया। पूज्य माताजी के संग प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी, पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, संघस्थ सभी आर्यिका, क्षुल्लक एवं ब्रह्मचारिणी बहनों के साथ, श्रीअध्यात्म जैन- लखनऊ, प्रतिष्ठाचार्य-श्री विजय जैन, डॉ. जीवन प्रकाश जैन- जंबूद्वीप, संघपती श्रीमती अनामिका जैन, प्रीत विहार दिल्ली, टीएमयू के कुलाधिपति- श्री सुरेश जैन, श्री प्रमोद जैन- वर्धमान ग्रुप, मॉडल टाउन दिल्ली, श्री अतुल जैन- जैन सभा, नई दिल्ली तथा पं. विजय जैन की भी मौजूदगी रही।

माननीय राष्ट्रपति ने उत्साह के साथ अपनी धर्मपत्नी एवम् प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद और पुत्री के साथ पूज्य माताजी को प्रणाम किया। पूज्य माता जी को अपने बैठक कक्ष में आमंत्रित कर लगभग 25 मिनट पूज्य माताजी और उनके साथ प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी, पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी से व्यक्तिगत वार्ता की। पूज्य माताजी के बैठने की व्यवस्था ससम्मान काष्ठ के सिंहासन पर की गयी। राष्ट्रपति भवन के वाईडीआर हॉल में माताजी के उद्बोधन के पश्चात डॉ. जीवन प्रकाश जैन ने राष्ट्रपति को प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

अंत में माननीय राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का राष्ट्रपति भवन में आगमन हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। उन्होंने पूज्य दोनों माताजी के लिए विशेष श्रद्धा अभिव्यक्त की और रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी को सम्बोधित करते हुए माँगीतुंगी-कार्यक्रम का स्मरण करते हुए कहा कि माताजी के आशीर्वाद से मुझे माँगीतुंगी में निर्मित भगवान ऋषभदेव की 108 फुट ऊँची प्रतिमा के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। साथ ही माननीय राष्ट्रपति जी ने 12 वर्ष बाद पूज्य माताजी की शताब्दी जन्मजयंती मनाने की भी उज्ज्वल भावनाएँ व्यक्त की। आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने मंगलाचरण पूर्वक माननीय राष्ट्रपति और भवन के सभी ऑफ़िसर एवं कर्मचारियों के लिए अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। पुनः पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने भी अनेक जनकल्याण, समाज उद्धार और अहिंसा धर्म पर बल देते हुए देश के लिए अपना सारगर्भित उद्बोधन देकर माननीय राष्ट्रपति, उनकी धर्मपत्नी प्रथम महिला और पुत्री के प्रति असीम प्रेम के साथ अपना मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। इस अवसर पर पूज्य माताजी ने माननीय राष्ट्रपति को जैन धर्म के परिप्रेक्ष्य में अयोध्या का महत्व भी विस्तार से बताया। साथ ही वर्ष-2022 को शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या तीर्थ विकास वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की। उल्लेखनीय है, राष्ट्रपति के आमंत्रण पर आए इन मेहमानों को 350 एकड़ में विकसित राष्ट्रपति भवन के विभिन्न विशेष स्थानों पर समस्त ससंघ को भ्रमण कराया गया, जिसमें अशोका हॉल, दरबार हॉल, मुग़ल गार्डन आदि स्थान शामिल रहे।

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