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वोटरों की खामोशी और चुनावी प्रचार में रंग न चढ़ने से प्रत्याशियो की चिंता बढ़ी

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए मात्र 15 दिन का समय शेष रह गया हैं।लेकिन कारण जो भी हो प्रचार प्रसार में अभी तक ऱंग नहीं जम पाया है। जनता की खामोशी ने भी खासकर कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों की पेशानी पर बल डाल दिया है।

पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच होता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल व भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी जनता के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। बसपा,हो चाहे उत्तराखंड क्रांति दल या अन्य किसी भी प्रत्याशी के अभी तक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज न कराने से मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच होता नजर आ रहा है।

भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर जनता से समर्थन मांग रही है तो कांग्रेस अग्निवीर, मंहगाई, बेरोजगारी, पुरानी पेंशन व अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर भाजपा पर प्रहार कर जनता से समर्थन मांग रही है। लेकिन जंगली जानवरों,बंदरों, सुअरों के आतंक से परेशान जनता की परेशानियां दोनों दलों के एजेंडे से गायब रहने से जनता एक बार फिर से अपने को ठगा सा महसूस कर रही है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही ऋषिकेश बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन को अपनी बड़ी उपलब्धि के साथ ही करोड़ों की विकास योजनाओं की सौगात को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रही है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि दोनों योजनाएं कांग्रेस की ही देन है। ऋषिकेश बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गौचर के मंच से की थी। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन भी कांग्रेस की ही योजना है। इस योजना का शिलान्यास गौचर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने किया था। कांग्रेस भाजपा से यह सवाल भी कर रही है कि गौचर चिकित्सालय के उच्चारण, वेटनरी कालेज का क्या हुआ। 400 करोड़ की योजनाओं का नाम क्या है। यही नहीं इस बार लोकसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों की भरमार गायब सी दिखाई दे रही है। गौचर क्षेत्र की बात करें तो भाजपा कार्यकर्ता भी ज्यादा कुछ बोलने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं। क्षेत्रवासी लंबे समय से गौचर चिकित्सालय के उच्चारण, सिंचाई व्यवस्था, पार्किंग सुविधा जैसी मूलभूत समस्याओं के निराकरण की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आजतक एक भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। सीमांत जनपद की जिस गौचर हवाई पट्टी को सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मानकर जबरन अति उपजाऊ जमीन को कंक्रीट के जंगल में तब्दील किया गया। उस हवाई पट्टी पर बनने के 23 साल बीत जाने के बाद भी हवाई जहाज सेवा शुरू नहीं की जा सकी है। इस बार इस मुद्दे को भी यहां का जनमानस हवा देने में जुट गया है। बहरहाल 19 तारीख को होने वाले इस चुनाव में जनता का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो चार जून को ही पता चल पाएगा।

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