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विश्व में तंबाकू के सेवन से मरने वाले लोगों में हर छठा व्यक्ति भारतीय

India is the second largest consumer of tobacco globally, and accounts for approximately one-sixth of the world’s tobacco-related deaths. The tobacco problem in India is peculiar, with consumption of variety of smokeless and smoking forms.

By–Usha Rawat

आज विश्व में तंबाकू के कारण तमाम लोग काल के गाल में समा जाते हैं जबकि इस तरह की मृत्यु को रोका जा सकता है। विश्व भर में तंबाकू के सेवन से मरने वालों की तादाद 50 लाख 40 हजार प्रति वर्ष है, और वर्ष 2030 बीतते बीतते दुनिया में जितने लोग तंबाकू के सेवन से मरते हैं उसका 80 प्रतिशत विकासशील देशों में मरेंगे क्योंकि यहां तंबाकू का इस्तेमाल लगातार बढता जा रहा है। भारत में मोटे तौर पर 10 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं, और इसमें तंबाकू चबाने वालों की तादाद जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा दुगने से भी ज्यादा हो जाएगा। इस समय तंबाकू के सेवन से मरने वाले लोगों में हर छठा व्यक्ति भारतीय है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 3 (2005 06) के ताजा अध्ययन के अनुसार 57 प्रतिशत पुरुष और 10.8 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं। हर तीसरा भारतीय और आठ प्रतिशत महिलाएं गुटका या पान मसाला के रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं। तंबाकू सेवन का यह रुझान शहरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में अधिक है। शहरों में 0.5 प्रतिशत और गांवों में दो प्रतिशत महिलाएं सिग्रेट, बीड़ी आदि का सेवन करती हैं। इसके अलावा शहरों में छह प्रतिशत और गांवों में 12 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान के अलावा तंबाकू के दूसरे प्रकारों का सेवन करती हैं।

धूम्रपान और तंबाकू सेवन से महिलाओं को बहुत नुकसान पहुंचता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करना अथवा धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के लगातार संपर्क में रहने के कारण गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इससे गर्भस्थ शिशु का रक्तचाप असामान्य होने का खतरा बढ जाता है। इसके अलावा बच्चे की सांस लेने की प्रक्रिया के प्रभावित होने, आंख की समस्या, शिशुकालीन रक्त कैंसर, शिशुकालीन उदरशूल, दिमागी कमजोरी आदि का खतरा भी रहता है। जो महिलाएं तंबाकू की खेती या तंबाकू उत्पाद बनाने की प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं, उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक तरफ इन महिलाओं को गरीबी, शोषण और कर्ज के दुरूह चक्र का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरफ उन्हें कैंसर, फेफड़े की बीमारियां, तपेदिक, दमा, नेत्र विकार, गर्दन व पीठ में दर्द और स्त्री रोग संबंधी परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। तंबाकू उत्पाद बनाने वाले पुरुषों को भी इसी तरह की स्वास्थ्य परेशानियां हो जाती हैं। जो लोग बीड़ी बनाने का काम करते हैं, उन्हें लगातार तंबाकू के संपर्क में रहना पड़ता है। तंबाकू उनकी सांस के साथ उनके शरीर में प्रवेश कर जाता है और कैंसर सहित तमाम जानलेवा बीमारियां पैदा करता है।

युवाओं और महिलाओं को तंबाकू के कुप्रभाव से बचाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में सिग्रेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन की रोकथाम तथा व्यापार एवं वाणिज्य का नियमन) अधिनियम कार्यान्वित किया था। इस अधिनियम के तहत तंबाकू उत्पादों के हर तरह के विज्ञापन (प्रत्यक्ष या परोक्ष), प्रोत्साहन और प्रायोजन पर रोक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चैन ने अपनी रिपोर्ट महिलाएं और स्वास्थ्य: आज का प्रमाण, कल का मुद्दा में लिखा है, न्न महिलाओं के स्वास्थ्य रक्षा और प्रोत्साहन स्वास्थ्य तथा विकास के लिए परमावश्यक है न केवल आज के नागरिकों के लिए बल्कि भावी पीढी क़े लिए भी। न्न अतएव, महलिओं में तंबाकू सेवन में कमी लाकर और इसके महत्त्व को पहचानकर कई जानों को बचाया जा सकता है।

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