उत्तराखंड सरकार की नज़रों से अब भी ओझल हैँ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भैकलताल और झलताल

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–थराली से हरेंद्र सिंह  बिष्ट–

चमोली के प्रसिद्ध शीतकालीन पर्यटक स्थलों में सुमार भैकलताल, झलताल के प्रति भले ही देशी व विदेशी पर्यटकों की नजरें धीरे-धीरे ही सही इनायत होने लगी हैं, किन्तु राज्य बनने के 22 वर्षों के बाद भी अब तक दोनों ही ताल राज्य सरकार की नजरें से ओझल बने हुए हैं। शायद यही वजह है कि प्रति वर्ष शीतकाल में ही नही अपितु अब ग्रीष्मकाल में भी पर्यटकों की ऐसगाह बनते जा रहे दोनों ही तालों को आज तक राज्य के पर्यटन मानचित्र में भी स्थान नही मिल पाया है। जिससे राज्य सरकार के नए-नए पर्यटक स्थलों एवं सर्किटों को विकसित करने के संकल्प की सच्चाई सामने आने लगी हैं।

Winter view of Bhainkaltal in chamoli garhwal

पिंडर घाटी में पर्यटन की असीम संभावनाएं तों मौजूद हैं किन्तु इन अनछुए स्थलों के प्रचार प्रसार के अभाव में लोगों को इस का भरपूर लाभ नही मिल पा रहा है। इन्ही स्थलों के बीच देवाल एवं थराली विकासखंड़ो के मध्य समुद्र सतह से करीब 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित भैकलताल एवं 32 सौ की ऊंचाई पर स्थित ब्रहमताल ट्रैक भले ही देशी, विदेशी सैलानियों के बीच आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा हैं। दोनों ही ताल पर्यटकों के बीच पहले से ही शीतकालीन पर्यटन के रूप में पसंद बनें हुए हैं। इसके अलावा रहस्मयी रूपकुंड की यात्रा पर हाईकोर्ट के एक आदेश का असर पड़ा और यहां की यात्रा के बंद होने के बाद इस क्षेत्र के प्रति विशेष लगाव रखने वाले सैलानियों के बीच दोनों ही स्थल अब ग्रीष्मकालीन पर्यटन के रूप में भी पसंद बनने लगी हैं। इस ट्रैक पर प्रति वर्ष हजारों की तादाद में पर्यटको का पूरे साल आना-जाना शुरू होने से दोनों स्थल भले ही गुलजार होने लगें हैं। किंतु आज तक भी इस रूट के प्रति राज्य सरकार की दृष्टि इनायत नही हो पाईं हैं।शायद यही कारण है कि मोटर सड़कों से करीब 5 से 10 किमी की पर स्थित इन सुंदरतम तालों में सुमार तालों की खुबसूरती को निखारने के लिए सरकार के द्वारा आज तक भी कोई कदम नही उठाए गए हैं। इसके अलावा ट्रैक रूट में धेले भर तक की व्यवस्था नही की गई हैं। यही नही दोनों तालों को आज तक भी राज्य के मुख्य पर्यटन के मानचित्र तक में स्थान नही मिल पाया हैं। जिससे पर्यटन के विकास के प्रति सरकार की कथनी एवं करनी को दृष्टिगोचर करने के लिए काफी है।

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पिछले कई वर्षों से भैकलताल-ब्रहमताल के प्रति पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए एवं अपनी लोक संस्कृति को जीवित रखने व इसके प्रचार-प्रसार के लिए सोल क्षेत्र की जनता प्रति वर्ष रतगांव के तालगैर में भैकलताल-ब्रहमताल पर्यटन,खेल एवं सांस्कृतिक विकास मेले का आयोजन करते आ रही हैं।इसी के तहत इस बार भी 5 से 10 जुलाई तक तालगैर में महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। आयोजन समिति के संयोजक एवं मीडिया प्रभारी पत्रकार प्रदीप फर्स्वाण ने बताया कि 6 दिवसीय महोत्सव के आयोजन की लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आयोजन को सफल बनाने के लिए सोल क्षेत्र के सभी ग्रामीण जुटें हुए हैं।उनका भी मानना है कि सरकार की कमियों के कारण इस क्षेत्र में जिस तादाद में पर्यटको को आना चाहिए था वें नही आ पा रहे हैं। उन्होंने सरकार से सबसे पहले इन प्राकृतिक झीलों एवं यहां पहुंचने वाले पहुंच मार्गों की पर्यटन मानचित्र में सम्लित करने की मांग की है।

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