नवीन! तुम चले तो गए लेकिन बहुत याद आओगे,सुनिए नवीन के यादगार गीत
–दिनेश शास्त्री–
देहरादून, 28 जून। उत्तराखंड के लोक रंग कर्म के लिए मंगलवार का दिन अमंगल की खबर लेकर आया तो मानो सब कुछ ठहर सा गया। महज 44 साल की उम्र में केदारघाटी का एक होनहार रंगकर्मी चिर निद्रा में सो गया। बहुत सारी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए नवीन एक सूनापन छोड़ कर हमसे विदा हो गया। कोरोनाकाल में जब सब कुछ थम सा गया था, तब विपिन सेमवाल की टीम के साथ नवीन ने समाज को बहुत कुछ दिया। कोरोना से बचाव के संदेश देता यह रंगकर्मी इस तरह अचानक गुड बाय कह देगा, इस बात की किसी ने कल्पना नहीं की थी लेकिन आखिर सच तो यही है कि नवीन सेमवाल अब सिर्फ यादों में ही है।
नवीन की प्रतिभा का लोहा हमारे समाज ने हेमा नेगी करासी के साथ सुपरहिट विडियो गीत मेरी बामणी से मनवाया था। हालांकि उससे पहले भी वह अपने रंगकर्म में सक्रिय थे लेकिन यह उनका टर्निंग प्वाइंट था, जब लाखो लोगों ने उसके हुनर को पहचाना था। प्रसिद्ध गायक, रंगकर्मी नवीन सेमवाल का मंगलवार सुबह देहरादून में असमय ही निधन होना निसंदेह बहुत बड़ी क्षति है। ऐसे कलाकार बिरले होते हैं जो बहुत थोड़े समय में बहुत ज्यादा अपने समाज को देकर चले जाते हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद की केदारघाटी के मूल निवासी नवीन सेमवाल पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
वे गायक होने के साथ ही प्रसिद्ध रंगकर्मी रहे हैं। उन्होंने थिएटर के माध्यम से उत्तराखंड के साथ ही मुंबई, दिल्ली समेत कई स्थानों पर अपने हुनर से लोगों को चमत्कृत सा किया। शायद इसीलिए वह बहुत कम उम्र में ज्यादा काम कर गए।
उपासना और विपिन सेमवाल के साथ मंगतू सीरीज में नवीन ने हर किरदार निभाया। स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया तो पलायन की पीड़ा को भी उकेरा और साथ ही उसका समाधान भी सुझाया। हालांकि इस टीम को उपासना ने संवारा था लेकिन कौन जानता था कि अब मंगतू सीरीज पर यहीं विराम लग जायेगा।
नवीन तुम बहुत याद आओगे। गढ़वाली में अक्सर कहा जाता है – जिकुडी लूछी ली गै। सचमुच नवीन ने कुछ ऐसा ही किया अपने प्रशंसकों के साथ। नियति के विधान के बावजूद मन बेशक नहीं मानता लेकिन नवीन तुमने बहुत गहरा जख्म दिया है।