धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रा

संस्कृत विवि में वन गुर्जर संस्कृति हुई जीवंत

—uttarakhandhimalaya.in

बहादराबाद, (हरिद्वार), 6 जून। उत्तराखंड संस्कृत विश्विद्यालय के
आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित “गुर्जर लोक कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। लोक गायकों ने अपने जीवन के अछूते पहलुओं का सुरीला प्रदर्शन किया।

कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री के निर्देशन में विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ चिंतन को जन मानस तक पहुंचाने तथा स्थानीय समुदाय को मुख्यधारा में सम्मिलित करने के उद्देश्य से कार्यक्रमों की श्रृंखला की जा रही है। इसके तहत आयोजित कार्यक्रम में गुर्जर समाज के लोक संस्कृति के वाहक मोहम्मद सुलेमान,मोहम्मद बजीर,मोहम्मद उमर ने गुर्जर संस्कृति के लोकगीतों लोगों को परिचित कराया!
कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षा शास्त्र विभाग के छात्रों ने स्वागत गीत से किया इसके बाद गुर्जर लोक संस्कृति के वाहक तीनों अतिथियों का पुष्प गुच्छ प्रदान कर स्वागत किया गया ।

कार्यक्रम की पूर्व पीठिका पर बोलते हुए प्रोफेसर दिनेश चमोला ने कहा कि लोक के असली प्रकृति के दूत यही लोग हैं। गुर्जर समाज के बीच अपने पुराने दिनों को याद करते हुए तथा उनके बीच से संकलित अपने गीतों का गायन करते हुए प्रोफेसर चमोला ने कहा कि ये समाज आज भी लोक संस्कृति की नैसर्गिकता को कायम किए हुए है। अनुभूति और अभिव्यक्ति के स्तर पर आज भी उसी तरह जीता है। प्राकृतिक संसाधनों के वैराट्य में अभावपूर्ण जीवन जीवन जीना भी उन्हें भावपूर्ण संसार की प्रतीति कराता है।

कार्यक्रम में इसके बाद मोहम्मद सुलेमान और मोहम्मद वजीर ने विविध विषयक गुर्जर लोक गीतों का सामुहिक प्रभावी गायन कर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की खूब तालियां बटोरी।

गुर्जर संस्कृति के इन लोकगीतों का हिंदी अनुवाद मोहम्मद उमर ने किया मोहम्मद। उमर ने अपने समाज के दैनंदिन जीवन संघर्षों को प्रभावी शैली में विद्यार्थियों के समक्ष व्यक्त किया। इसके उपरांत शिक्षकों , शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों ने तीनों वक्ताओं से सांस्कृतिक संवाद किया ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ सुशील उपाध्याय ने गुर्जर समुदाय के इतिहास तथा उनकी भाषाओं के विकास क्रम पर प्रकाश डाला। और गुर्जर समुदाय से आग्रह किया कि वे नई पीढ़ी को शिक्षा की मुख्य धारा का हिस्सा बनाएं।

इसके बाद कार्यक्रम धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा शास्त्र विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ अरविन्द नारायण मिश्र ने किया। उन्होंने कहा कि देश में सभी समुदायों की जड़ें साझी हैं। आज जिसे हम वन गुजर कह रहे हैं, महाकवि भारावी ने उन्हें वनैचर कहा है। वे सदियों से हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

इस अवसर पर डॉ हरीश तिवारी, डॉ इंदुमती द्विवेदी,डॉ प्रकाश पंत,डॉ अजय परमार,डॉ उमेश कुमार शुक्ला, डॉ सुमन प्रसाद भट्ट ,मीनाक्षी सिंह, शोधार्थी अनूप बहुखंडी,आरती सैनी,ललित शर्मा, रेखा रानी अन्य छात्र छात्राएं गिरीश सती, चंद्रमोहन, विवेक, निधि, प्रीति, आशु, नरेंद्र, गौरव,आशीष,योगेंद्र, निधि, रेनू, तनु, प्रविता, ऋषभ, शिवानी,भावना, बृजेश आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम में छात्रसंघ अध्यक्ष सागर खेमरिया का विशेष सहयोग रहा।

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