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पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी का निधन, मुख्यमंत्री धामी ने व्यक्त किया शोक

देहरादून, 1 मार्च  ।  वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. अजीज कुरैशी नहीं रहे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मिजोरम के राज्यपाल डॉ. कुरैशी 83 साल के थे। वे लंबे समय से बीमार थे। कुछ समय से कुरैशी तबीयत ठीक नहीं थी और सुबह करीब 11 बजे भोपाल के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री अजीज कुरैशी के निधन पर व्यक्त किया  है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।

अजीज कुरैशी का जन्म 24 अप्रैल, 1941 को भोपाल में हुआ था। कुरैशी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मिजोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया था। अजीज कुरैशी को 24 जनवरी, 2020 को मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने एमपी उर्दू अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। 1973 में वह एमपी के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं और 1984 मध्य प्रदेश के सतना निर्वाचन क्षेत्र से वह लोकसभा चुनाव जीते थे।

पूर्व राज्यपाल के निधन पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट कर लिखा, “देश के वरिष्ठ राजनेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जनाब अजीज कुरैशी का इंतकाल, अत्यंत दुःखद. उनकी आत्मा को शांति दें भगवान. शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहने का संबल प्राप्त हो. भावभीनी श्रद्धांजलि!”

डॉ. अजीज कुरैशी अपनी बेबाकी और मुखरता के चलते सियासत में खास पहचान रखते थे। कई मुद्दों पर वे अक्सर अपनी पार्टी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व से भी भिड़ जाया करते थे। राज्यपाल पद से निवृत्त होने के बाद डॉ अजीज कुरैशी ने कई बार पार्टी की उन व्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की, जिसमें मुस्लिम सियासत को दरकिनार किया जाता दिखाई दे रहा था। संगठन में मुस्लिम नेतृत्व से लेकर पार्टी के पोस्टर बैनरों से मुस्लिम नेताओं के फोटो हटाए जाने पर भी उन्होंने विरोध के स्वर उठाए थे।

83 साल की उम्र पर पहुंच चुके डॉ अजीज कुरैशी लंबे समय से बीमार थे। मोटापे और कई बीमारियों के चलते उन्हें चलने फिरने में दिक्कतें आती थीं। बावजूद इसके वे सियासत और सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता बनाए रखते थे। राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में उनके समर्थकों द्वारा किया जाने वाला सालाना मुशायरा भी एक खास पहचान रखता है। डॉ. अजीज कुरैशी ने अपने जीवनकाल में शादी नहीं की थी। इस वजह से उनकी सियासी विरासत संभालने वाला कोई नहीं है। उनके इंतकाल के बाद प्रदेश की मुस्लिम सियासत में एक बड़ी रिक्तता महसूस की जा रही है।

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