समापन की ओर बढ़ रहा गौचर मेला अब पूरे यौवन में नज़र आने लगा है

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गौचर से दिग्पाल गुसांईं
 संस्कृति को जीवंत बनाए रखने वाले एक मात्र गौचर औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेला जैसे जैसे समापन की ओर बढ़ रहा है। वैसे ही मेले में उमड़ रही भीड़ से मेला पूरे योवन पर नजर आने लगा है।
 वर्ष 1943 से जनपद चमोली के गौचर मैदान में आयोजित होता आ रहा प्रदेश स्तरीय ऐतिहासिक गौचर मेला ऐसे समय पर आयोजित होता है।जिस समय पहाड़ों में ठंड का आगमन शुरू होने लगता है। यही नहीं इस समय पहाड़ों के कास्तकार खेती बाड़ी के कार्यों से फुर्सत के छण होते हैं।इसी वजह से क्षेत्रवासी अपने जरुरत का सामना खरीदने के लिए गौचर के व्यापारिक मेले में उमड़ पड़ते हैं।
हालांकि यह मेला उस दौर में व्यापारिक मेले के रूप में शुरू हुआ था जब पहाड़ों में यातायात व संचार सुविधा नहीं थी तब तिब्बत की मंडियों से बकरियों के माध्यम से आने वाले सामान का हाट बाजार लगता था। लेकिन अब बदलते दौर में पिछले कई सालों से इस मेले में मैदानी भागों से फैन्सी सामान आने लगा है।इसकी भी जमकर खरीदारी की जाती है। यही नहीं यह मेला लोगों के मिलन का भी बहुत बड़ा माध्यम है। चाहे देश की सीमा पर तैनात फौज का जवान हो या शादी के बाद ससुराल गई लड़कियां इस मेले में अपनों से मिलने अवश्य आते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे गौचर में आयोजित इस मेले में आने से कोई भी हिचकता नहीं है।
मेले की पौराणिक पंरपरा रही है कि अंतिम दिनों में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है। यही कारण रहा कि वृहस्पतिवार को मेले के चौथे दिन में प्रवेश करने पर लोगों के हुजूम उमड़ने से मेला पूरे योवन पर नजर आने लगा है। लोगों द्वारा जमकर खरीदारी करने से दुकानदार भी खुश नजर आ रहे हैं।मेला प्रशासन ने भी मेले में कोई अनहोनी न इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी हैं मेले में पशुपालन विभाग, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग,कृषि विभाग सहित तमाम विभाग स्टालों के माध्यम से लोगों को सरकार की योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं। मेलार्थी खेल तमाशों का जमकर आनंद ले रहे हैं

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