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हेमकुण्ड साहिब के कपाट शीतकाल के लिये बंद

जोशीमठ, 10 अक्टूबर।

विश्व के सबसे ऊंचाई पर स्थित सिख तीर्थ हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को दोपहर शीतकाल के लिए बंद हो गये।रविवार सुबह नौ बजे से हेमकुंड साहिब स्थित गुरुद्वारे में शबद कीर्तन शुरू हुआ जो दोपहर 12 बजे तक चला। हेमकुंड के साथ ही उसी स्थान पर मौजूद लक्षमण मंदिर के कपाट भी शीतकाल के लिये बंद हो गये.इसके साथ ही हिमालयी तीथों की ग्रीष्मकालीन यात्रा का समापन शुरू हो गया। केदारनाथ, गंगोत्तरी और यमुनोत्तरी के कपाट दीवाली के तत्काल बाद बंद हो जायेंगे

शबद कीर्तन के बाद साढ़े बारह बजे इस साल की अंतिम अरदास हुयी और दोपहर एक बजे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब का हुकुमनामा लिया गया। गुरुग्रंथ साहिब को पंजाब से आए विशेष बैंड की धुन के साथ पंज प्यारों की अगुवाई में दरबार साहिब से सचखंड साहिब (गर्भग्रह) में लाया गया। इसी के साथ दोपहर ढेड बजे हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गये। हेमकुंड साहिब के कपाट बंदी के अवसर पर लगभग 2 हजार श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने रविवार सुबह हेमकुंड साहिब पहुंचकर इस साल की अंतिम अरदास में भाग लिया। कपाट बंदी के दौरान ट्रस्ट के प्रधान सरदार जनक सिंह, जनरल सेक्रेटरी सरदार रविंदर सिंह सहित सेना की इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारी और जवान भी मौजूद रहे।

इस साल कोविड के चलते 18 सितंबर से हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू हुई। उसके बावजूद यहां पर 10 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे। हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि अत्यधिक ठंड और विपरीत मौसम को देखते हुए ट्रस्ट ने 10 अक्तूबर को कपाट बंद करने का निर्णय लिया गया।

हेमकुंड साहिब पूरे भारत में सिख धर्म के लोगों का एक बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है । हेमकुंड साहिब हिमालय के अंदर 4632 मीटर यानी कि 15200 फुट की खड़ी ऊंचाई पर बनी बर्फीली झील के किनारे सात बड़ी चट्टानों वाली पहाड़ों के बीच बना हुआ है।

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