आपदा/दुर्घटना

झाड़ियों में छिपी मौत न जाने कब प्रकट हो जाय ! बिजली विभाग कर रहा इंतजार

–गौचर  से दिग्पाल गुसांईं–
क्षेत्र में झाड़ियों से लिपटी विद्युत लाईनें लोगों के लिए कब मुसीबत का कारण जाय कहा नहीं जा सकता है। सब जानते हुए भी ऊर्जा निगम क्यों लापरवाह बना हुआ है यह बात किसी के समझ में नहीं आ रही है।

दरअसल पालिका क्षेत्र के लिए विद्युत सप्लाई कर्णप्रयाग फीडर से की जाती है। कर्णप्रयाग से आने वाली विद्युत लाईनें जलेश्वर के जंगलों से होकर गुजरती हैं। जो इन दिनों झाड़ियों की वजह से नजर भी नहीं आ रही हैं। यही नहीं पालिका क्षेत्र में भी कई जगहों पर विद्युत की नंगी तारें झाड़ियों से लिपट गई है। हालांकि कुछ साल पहले पालिका क्षेत्र की विधुत लाइनों को करोड़ों रुपए की लागत से बंच केविलों में परिणित किया जाना था। लेकिन अभी भी कई लाइनों को नंगा छोड़ दिया गया है। क्या बजट के हिसाब से यह कार्य पूरा हो गया है या नहीं इसे उर्जा निगम ही बेहतर बता सकता है। क्षेत्र में बारिश शुरू होते ही बिजली की आंख मिचौली शुरू हो गई है। इससे क्षेत्र की पेयजल व्यवस्था भी चरमरा गई है।

विगत वर्षों में विद्युत पोलों पर करंट दौड़ने से विद्युत विभाग के कर्मचारियों के साथ ही कई जानवरों की मौत हुई है। कई घरों के उपकरण जलकर नष्ट हुए हैं।गत वर्षों तक बरसात से पहले विद्युत लाइनों के ईर्द-गिर्द की झाड़ियां काट दी जाती थी लेकिन अब इन झाड़ियों को काटना भी बंद कर दिया गया है। कारण जो भी लेकिन जिस प्रकार से बारिस शुरू होने के बाद विद्युत व्यवस्था की आंख मिचौली शुरू हो गई है इससे समझा जा रहा है कि कहीं झाड़ियों की वजह से तो यह नौबत नहीं आ रही है। लेकिन लगातार हो रही विद्युत कटौती से क्षेत्र की जनता परेशान हो गई है।

पालिका क्षेत्र के बंदरखंड के समीप विद्युत ट्रांसफार्मर को खंभों में चढ़ाने के बजाय जमीन पर रखा गया है। इसी के बगल से जानवरों का रास्ता गुजरता है जो कभी भी खतरे का कारण बन सकता है। चमोली हादसे के बाद क्या ऊर्जा निगम नींद से जागेगा या नहीं यह तो समय ही बताएगा। व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या बंच केविल बिछाने का कार्य पूरा हो गया है। करंट से किसी को नुक़सान न पहुंचे इसके लिए बरसात से पहले लौपिंग का कार्य किया जाता था। अब इसे भी बंद कर दिया गया है। चमोली हादसे से ऊर्जा निगम को सबक लेना चाहिए।

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