स्तरहीन खेल तमाशों की कसक भी देखने को मिली गौचर मेले में इस बार
-गौचर से दिग्पाल गुसांईं-
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन से शुरू हुए 71 वें गौचर औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले में इस बार स्तरहीन खेल तमाशों की कसक भी देखने को मिली। इससे मेलार्थियों ने खेल तमाशों में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है।
1943 में भारत तिब्बत के व्यापार के हाट बाजार के शुरू हुए गौचर मेले में दोनों देशों के सामानों का आदान प्रदान किया जाता था। लेकिन सन् 60 के दौरान भारत तिब्बत के संबंधों में खटास आने बाद मेले को आकर्षक बनाने के लिए उच्च स्तरीय खेल तमाशों,पौराणिक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा विभिन्न प्रकार के उच्च कोटि के खेलों का आयोजन पर विचार किया गया।
एक समय था कि गौचर मेले में उच्च कोटि के सर्कस, चिड़िया घर के अलावा जादूगर की जादूगरी का मेलार्थी खूब आनन्द लेते थे। उच्च स्तरीय फुटबॉल ,बालीवाल मैचों का आंनद भी खेल प्रेमी लेते थे। लेकिन इस बार स्तरहीन खेल तमाशों के अलावा रोचक फुटबॉल बालीवाल की कमी भी दर्शकों को खलती रही। लगातार दुकानों व स्टालों के किराए में बढ़ोतरी किए जाने से दुकानदार मेले में आने से कतराने लगे हैं।
हालांकि इस बार मेला प्रशासन ने पारदर्शिता लाने के लिए दुकानों का आवंटन आन लाइन किया था। लेकिन बिचौलियों ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर महंगे दामों में दुकानें बेचकर खूब चांदी काटी है। सांस्कृतिक मंच भी पिछले दो सालों से चर्चा का विषय बना हुआ है। मंच को सिनेमा हॉल की तरह बंद किए जाने से अंधेरे पन ने हर किसी को ऊंगली उठाने पर मजबूर किया।साउंड सिस्टम ने भी सांस्कृतिक टीमों के साथ दर्शकों को दुखी किया।
पार्किंग व्यवस्था भी लोगों को खलती रही। एक समय था जब गौचर मेले में मैदान में ही बस स्टेशन बनाकर बसे संचालित की जाती थी। अब कारों को भी दो दो किलोमीटर दूर खड़ा करवाया जा रहा है। इससे भी लोग धीरे-धीरे मेले से दूरी बनाने लगे हैं। यही कारण रहा है कि इस बार शुरूआती चार दिनों तक मेले में रंग नहीं जम पाया था। 18 नवंबर को पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार डी एम की ओर से अवकाश घोषित किया जाता है।
संयोग वश इस बार 19 तारीख को रविवार का दिन होने से लोगों की भारी भीड़ ने यह जताने का प्रयास किया कि मेले के प्रति उनकी आत्मीयता कम नहीं हुई है। 2018 में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने मेले को आकर्षक बनाने के लिए जहां रीवर राफ्टिंग के कई ऐसे खेल तमाशे आयोजित करवाए थे जो आजतक पहाड़ी जनता के लिए सपनों जैसी बात थी। उन्होंने पूरे मेले गौचर में डेरा डालकर मेले पर पैनी नजर गड़ाए रखी।
व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल, कांग्रेस नगर अध्यक्ष सुनील पंवार, नवीन टाकुली, हरीश नयाल आदि लोगों का कहना है कि मेले की पौराणिक संस्कृति को कायम रखने का प्रयास गंभीरता से किया जाना चाहिए।