सरहद पर ‘शहद’ का पहरा ! जी हाँ, मधुमक्खियां तैनात
10 हजार सालों से भी पुराना इतिहास से शहद का. भारत में तो आर्युवेद में इसके कई गुणों का वर्णन काफी बार किया गया है. युद्धों में घायल सैनिकों के घांवों को भरने के लिए इसका इस्तेमाल होता था. साथ ही प्राकृतिक मिठास भी इससे सीधे मिलती थी, इसे सीधे ही इस्तेमाल किया जा सकता है, प्रोसेसिंग जरूरी नहीं. पहले तो बात कर लें, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक अनूठे प्रयोग की जिसके तहत 32वीं बटालियन ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के सीमावर्ती इलाकों में बॉर्डर पर मधुमक्खियों को सुरक्षा के लिए लगा दिया है. जी हां ! आपने सही सुना… सीमा पर बाड़ लगाकर उसमें छत्ते लगाए जा रहे हैं ताकि तस्कर उन स्थानों को पार न कर सकें. अगर किसी ने कोशिश की भी तो भारतीय सेना की गोलियों से पहले मधुमक्खियां उन्हें डंस लेंगी. इसके साथ ही बीएसएफ वहां फूलों के बाग भी लगाएगा जिनके फूलों का रस चूसकर वहीं पर शहद की पैदावार होगी. इससे आपको बड़ी मात्रा में शहद मिलेगा साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार का बड़ा मौका भी प्राप्त होगा. आपके किचन में भी शहद तो होगा ही, सुबह-सुबह गरम पानी में नींबू के साथ शहद का सेवन स्वास्थ्यकारी होता है. इसके साथ ही आपकी ग्रीन-टी को शहद, स्वास्थ्य और स्वाद दोनों में ही काफी आगे ले जाता है. तो लीजिए चुस्की ! शहद किसी रामबाण से कम नहीं है. इसे खाने-पीने में मिलाकर शरीर के अंदर भी पहुंचा सकते हैं और त्वचा आदि पर लगाकर शरीर के बाहर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें कैल्शियम, कॉपर, पोटैशियम, मैंगनीज, जिंक जैसे तमाम पोषक तत्व हैं. यह रहे शहद के कुछ चुनिंदा लाभ:
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