भारतीय उपमहाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव- विदेश  आई आई अति वृष्टि , सूखा और तापमान में हुयी वृद्धि 

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India’s average temperature has risen by around 0.7 deg. C during 1901-2018. The frequency of daily precipitation extremes (rainfall intensities >150 mm per day) increased by about 75% during 1950-2015. The frequency and spatial extent of droughts over India has increased significantly during 1951-2015.

नयी दिल्ली, 3  अगस्त ।  केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने  लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में में बताया कि जलवायु परिवर्तन से भारतीय उप महाद्वीप में अति वृष्टि , सूखा और तापमान में हुयी वृद्धि हुयी है ।   यही नहीं इसका असर अरब सागर में चक्रवर्ती तूफानों में वृद्धि के रूप में सामने आया है।

किरेन रिजिजू ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 2020 में ‘भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आकलन’ प्रकाशित किया, जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन शामिल है। रिपोर्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  1. 1901-2018 के दौरान भारत के औसत तापमान में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
  2. 1950-2015 के दौरान दैनिक वर्षा चरम सीमाओं (वर्षा तीव्रता >150 मिमी प्रति दिन) की आवृत्ति में लगभग 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  3. 1951-2015 के दौरान भारत में सूखे की आवृत्ति और स्थानिक सीमा में काफी वृद्धि हुई है।
  4. उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र के स्तर में वृद्धि पिछले ढाई दशकों (1993-2017) में प्रति वर्ष 3.3 मिमी की दर से हुई।
  5. 1998-2018 के मानसून के बाद के मौसम में अरब सागर पर गंभीर चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति में वृद्धि हुई है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) नियमित रूप से भारतीय क्षेत्र में जलवायु की निगरानी करता है और वार्षिक प्रकाशन अर्थात “वार्षिक जलवायु सारांश” प्रकाशित करता है। आईएमडी मासिक जलवायु सारांश जारी करता है। वार्षिक जलवायु सारांश में संबंधित अवधि के दौरान  तापमान, वर्षा और खराब मौसम की घटनाओं के बारे में जानकारी शामिल है।

 

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