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भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन की महत्वपूर्ण भूमिका

 

Fisheries is an important sector in India. It contributes to the national income, exports, food and nutritional security. It provides employment to millions of people. India is the 3rd largest fish producing and 2nd largest aquaculture nation in the world after China.

 

 

 

The ocean is home to many fascinating creatures, but one of the most awe-inspiring is the whale shark. These gentle giants are not only the largest fish species in the world, but they are also one of the longest-living, with a lifespan of up to 70 years. The average size of a whale shark is around 30 feet long, but the largest ever recorded was an incredible 62 feet in length.

 

-उषा रावत 

मत्स्य पालन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ साथ रोजगार सृजन में योगदान करता है। मत्स्य पालन क्षेत्र की एक उभरते क्षेत्र के तौर पर पहचान बनी है और यह देश के करीब 30 मिलियन, विशेष तौर पर सीमांत और वंचित समुदायों की आजीविका बनाये रखने का साधन बना है।

भारत, चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलकृषि देश है। भारत में नीली क्रांति ने मात्स्यिकी और जलकृषि क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित किया है। इस क्षेत्र को एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में माना जाता है और निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हाल के दिनों में, भारतीय मात्स्यिकी में समुद्री वर्चस्व वाली मात्स्यिकी से अंतर्देशीय मात्स्यिकी की ओर एक प्रतिमान बदलाव देखा गया है, जिसमें 1980 के मध्य में मत्स्य उत्पादन में 36% से पिछले कुछ समय में 70% के योगदान के साथ अन्तर्देशीय मात्स्यिकी ने प्रमुख रूप से योगदान दिया है। अंतर्देशीय मात्स्यिकी में कैप्चर से कल्चर आधारित मात्स्यिकी में बदलाव ने सतत नीली अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया है।

वर्ष 2022- 23 में 175.45 लाख टन रिकार्ड मछली उत्पादन के साथ भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादन वाला देश रहा है और वैश्विक उत्पादन में उसका 8 प्रतिशत हिस्सा है। देश के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में इसका 1.09 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र की जीवीए में इसका 6.724 प्रतिशत से अधिक योगदान रहा है। क्षेत्र में वृद्धि की बहुत संभावनायें है और इसलिये इसमें टिकाउ, जवाबदेह, समावेशी और समान वृद्धि के लिये नीतियों और वित्तीय समर्थन के जरिये एकमुश्त ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

हालांकि, अंतर्देशीय मात्स्यिकी और जलकृषि में पूर्ण रूप से वृद्धि हुई है, लेकिन इसकी क्षमता के संदर्भ में विकास अभी तक महसूस नहीं किया जा सका। 191,024 किमी नदियों और नहरों,1.2 मिलियन हेक्टेयर फ्ल्डप्लेक झीलों, 2.36 मिलियन हेक्टेयर तालाब और टैंकों, 3.5 मिलियन हेक्टेयर जलाशयों एवं 1.2 मिलियन हेक्टेयर खारा पानी संसाधनों के रूप में अप्रयुक्त और कम उपयोग किए गए विस्तृत एवं वृहद संसाधन, आजीविका विकास के साथ आर्थिक संपन्नता को आगे बढ़ाने के साथ अत्यधिक अवसर प्रदान करता है।


भारत में मत्स्य क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और लाखों मछुआरों को आजीविका प्रदान करता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है। भारत में नीली क्रांति ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित किया। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार करने और अधिक आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया है।

 

1950-51 के दौरान 0.75 मिलियन मीट्रिक टन से वर्तमान उत्पादन 14.1 मीट्रिक टन की वृद्धि प्रदर्शित करते हुए भारत में मत्स्य उत्पादन की अद्भूत वृद्धि देखी गई।

2020 तक, भारत के कुल मत्स्य उत्पादन में समुद्री मत्स्य उत्पादन की प्रमुखता थी, हालांकि, विज्ञान पर आधारित मात्स्यिकी पद्धति के कारण, भारत में अंतर्देशीय मात्स्यिकी में बदलाव देखा गया एवं यह वर्तमान में कुल मत्स्य उत्पादन का 70% योगदान देता है। भारत में लगभग 2.36 मिलियन हेक्टेयर टैंक और तालाब क्षेत्र हैं जहां कल्चर आधारित मात्स्यिकी प्रमुख है और कुल मत्स्य उत्पादन में अधिकतम हिस्सेदारी का योगदान देता है। टैंकों और तालाबों से वर्तमान में उत्पादन 8.5 मिलियन मीट्रिक टन है। उत्पादन की दिशा में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में, विभाग ने 13.5 मिलियन मीट्रिक टन के लक्ष्य उत्पादन को प्राप्त करने के लिए टैंकों और तालाबों के क्षैतिज क्षेत्र का विस्तार करने को प्राथमिकता दी है।.

 

“सागर परिक्रमा” 75वें आजादी का अमृत महोत्सव की भावना के रूप में हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों को सलाम करते हुए सभी मछुआरों, मछली किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए तटीय क्षेत्र में समुद्र में परिकल्पित एक विकासवादी यात्रा है। यह भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों और अन्य हितधारकों के मुद्दों को हल करना है और भारत सरकार द्वारा पीएमएमएसवाई और केसीसी जैसे विभिन्न मत्स्य पालन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान की सुविधा प्रदान करना है।

“सागर परिक्रमा” की यात्रा 5 मार्च 2022 को “क्रांति से शांति” की थीम के साथ मांडवी, गुजरात से शुरू हुई है, जिसमें 3 स्थान मांडवी, ओखा-द्वारका और पोरबंदर शामिल हैं। दूसरे चरण के कार्यक्रम के बाद मांगरोल, वेरावल, दीव, जाफराबाद, सूरत, दमन और वलसाड से 7 स्थानों को कवर किया गया। बाद में, चरण- III ‘सागर परिक्रमा’ ने उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में 5 स्थानों अर्थात् सतपती (जिला पालघर), वसई, वर्सोवा, न्यू फेरी व्हार्फ (भौचा ढाका) और सैसन डॉक, और मुंबई के अन्य क्षेत्रों को कवर किया। कर्नाटक में चरण IV ‘सागर परिक्रमा’ में मुख्य स्थानों जैसे उडुपी और दक्षिण कन्नड़ और उत्तर कन्नड़ को शामिल किया गया। इस कार्यक्रम में 50,000 लोगों ने शारीरिक रूप से भाग लिया और कार्यक्रम को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव-स्ट्रीम किया गया और लगभग 30,000 लोगों ने इस कार्यक्रम को देखा। गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 19 स्थानों को कवर करते हुए चार चरणों में सफलतापूर्वक सागर परिक्रमा पूरी की। सागर परिक्रमा गीत गुजराती, मराठी और कन्नड़ में लॉन्च किया गया है।

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