क्राइम

देश में पिछले तीन वर्षों में साइबर अपराधों में निरंतर वृद्धि : उत्तराखंड में दर्ज हुए 1520 साइबर अपराध

To date more than 3.2 lakh SIM cards and 49,000 IMEIs as reported by Police authorities have been blocked by the Government of India.

 

-uttarakhandhimalaya.in-

नयी दिल्ली, 8 फरवरी । एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में साइबर अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है। उत्तराखंड जैसे राज्य में   वर्ष 2020  से लेकर 2022  तक 1520 साइबर अपराध दर्ज हुए हैं।  पुलिस अधिकारियों के अनुसार अब तक 3.2 लाख से अधिक सिम कार्ड और 49,000 आईएमईआई को भारत सरकार द्वारा ब्लॉक कर दिया गया है।

साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो कम्प्यूटर और नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। इसमें गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला जैसे गैरकानूनी रूप से किसी की निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत इस्तेमाल करना, उसमें फेरबदल करना, ऑनलाइन बैंक खातों से पैसे चुराना आदि सम्मिलित हैं ।

यह बात गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही। मिश्रा ने सदन को बताया कि  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने पब्लिकेशन “क्राइम इन इंडिया” में अपराधों पर सांख्यिकीय डेटा को इकट्ठा कर प्रकाशित करता है। लेटेस्ट प्रकाशित रिपोर्ट वर्ष 2022 के लिए है। एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के लिए साइबर अपराधों (मीडियम/टारगेट के रूप में संचार उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए ) के तहत दर्ज मामलों का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण एनेक्शर में है।

केंद्र सरकार अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पहल को बढ़ावा देती है। व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:

1. गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) तैयार किया है।

2. इसके तहत मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए सात संयुक्त साइबर समन्वय टीमों (जेसीसीटी) का गठन किया गया है, जो साइबर अपराध हॉटस्पॉट/क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करती है, जिसमें राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाने के लिए शामिल राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा बहु-क्षेत्राधिकार संबंधी मुद्दे शामिल हैं। 2023 में हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।

3. राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस के जांच अधिकारियों (आईओ) को प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता प्रदान करने के लिए नई दिल्ली में I4C के एक भाग के रूप में राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) तैयार की गई है। अब तक, राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) ने साइबर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच में मदद करने के लिए राज्य एलईए को लगभग 9,000 साइबर फोरेंसिक जैसे मोबाइल फोरेंसिक, मेमोरी फोरेंसिक, कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) विश्लेषण इत्यादि में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।

4. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ, जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाने के लिए, I4C के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in) लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाएं, उन्हें एफआईआर में बदलना और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

5. वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए I4C के तहत ‘सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ लॉन्च किया गया है। अब तक 4.7 लाख से ज्यादा शिकायतों में 1200 करोड़ रुपये बचाए गए हैं। ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।

6. सर्टिफिकेशन के साथ-साथ साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन आदि के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए I4C के तहत मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) प्लेटफॉर्म, अर्थात् ‘साइट्रेन’ पोर्टल बनाया गया है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 76,000 से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हैं और पोर्टल के माध्यम से 53,000 से अधिक प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।

7. पुलिस अधिकारियों के अनुसार अब तक 3.2 लाख से अधिक सिम कार्ड और 49,000 आईएमईआई को भारत सरकार द्वारा ब्लॉक कर दिया गया है।

8. I4C ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 6,000 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण प्रदान किया है।

9. I4C ने 23,000 से अधिक एनसीसी कैडेटों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण प्रदान किया है।

10. गृह मंत्रालय ने ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (सीसीपीडब्ल्यूसी)’ योजना के तहत, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना, जूनियर साइबर सलाहकारों की नियुक्ति और एलईए कार्मिक, लोक अभियोजक और न्यायिक अधिकारी के प्रशिक्षण जैसी क्षमता निर्माण और  के लिए 122.24 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। अब तक, 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। अब तक, 24,600 से अधिक एलईए कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच, फोरेंसिक आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

11. राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (साक्ष्य) हैदराबाद में बनाई गई है। यह प्रयोगशाला साइबर अपराध से संबंधित साक्ष्य के मामलों में आवश्यक फोरेंसिक सहायता प्रदान करती है, साक्ष्य को संरक्षित करती है और आईटी अधिनियम और साक्ष्य अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका विश्लेषण करती है; और इसने टर्नअराउंड समय को कम कर दिया है।

12. साइबर अपराध पर जागरूकता फैलाने के लिए, केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ एसएमएस के माध्यम से संदेशों का प्रसार, I4C सोशल मीडिया अकाउंट यानी और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से सुरक्षा जागरूकता सप्ताह, किशोरों/छात्रों के लिए हैंडबुक का प्रकाशन आदि शामिल हैं। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार-प्रसार करने का भी अनुरोध किया गया है।

13. सीईआरटी-इन निरंतर आधार पर कंप्यूटर, मोबाइल फोन, नेटवर्क और डेटा की सुरक्षा के लिए नवीनतम साइबर खतरों/कमजोरियों और जवाबी उपायों के संबंध में अलर्ट और सलाह जारी करता है।

14. सीईआरटी-इन ने आरबीआई के माध्यम से देश में प्री-पेड भुगतान उपकरण (वॉलेट) जारी करने वाली सभी अधिकृत संस्थाओं और बैंकों को सीईआरटी-इन-पैनल वाले ऑडिटर्स द्वारा विशेष ऑडिट करवाने, ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई कमियों वाली सर्विसेज को सुरक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के मकसद से बंद करने की सलाह दी है।

15. सीईआरटी-इन और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) संयुक्त रूप से डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘वित्तीय धोखाधड़ी से सावधान रहें और जागरूक रहें’ पर एक साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

पिछले तीन वर्षों के लिए साइबर अपराध (माध्यम/लक्ष्य के रूप में संचार उपकरणों को शामिल करते हुए) के तहत दर्ज मामलों का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण-

क्रमांक राज्यकेंद्रशासित प्रदेश 2020 2021 2022
1 आंध्र प्रदेश 1899 1875 2341
2 अरुणाचल प्रदेश 30 47 14
3 असम 3530 4846 1733
4 बिहार 1512 1413 1621
5 छत्तीसगढ 297 352 439
6 गोवा 40 36 90
7 गुजरात 1283 1536 1417
8 हरियाणा 656 622 681
9 हिमाचल प्रदेश 98 70 77
10 झारखंड 1204 953 967
11 कर्नाटक 10741 8136 12556
12 केरल 426 626 773
13 मध्य प्रदेश 699 589 826
14 महाराष्ट्र 5496 5562 8249
15 मणिपुर 79 67 18
16 मेघालय 142 107 75
17 मिजोरम 13 30 1
18 नगालैंड 8 8 4
19 ओडिशा 1931 2037 1983
20 पंजाब 378 551 697
21 राजस्थान 1354 1504 1833
22 सिक्किम 0 0 26
23 तमिलनाडु 782 1076 2082
24 तेलंगाना 5024 10303 15297
25 त्रिपुरा 34 24 30
26 उतार प्रदेश 11097 8829 10117
27 उत्तराखंड 243 718 559
28 पश्चिम बंगाल 712 513 401
  कुल राज्य 49708 52430 64907
29 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 5 8 28
30 चंडीगढ़ 17 15 27
31 डी एंड एन हवेली और दमन और दीव 3 5 5
32 दिल्ली 168 356 685
33 जम्मू एवं कश्मीर 120 154 173
34 लद्दाख 1 5 3
35 लक्षद्वीप 3 1 1
36 पुदुचेरी 10 0 64
  कुल केन्द्रशासित प्रदेश 327 544 986
  कुल (अखिल भारतीय) 50035 52974 65893

 

सोर्स: एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया

# वर्ष 2022 के लिए नागालैंड से स्पष्टीकरण लंबित है

 

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