भाजपा के अंदर से उठी आवाज़- विपक्ष का हो गया इंडिया…हटा दो… मिटा दो भारत से
-जयसिंह रावत
महान ब्रिटिश नाटककार, कवि और कथाकार विलियम शेक्सपीयर के नाटक ’’रोमियो और जूलियट’’ की नायिका जूलियट का कालजयी डायलॉग ‘‘नाम में क्या रखा है’’ (एक्ट-2दृष्य-2) आज भी लोगों की जुबां पर है। लेकिन हाल ही में देश के 26 विपक्षी दलों द्वारा अपने नये गठबंधन का नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) रखे जाने के बाद शेक्सपीयर द्वारा रिचत 4 सौ साल से भी पुरानी यह कालजयी कहावत अप्रासंगिक सी हो गयी है। अगर सचमुच नाम में कुछ नहीं रखा है तो विपक्षी गठबंधन के नये नाम इंडिया पर इतना बबाल क्यों हो रहा है। जो भाजपा इंडिया नाम की विभिन्न योजनाओं की मणिमाला गले में लटका कर गर्व से फूले नहीं समाती थी उसको अचानक इंडिया से इतनी एलर्जी क्यों हो गयी? पहले इस नाम को चुनौती 3 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट में दी गयी थी जो कि खारिज हो गयी थी। उस समय दिल्ली के एक व्यक्ति ने इसे औपनिवेसिक शब्द बता कर इसको संविधान के अनुच्छेद 1 से हटाने के लिये याचिका दायर की थी जिस पर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश की खण्डपीठ ने कहा था कि संविधान में पहले स्पष्ट किया गया है कि इंडिया ही भारत है। अब विपक्षी दलों के गठबंधन के नामकरण के बाद दिल्ली के बाराखम्बा रोड थाने में एक सख्श ने 26 विपक्षी दलों के खिलाफ मुकदमा ही दर्ज कर दिया। बात इतने पर रुकने वाली नहीं है। अब तो भाजपा सांसद नरेश बंसल ने राज्यसभा में इंडिया शब्द को हटाने के लिये संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन की मांग भी उठा ली। ताकि न रहेगा बांस और न बजेगी बांसूरी।

भारत के लोगों ने ही चुना था नये गणराज्य का नाम इंडिया
स्ंाविधान के भाग 1 अनुच्छेद (1) में देश के नाम और क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। जिसमें साफ लिखा है कि राज्यों के संघ का नाम इंडिया याने कि भारत होगा। मतलब साफ है कि देश का संवैधानिक नाम इंडिया और भारत दोनों ही है। इस नाम को संविधान सभा द्वारा भारत के लोगों की ओर से 26 नवम्बर 1949 को संविधान के साथ ही अंगीकार किया गया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हो गया। नये गणतंात्रिक भारत के जन्म की ऐतिहासिक घड़ी में भारत के अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत के लोगों द्वारा 26 नवम्बर 1949 को संविधानसभा में अंगीकृत संविधान के अनुसार भारत को सम्प्रभुता सम्पन्न गणराज्य की अधिघोषणा करते हुये कहा था कि, ‘‘और जबकि उक्त संविधान द्वारा यह घोषित किया गया है कि इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा जिसमें संघ के भीतर वे क्षेत्र शामिल होंगे जो अब तक राज्यपाल के प्रांत, भारतीय राज्य और मुख्य आयुक्तों के प्रांत थे’’।

इंडिया के खिलाफ बोलने का तोहफा मिला बंसल को
उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद नरेश बंसल की मांग को हल्के ढंग से नहीं लिया जा सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री को पिछले वर्ष लालकिले की प्राचीर से दिये गये उनके भाषण की ओर उनका ध्यान भी आकर्षित किया है, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि दास्तां के प्रतीक औपनिवेशिक चिन्हों से देश को मुक्ति दिलाना है। साथ ही आजादी के अमृत काल के लिये 5 प्रणों में से एक प्रण औपनिवेशिक मांइडसेट से देश को मुक्ति दिलाना भी है। संसद में इंडिया के खिलाफ भाषण का तोहफा नरेश बंसल को पार्टी में सह कोषाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के रूप में मिल गया है। केन्द्र की मोदी सरकार धारा 370 को हटाने जैसा कठिन कार्य कर चुकी है और समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रही है। इसलिये आगमी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन कर ‘‘इंडिया’’ शब्द को हटा दिया जाय तो आश्चर्य नहीं होगा।
देश का नाम बदलने का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है
राज्यों का नाम बदलना या उनका गठन और विस्तार करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसद को दिया गया है। लेकिन देश का नाम बदलने का उल्लेख अलग से कहीं नहीं है। इसलिये यह कार्य संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत ही किया जा सकता है। इस प्रावधान के अनुसार संविधान से इंडिया नाम हटाने के लिए उन प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता होगी जहां ‘‘इंडिया’’ नाम का उल्लेख है। संशोधित किए जाने वाले प्रावधान की प्रकृति के आधार पर, इसके लिए साधारण बहुमत या विशेष बहुमत की आवश्यकता हो सकती है। हालाँकि, किसी भी संवैधानिक संशोधन की तरह, संविधान की कुछ ‘‘बुनियादी विशेषताएं’’ हैं जिनमें संशोधन नहीं किया जा सकता है। इन बुनियादी विशेषताओं, जिन्हें ‘‘बुनियादी संरचना’’ सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है, इनमें वे तत्व शामिल हैं जो संविधान और देश का सार और पहचान बनाते हैं।
विश्व में भारत की पहचान है इंडिया
‘‘इंडिया’’ शब्द या नाम अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ‘‘इंडिया’’ नाम का इतिहास बहुत पुराना है और यह दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक से जुड़ा हुआ है। इस नाम का उपयोग सदियों से इस क्षेत्र और इसके लोगों को संदर्भित करने के लिए किया जाता रहा है। इस नाम को बनाए रखने से ऐतिहासिक निरंतरता और सांस्कृतिक पहचान की भावना सुनिश्चित होती है। ‘‘इंडिया’’ नाम देश के भीतर विविध संस्कृतियों के लिए एक एकीकृत कारक के रूप में कार्य करता है। भारत एक बहु-जातीय, बहुभाषी और बहु-धार्मिक राष्ट्र है, और ‘‘इंडिया’’ नाम इसके नागरिकों के बीच साझा पहचान और एकता की भावना प्रदान करता है। इंडिया नाम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मान्यता प्राप्त है। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों, राजनयिक बातचीत और विभिन्न वैश्विक प्लेटफार्मों में उपयोग किया जाने वाला आधिकारिक नाम है। ‘‘इंडिया’’ नाम देश के संविधान और कानूनी दस्तावेजों में निहित है। नाम बदलने के लिए जटिल कानूनी और संवैधानिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता होगी, जिसे लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा। ‘‘इंडिया’’ नाम देश के लिए एक ब्रांड बन गया है, जो इसकी समृद्ध संस्कृति, विरासत और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह पर्यटन को बढ़ावा देने और दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंडिया ने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सदियों से व्यापार, संस्कृति और ज्ञान का केंद्र रहा है। ‘‘इंडिया’’ नाम अपने साथ यह ऐतिहासिक और वैश्विक प्रभाव रखता है। कुल मिलाकर, ‘‘इंडिया’’ नाम देश के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह इसके समृद्ध इतिहास, विविध संस्कृति और वैश्विक समुदाय में अद्वितीय पहचान को समाहित करता है।