जल जीवन मिशन का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा पहाड़ी क्षेत्रों में
भिखियासैण,5 जून (उहि)। उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता व उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने जलजीवन मिशन की बदइंतजामी का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि इस योजना पर भारी धन खर्च होने के बाद भी लोगों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है।
तड़ियाल ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि, केन्द्र सरकार ने जल जीवन मिशन के अन्तर्गत घर-घर नल, घर-घर जल, नाम की एक लोक कल्याणकारी योजना चलाकर देश के हरेक नागरिक को पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का सपना निश्चय ही एक सराहनीय कदम है, अभी तक सरकार इस योजना पर अरबों रुपए खर्च कर चुकी है। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में विभाग की बद् इंतेजामी के कारण इसके उतने अच्छे परिणाम देखने को नही मिल रहे हैं । ऐसा प्रतीत होता है इस योजना को शुरू करने से पहले सरकार ने इसके लिए कोई होमवर्क नहीं किया है। जिसके परिणामस्वरूप आज यहां पहले से काम कर रही पेयजल योजनाएं भी दम तोड़ती नजर आ रही है । तड़ियाल ने कहा कि, जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत सरकार ने समूचे उत्तराखंड में एक भी नई लिपट योजना को बनाने का प्रयास नहीं किया है केवल पूर्व से चल रही पेयजल योजनाओं में नये पाइप लाइन बिछाकर जल जीवन मिशन योजना का मुल्लमा चढ़ाने का प्रयास मात्र हुआ है। यहां एक तरह से ‘पराई गाय में दान’ वाली कहावत सटीक बैठती है। उन्होंने आगे कहा जल महकमे ने अस्सी के दशक से पूर्व जिन लिफ्ट योजनाओं को बनाया उनकी जल वितरण क्षमता 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के हिसाब से डिजाइन की गई थी परन्तु नब्बे के दशक में इसे बढ़ाकर 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन किया गया था लेकिन जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत इसकी क्षमता को बढ़ाने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। आज जहां पहले लोग गांवों में तीन-चार जल स्तमभों मेंं एकसाथ मिलकर पानी भरते थे वहीं आज घर घर नल लगने से पानी का डिस्चार्ज कम हो गया है। जिसके कारण ढलान वाले घरों में तो पानी मिल रहा है लेकिन ऊंचे जगहों में स्थित घरों में पानी बिलकुल नहीं मिल पा रहा है जाहिर सी बात है इसकी क्षमता बढाये वगैरह पानी की पर्याप्त आपूर्ति हो ही नहीं सकती आज हालात यह है की इस गर्मी के सीजन मेंं भी पानी मुश्किल से तीसरे चौथे दिन में पहुंच रहा है। विभाग की ओर से इस भारी भरकम योजना की कोई देख रेख नहीं है पूरी योजना ठेकेदारों के भरोसे चल रही है। विभाग की ओर से कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं होने के कारण इसमें कई खामियां देखने को मिल रही हैं मसलन गांवों के जो परिवार महानगरों में स्थाई तौर पर निवास करते हैं उनके बन्द अथवा खंडहर हो चुके मकानों में भी इस योजना के जल संयोजन दिए गए हैं इनकी कोई देखरेख नहीं होने के कारण अधिकतर स्थानों में इन पाइपों में लीकेज हो रहे हैं जिसके कारण उन स्थानों में पानी बरवाद हो रहा है कुछ जगहों पर उनके निकटवर्ती लोग भी इन कनैक्शनों से पानी लेकर दुहरा लाभ ले रहे हैं एक ही गांव में एक व्यक्ति तीन चार जल स्तमभों से पानी भर रहा है तो दूसरे को उसके अपने कनैक्शन से भी पीने के लिए पानी मयस्सर नहीं हो रहा है। जिससे बड़ी अव्यवस्था देखने में आ रही है। ग्रामीण इलाकों में खास तौर पर इस बात को लेकर भी असंतोष है जहां एक ओर नीजि उपभोक्ताओं को 1728 रुपए का सालाना बिल भुगतान करना पड़ रहा है वहीं सामान्य उपभोक्ताओं को साल में 215 रुपए का बिल देना पड़ता है नये उपभोक्ताओं पर अभी कोई बिल चार्ज नहीं हुआ है। जबकि इस योजना के अंतर्गत पानी का वितरण हर घर में समान रूप से होना है इसके लिए कोई स्पष्ट बिल नीति तय होनी चाहिए।
आज़ जल जीवन मिशन जैसी लोक कल्याणकारी योजना विभागीय उदासीनता के कारण बदहाल स्थिति में है। अरबों रुपए खर्च होने के बाद भी जनता को एक-एक बूंद पानी के लिए इधर उधर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।