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सरकार के उदासीन रैवये का खामियाजा भुगत रहा है जोशीमठ : करन माहरा

देहरादून, 6 जनवरी (उहि)। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय‘‘राजीव भवन’’ में शुक्रवार को  पत्रकार पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने आरोप लगाया कि  जोशीमठ सरकार के उदासीन रैवये का खामियाजा भुगत रहा है।महारा ने कहा कि  सरकार  अगर  समय से जाग जाती तो जोशीमठ की आज ये हालत न होती।

माहरा ने बताया कि जोशीमठ में 1976 से ही कहा जा रहा है कि वह कमजोर पर्वतीय भूभाग में स्थापित है जो वर्तमान में सिस्मिक जोन 5  क्षेत्र में आता है,जिसे लगातार भूस्खलन का बड़ा खतरा बना हुआ है। समय-समय पर गठित समितियों ने जोशीमठ में सीमित निर्माण कार्यों को ही संस्कृति दिए जाने की बात कही, किन्तु एनटीपीसी द्वारा जिस तरह से काम कराए जा रहे हैं जिससे वहॉ की भूमि खतरे की जद में आ गयी है। माहरा ने बताया कि कुछ महीनों पहले चमोली में आयी एक दैवीय आपदा में एक नवनिर्मित टनल में कई लोग हताहत हुए थे. उस आपदा के बाद वहॉ के गावों में दरारों पड गयी हैं।

 

माहरा ने जानकारी देते हुए कहा कि 2013 में केदारनाथ आपदा के उपरांत समिति गठित हुई जिसने संस्तुति की थी कि सी-लेवल  2200 फिट से  उपर बांध न बनाया जाए उसके बावजूद भी कंपनियों द्वारा डाइनामाइट लगाये गये। यह जानते हुए भी कि वो सेस्मिक जोन है। उसके बावजूद भी वहाँ विकास कार्य नहीं रुके और 2021 में जब इसका खतरा बढ़ने लगा उसके बाद अनेकों संगठनों ने जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार से इन कार्यों को रोकने के लिए अपील की।

 

माहरा ने कहा कि भाजपा  के तत्कालीन बद्रीनाथ विधायक एवं वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन संजीदगी से नही किया। 2021 में जब भाजपा की सरकार थी तब महेन्द्र  भट्ट बद्रीनाथ के विधायक थे। उनके द्वारा अपनी सरकार रहते हुए ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे जोशीमठ का संरक्षण किया जा सके । एनटीपीसी के कार्यों को रोका जाए । 2019 में गठित समिति ने अपनी संस्कृति में कहा था कि बद्रीनाथ को जाने वाले ट्रैफिक को वनवे करना होगा । बद्रीनाथ जाने वाला ट्रैफिक जोशीमठ और आने वाला ट्रैफिक हेलंग बाई पास से होकर गुजरे तो बोझ कम होगा।

 

महारा ने 2005 की मनमोहन सिंह सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाए जाने की भी बात कही कि पहले की सरकारें आपदा आने के बाद प्रबंधन में जुटती थी लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम का गठन किया जिसमें तमाम प्रकार के नियम कायदे कानून बनाए गए और आपदा आने से पहले किस तरह से तैयारी करनी है उस पर ज़ोर दिया गया । राज्यों में आपदा प्रबंधन विभाग बनाए गए जिसके तहत लोगों के रेस्क्यू ,रिहैबिलिटेशन और रिसेटेलमेंट की व्यवस्था की गई।

 

माहरा ने कहा कि बनभूलपुरा की घटना में प्रदेश सरकार  बिलकुल नकारात्मक रवैया अपनाए हुयी थी। सरकार द्वारा इस उदासीन  रवैये से देश भर में उत्तराखंड की छवि संवेदनहीन राज्य के रूप में गई है। उन्होंने कहा कि जिस जमीन पर दो इण्टर कॉलेज, , दो मंदिर, गुरूद्वारे, बैंक और मस्जिद स्थापित हैं उसमें भी तुष्टीकरण की राजनीति ढूंढी गई। और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिको की रक्षा करें लेकिन सरकार की तरफ से ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।

 

पत्रकार वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी, मीडिया प्रभारी पी0के0 अग्रवाल, मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, महामंत्री नवीन जोशी, अनुकृति गुसाईं, नरेशानंद नौटियाल, जोशीमठ के पूर्व प्रमुख श्री जोशी जी, अमरजीत सिंह शीशपाल बिष्ट याकूब सिद्धकी आदि उपस्थित रहे।

 

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