पर्यावरण

स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी की काफल वाटिका 6 माह की हुई 

पोखरी, 24 नवंबर। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी में भूगोल विभाग द्वारा 6 माह पूर्व काफल के पेड़ लगाकर काफल वाटिका बनाई गई थी।तीन वर्ष हेतु विभाग द्वारा इसमें परीक्षणात्मक अध्ययन किया जा रहा है। जिसमें इसके भौगोलिक एवं सामाजिक पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा।

काफल वाटिका के संयोजक भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राजेश भट्ट ने बताया कि भूगोल विभाग प्रभारी डॉ अंजलि रावत के नेतृत्व में 5 जून 2024 को पर्यावरण दिवस के अवसर पर महाविद्यालय में एक सूक्ष्म काफल पेटी बनाई गई थी । तीन वर्ष हेतु विभाग द्वारा इसमें परीक्षणात्मक अध्ययन किया जा रहा है। जिसमें इसके भौगोलिक एवं सामाजिक पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा।

काफल वाटिका में छः माह में उपयुक्त जलवायु एवं 2000 मीटर से अधिक उच्चावच के कारण सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं एवं सामाजिक दृष्टि कोण से प्रारंभ में उत्साह वर्धक तथा समय वृद्धि के साथ ही उत्साह में सामान्यता देखने को मिल रही है।

महाविद्यालय में शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों द्वारा लगाए गए वृक्षों की देखरेख कुछ को छोड़कर सभी के द्वारा की जा रही है जिसका कि विभाग द्वारा पूरा लेखा-जोखा रखा जा रहा है । छः माह की अवधि में 50 काफल वृक्षों में 47 काफल वृक्ष सुरक्षा के साथ हंसते खेलते खिल रहे हैं। डॉ भट्ट ने बताया कि उच्च हिमालय क्षेत्र काफल के लिए अनुकूल जलवायु है, परंतु इसे फल पेटी बनाने हेतु सुनियोजित योजना का अभाव है।

इस हेतु विभाग द्वारा भौगोलिक एवं सामाजिक पहलुओं का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है जिससे कि उच्च हिमालय क्षेत्र में काफल पेटी विकास हेतु सतत योजना प्रस्तुत की जा सके जो उत्तराखंड पर्यटकों तथा आर्थिक विकास हेतु उपयोगी सिद्ध होगा। प्रभारी प्राचार्य डॉ अनिल कुमार ने बताया कि भूगोल विभाग का यह प्रयास सराहनीय है तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोगी संदेश है । साथ ही इस प्रकार के कार्य प्राध्यापकों के लिए अन्य एक्टिविटीज में भी उपयोगी हैं।

भूगोल विभाग अध्यक्ष डॉ0 अंजलि रावत ने बताया कि काफल वाटिका संयोजक डॉ0 राजेश भट्ट देखरेख, संयोजक डॉ रेनू सनवाल, विजय, प्रबल, अनिल , महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के सहयोग से काफल वाटिका संदेशात्मक स्वरूप ले रही है। स्थानीय निवासी एवं कर्मचारी सतीश चमोला एवं अनिल द्वारा पौधों की सुरक्षा के साथ प्रचुर मात्रा में खाद की व्यवस्था की जाती है।

छह माह पूर्ण होने के अवसर पर कार्यक्रम में प्राध्यापक डॉ रामानंद उनियाल, डॉ शशि चौहान, डॉ कीर्ति गिल , डॉ आरती रावत ,डॉ आयुष बर्त्वाल एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी प्रबल, सतीश चमोला , गुलशन आदि तथा छात्र-छात्राएं शामिल रहे।

 

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