छात्र राजनीति में आने लगी लाली और भगोया होने लगा फीका ? ?
-अनंत आकाश –
गढ़वाल विश्वविद्यालय के सबसे बड़े महाविद्यालय डीएवी कॉलेज छात्र संघ चुनाव में एस एफ आई की सोनाली की उपाध्यक्ष पद पर लगभग 16 सौ मतों से जीत के पीछे पिछले कुछ बर्षो से संगठन के नेतृत्व के अथक परिश्रम का परिणाम है। सोनाली ने बिधार्थी परिषद के प्रत्याशी को पराजित किया ।
पीछे मुड़कर देेेेखें तो इससे कुछ बर्ष पूर्व संगठन की प्रत्याशी सुप्रिया भण्डारी ने हजार से ज्यादा मत प्राप्त कर काफी बर्षो से चला आ रहा गतिरोध तोड़ा था । विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पिछले पांच बर्षो मेंं एस एफ आइ के नेतृत्व एवं साथियों ने छात्र समस्याओं को हल करने , समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में एवं संगठन के बिस्तार करने के प्रयासों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है । यही कारण है कि इससे पहले श्रीनगर कैम्पस में कोषाध्यक्ष पद पर 24 सौ से भी अधिक मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रत्याशी को 19 सौ से भी ज्यादा मतों से पराजित कर जीत दर्ज की । इसी जीत को आगे बढ़ाते हुऐ संगठन से जुड़े रहे पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों ने दिन-रात एकजुटता के साथ काम कर सोनाली की जीत को न केवल सुनिश्चित किया।
डीएवी महाविद्यालय में धन एवं बाहुबल को चुनौती देकर जीत दर्ज करना अपने आप में बड़ी बात है । इस जीत के लिये छात्र समुदाय,एस एफ आई संगठन का नेतृत्व तथा संगठन के पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारीगण तथा सभी सहयोगी बधाई के पात्र हैं । उम्मीद है कि सोनाली अपने संघर्षों व अनुभवों के आधार पर छात्र समुदाय से किये गये वायदों को पूरा करने में कामयाबी हासिल करेगी ।
आज डीएवी में अध्यक्ष पद को छोडकर विश्वविद्यालय सहित अनेक महाविद्यालयों से सत्ता से जुडी अखिल भारतीय बिधार्थी परिषद (abvp) को छात्र समुदय ने नकार दिया है। डीएवी में उनकी जीत का एक कारण एन एस यू आई की गुटबाजी एवं गैर जिम्मेदाराना रवैया रहा है। इस प्रकार छात्र समुदाय ने भाजपा सरकार की जोर जबर्दस्ती, साम्प्रदायिक ,विभाजनकारी तथा शिक्षा विरोधी नीतियों का मुंहतोड़ जबाब दिया है ।