लम्पी से रिखणीखाल क्षेत्र में मर रहे हैं पशु : सड़ान्ध से जन जीवन भी खतरे में
-रिखणीखाल से प्रभुपाल रावत-
रिखणीखाल के दूरस्थ गाँव नावेतल्ली में कयी पशु लम्पी बीमारी की चपेट में मर गए और यह क्रम अभी भी जारी है। मृत पशुओ के सड़ने से वातावरण में सड़ान्ध के कारण जन स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ गया है।
रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतल्ली व उसके इर्द-गिर्द गांवों में आजकल लम्पी बीमारी व अन्य अज्ञात बीमारी के कारण कई गाय बछिया चपेट में आकर दम तोड़ चुके हैं।
यहाँ लम्पी से हर रोज पशु मरते जा रहै हैं, उन्हें फेंकना भी मुश्किल हो रहा है। गाँव में बदबू ही बदबू फैली है। इससे मानव रोग भी जनित हो रहे हैं। लोग दुविधा में हैं कि उनके पशु कैसे ठीक हों। अपने ईष्ट देवी देवताओं को पैसा निकालने में लगे हैं कि हमारे पशु स्वस्थ हों तथा इस खतरनाक बीमारी से निजात मिले।
वन पंचायत सरपंच दान सिंह पटवाल के हवाले से खबर मिली है कि लगभग 15-20 दिन से ये बीमारी गाँव में पालतू पशुओं को चपेट में लिये हुए है। इसमें पशु के शरीर में लाल चलते व गोल गोल दाने निकल रहे हैं। कुछ फूटकर घाव बना रहे हैं तथा खाल, चमड़ी दिखाई देती है।घाव पर जख्म होकर मक्खी, मच्छर और परेशान कर रहे हैं। गाँव में अभी तक 10-12पशु इस बीमारी से अपनी जान गवां चुके हैं। जिनके पशु मर गये हैं उनमें थान सिंह रावत, रमेश रावत, दान सिंह पटवाल, झिमडू, पंचमू आदि कयी लोग हैं।
दान सिंह पटवाल ने बताया कि उन्होनें राजकीय पशु चिकित्सालय कोटडी के डाक्टर पल्लवी जायसवाल को फोन से सम्पर्क किया,उन्होनें फोन रिसीव कर किसी अन्य पशु चिकित्सक को रैफर करवाकर इति श्री कर ली।जो कि बसडा में तैनात डाक्टर विमल का था।जबकि डाक्टर पल्लवी जायसवाल नजदीक पर है।दूसरे साहब दूर हैं। डाक्टर विमल से सम्पर्क करने पर उन्होनें बुखार आदि की दो चार गोली देकर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली,लेकिन बीमार पशुओं पर कोई फर्क नहीं पड़ा। डाक्टर ने मौके पर आने की जहमत नहीं उठायी। मौके पर न आने के लिए बरसात का मौसम भी बहाना बनाया जा रहा है।
ये हाल हैं रिखणीखाल में सरकारी कर्मचारियों के। यह क्षेत्र जिला मुख्यालय पौड़ी से 200 किलोमीटर दूर है। न यहां कोई आता है न जाता है। कर्मचारी यजन ड्यूटी करने के लिए भी खुश नहीं है।जैसे द्वारी में सरकारी अस्पताल पर ताला पड़ा रहता है।