नैनो मिश्र धातुओं, अर्धचालकों और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के लिए नई सामग्री की भविष्यवाणी करने में मशीन नैनो मिश्र धातुओं, अर्धचालकों और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के लिए नई सामग्री की भविष्यवाणी करने में मशीन
वैज्ञानिकों ने नैनोस्केल पर मिश्र धातुओं का एक डिजाइन मानचित्र विकसित करने के लिए मशीन शिक्षण का उपयोग किया है, जो धातुओं के जोड़े के मिलान की भविष्यवाणी करने में सहायता कर सकता है, जो द्विधात्वीय नैनो मिश्र धातु बना सकते हैं।
इन नैनो मिश्र धातुओं को कोर-शेल नैनोक्लस्टर मिश्र धातु भी कहा जाता है। इसमें एक धातु कोर बनाती है और दूसरी सतह पर एक खोल के रूप में रहती है। इस नई सामग्री के लिए वैज्ञानिकों की खोज में एक नई सीमा है और बायोमेडिसिन व अन्य क्षेत्रों में इसके अनुप्रयोग हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि किन परिस्थितियों में नैनोक्लस्टर मिश्र धातुओं में कोर-शेल संरचनाएं बनती हैं व कौन सी धातु कोर बनाती है और कौन सी सतह पर शेल के रूप में रहती है। संयोजी ऊर्जा अंतर, परमाणु त्रिज्या (रेडियस) अंतर, सतह ऊर्जा अंतर और दो परमाणुओं की इलेक्ट्रोनगेटिविटी जैसे कई कारक परमाणुओं की कोर व शेल वरीयता में एक भूमिका निभा सकते हैं।
आवर्त सारणी में क्षार से लेकर क्षारीय पृथ्वी तक विभिन्न श्रेणियों की 95 धातुएं हैं, जो संभावित रूप से 4465 जोड़े बना सकती हैं। यह निर्धारित करना प्रयोगात्मक रूप से असंभव है कि वे नैनोक्लस्टर मिश्र धातु बनाने में कैसे व्यवहार करते हैं। लेकिन कंप्यूटर को ‘मशीन शिक्षण’ के जरिए इन जोड़ियों के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। मशीन को अच्छी तरह से परिभाषित विशेषताओं के साथ कई पैटर्न में फीड करके पैटर्न को पहचानना सिखाया जाता है। कंप्यूटर में जितना अधिक डेटा फीड किया जाएगा, कंप्यूटर का किसी अज्ञात डेटा की पहचान करना, उतनी ही सटीक होगा।
हालांकि, घटकों के रासायनिक क्रम की स्पष्ट पहचान के साथ प्रयोगात्मक रूप से संश्लेषित बाइनरी नैनोक्लस्टर्स की सीमित संख्या और सैद्धांतिक रूप से अध्ययन किए गए कुछ कोर-शेल संयोजनों के कारण वैज्ञानिकों को यहां एक असंतुलित ब्लॉक का सामना करना पड़ा। मशीन शिक्षण को 100 या उससे कम आकार के छोटे डेटा सेट पर विश्वास के साथ लागू नहीं किया जा सकता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान- एस एन बोस सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के शोधकर्ताओं ने 903 बाइनरी संयोजनों का एक बड़ा डेटा-सेट बनाने के लिए क्षार धातुओं, क्षारीय पृथ्वी, मूल धातुओं, संक्रमण धातुओं और पी-ब्लॉक धातुओं के विभिन्न संभावित द्विआधारी संयोजनों पर सतह से कोर सापेक्ष ऊर्जा की गणना करके इस समस्या को समाप्त किया। उन्होंने जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित अपने पेपर में इस बड़े डेटा सेट पर लागू मशीन लर्निंग के सांख्यिकीय उपकरण का उपयोग करके कोर-शेल मॉर्फोलॉजी (आकृति विज्ञान) को चलाने वाली प्रमुख विशेषताओं की जांच की। कोर में कम परमाणु संख्या वाली हल्की धातुओं वाली कोर-शेल संरचनाओं को टाइप 1 के रूप में वर्गीकृत किया गया था और कोर में भारी धातुओं वाले को टाइप 2 के रूप में वर्गीकृत किया गया था। सेट में हर एक डेटा बिंदु की व्याख्या करने के लिए कई विशेषताओं का निर्माण किया गया था।
एमएल मॉडल के प्रदर्शन को मौजूदा प्रयोगात्मक डेटा के साथ जोड़ा गया, इससे एमएल मॉडल विश्वसनीय साबित हुआ। इस तरह अब एमएल मॉडल में विश्वास स्थापित करने के बाद कोर-शेल पैटर्न को चलाने वाली प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण किया गया है। यह पाया गया कि प्रमुख कारकों का सापेक्ष महत्व क्षार धातु-क्षारीय पृथ्वी और संक्रमण धातु-संक्रमण धातु आदि जैसे उपसमुच्चय संयोजनों पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह भी पाया गया कि अगर दो प्रकार के परमाणुओं के बीच संयोजक ऊर्जा में अंतर बहुत छोटा है, तो नैनोक्लस्टर दोनों धातुओं का एक यादृच्छिक मिश्रण बनाता है। वहीं, अगर संयोजक ऊर्जाओं में अंतर बहुत बड़ा है, तो परमाणु एक संरचना में अलग हो जाते हैं, जिसमें दो मुख होते हैं। इनमें ए परमाणुओं का एक चेहरा और बी परमाणुओं का दूसरा चेहरा होता है, जिसे जानूस संरचना कहा जाता है। इसका नाम दो-मुखी ग्रीक भगवान के नाम पर रखा गया है।
इस प्रकार एमएल को नैनोसाइन्स से जोड़ने का प्रयास नैनोक्लस्टर में धातु परमाणुओं के मिश्रण पैटर्न का पता लगाने में सफल रहा और डिजाइन मानचित्र के लिए एक आधार बनाया, जो नैनोक्लस्टर मिश्र धातुओं के लिए धातुओं के जोड़े का चयन करने में सहायता कर सकता है। वैज्ञानिकों की ओर से विकसित इस डिजाइन मानचित्र का मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी और एस.एन. बोस सेंटर में नैनो प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया जाएगा।
एस.एन. बोस टीम के लिए अध्ययन का एक अन्य क्षेत्र दो असमान अर्धचालकों के संयोजन पर गठित विषम संरचना रहा है। उन्होंने स्थापित किया है कि मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए, दो अर्धचालकों के हेटेरो-जंक्शन में उपयोग किए जाने वाले हेटेरो-स्ट्रक्चर प्रकारों का सही अनुमान लगाया जा सकता है, जो एलईडी, सौर सेल और फोटोवोल्टिक उपकरणों जैसे उपकरणों का मुख्य हिस्सा है।
एसएन बोस की टीम की ओर से डिजाइन किए गए एमएल मॉडल ने टाइप 2 के 872 अज्ञात अर्धचालक हेटेरो-स्ट्रक्चर की भविष्यवाणी की थी, जहां इलेक्ट्रॉन और होल क्रमशः ए सेमीकंडक्टर और बी सेमीकंडक्टर में खुद को संरेखित करते हैं, जिससे सेमीकंडक्टर गैजेट्स के लिए एक वांछनीय हेटेरो-स्ट्रक्चर को जन्म दिया जाता है।
एसएन बोस सेंटर ने प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दुर्लभ पृथ्वी सामग्री के सस्ते विकल्प खोजने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया है। स्थायी चुंबकीय गुणों वाले दुर्लभ पृथ्वी यौगिकों का उपयोग लाउडस्पीकरों और कंप्यूटर के हार्ड ड्राइव में किया जाता है। इनमें से आवर्त सारणी के 17 तत्व जैसे कि नियोडिमियम, लैंथेनम और इसी अन्य तत्व पृथ्वी के क्रस्ट पर बहुत कम पाए जाते हैं। इसके अलावा इनकी आपूर्ति पर उन देशों का एकाधिकार है, जहां उनकी खदानें स्थित हैं। वैज्ञानिकों ने दुर्लभ पृथ्वी यौगिकों और उनकी विशेषताओं का एक डेटाबेस बनाकर और फिर मशीन-लर्निंग मॉडल का निर्माण करके स्थायी चुंबक के संभावित विकल्पों की एक सूची की भविष्यवाणी की है, जिनकी लागत 100 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम से कम होगी।
‘नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ के माध्यम से किए गए इस कार्य ने मानव जाति की नई सामग्री के अनुसंधान में एक पूरा नया अभियान जोड़ा है।
फोटो 1ए: कोर-शेल बाईमेटेलिक नैनोक्लस्टर के लिए मशीन लर्निंग मॉडल
फोटो 1बी: कोर-शेल, जानूस और मिश्रित संरचनात्मक पैटर्न के साथ बाइनरी मिश्र धातु नैनोक्लस्टर