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महावीर का जादू है, सर चढ़ के बोलेगा… पर भक्ति के सागर में डूबा टीएमयू

खास बातें :-

  • मेडिकल के श्रावकों ने अभिषेक औऱ शांतिधारा का कमाया पुण्य
  • टिमिट के एक नियम से बना जैन तीर्थंकर लघु नाटिका की धमाकेदार प्रस्तुति
  • परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे रहे टिमिट के स्टुडेंट्स- ऋतिक जैन और पवित्र कुमार
  • देशभक्ति की प्रस्तुति- जय हो को सेकंड परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे से नवाजा गया
  • प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री ऋषभ जैन बोले, उत्तम मार्दव धर्म के दिन नहीं करें अहंकार

-उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –

मुरादाबाद, 2 सितम्बर। उत्तम मार्दव धर्म के दिन श्रीजी की स्वर्ण औऱ रजत कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य मेडिकल के स्टुडेंट्स को प्राप्त हुआ। रिद्धि-सिद्धि भवन में भक्तिमय संगीत पर सभी श्रावक और श्राविकाएं आस्था के रंग में डूबे नजर आए। रजनीश जैन एंड पार्टी ने अपनी सुरीली आवाज पर पँखिड़ा- ओ- पँखिड़ा, पँखिड़ा… तु उड़ ने जाना पावागढ़ रे… कलशा ढालो रे ढालो रे नर नारी…, महावीर का जादू है, सर चढ़ के बोलेगा…, झूम-झूम के मंदिर में हो रही बाबा की आरती झूम-झूम के…, जब से गुरु दर्श मिला…, आदि भजनों पर श्रावक और श्राविकाएं जमकर झूमे। इस मौके पर कुलाधिपति के अलावा फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऋचा जैन, जैन फैकल्टीज के साथ सैकड़ों श्रावक और श्राविकाएं मौजूद रहे। सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री रिषभ जैन ने विधिपूर्वक पंचपरमेष्ठी पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरू पूजन, दसलक्षण आदि पूजन कराए।

 

ऑडी में शिकारी पुनर्वा के चरित्र ने अहिंसा पर केंद्रित नाटक- एक नियम से बना जैन तीर्थंकर को जीवंत कर दिया। टिमिट- प्रबंधन  की ओर से प्रस्तुत यह लघु नाटिका भगवान महावीर का अहिंसा परमो धर्म का संदेश देने में सफल रही। करीब 25 मिनट के इस प्ले में शिकारी पुनर्वा ने मुख्य किरदार की भूमिका निभाई है। पुनर्वा का रोल बीबीए के छात्र श्रेयांश जैन ने बखूबी निभाया है। यकायक पुनर्वा बीमार हो जाता है तो वन देवता उससे अंततः काले कौए का मांस न खाने का वचन लेते हैं, लेकिन फिर भी पुनर्वा सेहतमंद नहीं होता है। वह इलाज के लिए वैद्य जी की शरण में जाता है तो वैद्य जी दवा तो देते हैं, लेकिन शर्त यह होती है कि दवा काले कौए के मांस के साथ लेनी होगी। पुनर्वा ने वन देवता को काले कौए का मांस ना खाने का वचन दिया हुआ था तो उसने काले कौए के मांस का सेवन करने से साफ़ इंकार कर दिया। अंततः पुनर्वा ने हिंसा पर अहिंसा की जीत का संदेश देते हुए मृत्यु स्वीकार कर ली, लेकिन काले कौए का मांस नहीं खाया। पुनर्वा ने आखिरकार वन देवता को दिए वचन का निर्वाह किया। सभी पात्रों की वेश-भूषा किरदारों के मुताबिक़ थी। लाइट एंड साउंड भी संवादों के अनुरूप था। यह लघु नाटिका ऑडी में मौजूद सभी का दिल जीतने में सफल रही। इस नाटक में पुनर्वा की धर्मपत्नी का किरदार बीबीए की छात्रा कनिका जैन ने निभाया है, जबकि आयुष जैन, तन्मय जैन, आशी जैन, वरुण मोदी, अतिशय जैन, मुदित जैन आदि ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया। ऑडी का मंच इस लघु नाटिका के बाद गीत-संगीत ओर नृत्य में तब्दील हो गया। बीकॉम ऑनर्स की विदुषी जैन औऱ सृजल गुप्ता ने भक्ति गीतों…. मेरे दिल की है आवाज, प्रभु तुम्हें आना पड़ेगा…. आदि पर ऑडी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

कल्चरल इवनिंग प्रोग्राम के क्रम में गुजराती ग्रुप डांस औऱ दूसरा सोलो डांस हुआ। गुजराती ग्रुप डांस की प्रस्तुति में डांडिया औऱ गरबा करके छात्राओं ने खूब वाहवाही लूटी, जबकि सोलो का जादू तो सर चढ़कर बोला। अंततः इसके हीरो एमबीए के ऋतिक जैन को परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे घोषित किया गया। नुक्कड़ नाटक के जरिए साइबर सिक्योरिटी के प्रति अंश जैन, तनिष्क जैन आदि ने सचेत किया। आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर कश्मीर के सैनिकों की शहादत का भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस मार्मिक प्रस्तुति को देखकर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन समेत पूरा पंडाल गमगीन हो गया। जय हो कार्यक्रम में पवित्र कुमार, रुपेश सैनी, अनमोल जैन, आयुषी आर्य, साँची जैन आदि शामिल थे। जय हो को सेकंड परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे से नवाजा गया। अंत में एमबीए, बीबीए औऱ बीकॉम आदि के फाइनल ईयर के जैन स्टुडेंट्स को फेयर वेल दी गयी, जिसमें इन छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह दिए गए। कुलाधिपति के अनुरोध पर चुनिंदा छात्रों ने टीएमयू को लेकर अपने अनुभव भी साझा किए। इससे पूर्व श्रीमती ऋचा जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एसोसिएट डीन- प्रो. मंजुला जैन, टिमिट के डायरेक्टर प्रो. विपिन जैन, डीन- स्टुडेंट्स वेलफेयर डॉ. एमपी सिंह, मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. एसके जैन ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके कल्चरल इवनिंग का आगाज किया। निर्णायक मंडल में श्रीमती प्रीति जैन औऱ श्रीमती नेहा जैन शामिल रहीं। अंत में टिमिट के निदेशक प्रो. जैन ने सभी मेहमानों औऱ श्रावक-श्राविकाओं का आभार व्यक्त किया।

सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री रिषभ जैन उत्तम मार्दव धर्म के दिन श्रावक-श्राविकाओं को मंत्रों का उच्चारण कराते और अर्थ समझाते हुए पूजा कराई। उत्तम मार्दव धर्म के बारे में विस्तार से बोले, ज्ञान का आना अपने आप हो जाता है, जब विनय आती है। अर्थात जब चित्त औऱ व्यवहार में विनम्रता होती है तो ज्ञान अपने आप प्राप्त हो जाता है। विद्या ददाति विनयं, विनयं ददाति पात्रतं…। विद्या अर्जन के लिए विनय का होना आवश्यक है। लक्ष्मण जी को भी विनम्रतापूर्वक रावण के चरणों में जाने पर ही ज्ञान प्राप्त हुआ। यदि पुण्य ख़त्म हो जाता है तो सेवा करने वाली बहू भी नहीं मिलती औऱ कष्ट मिलते हैं। परिग्रह पुण्य से प्राप्त सामग्री है, जब मिले तो अहंकार नहीं करना चाहिए। सभी को नियम देते हुए कहा, हम प्रण लेते हैं, सभी से अच्छे से बात करेंगे औऱ अहंकार नहीं करेंगे। पूजन करते वक्त स्वास्तिक बनाने का कारण भी समझाया। ब्रह्मचारिणी बहन कल्पना जैन ने स्टुडेंट्स को भक्ति भाव में पूजन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

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