केदारनाथ में शकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के बाद अब मोदी आदिगुरु के जन्मस्थल भी पहुंचे
-उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –
नयी दिल्ली, 2 सितम्बर ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल गुरुवार को कोच्चि के कालडी गांव स्थित आदि शंकर जन्मभूमि क्षेत्रम, जोकि आदि शंकराचार्य की पवित्र जन्मस्थली है, का दौरा किया। पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर परिसर में आदि शंकर के पुनर्निर्मित समाधि स्थल पर उनकी 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था।
उन्होंने भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी जो अभी तक बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं और जिन पर आसीन संन्यासी ‘शंकराचार्य’ कहे जाते हैं। वे चारों स्थान ये हैं- (1) ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, (2) श्रृंगेरी पीठ, (3) द्वारिका शारदा पीठ और (4) पुरी गोवर्धन पीठ। इन्होंने अनेक विधर्मियों को भी अपने धर्म में दीक्षित किया था।
आदिगुरु शंकर के अवतार माने जाते हैं। इन्होंने ब्रह्मसूत्रों की बड़ी ही विशद और रोचक व्याख्या की है।पहले ये कुछ दिनों तक काशी में रहे, और तब इन्होंने विजिलबिंदु के तालवन में मंडन मिस्र को सपत्नीक शास्त्रार्थ में परास्त किया। उन्होंने समस्त भारतवर्ष में भ्रमण करके बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित किया तथा वैदिक धर्म को पुनरुज्जीवित किया। कुछ बौद्ध इन्हें अपना शत्रु भी समझते हैं, क्योंकि इन्होंने बौद्धों को कई बार शास्त्रार्थ में पराजित करके वैदिक धर्म की पुन: स्थापना की। ऐसी मान्यता है कि 32 वर्ष की अल्प आयु में सम्वत 477 ई . पू.में केदारनाथ धाम में परम लोक को सिधार गए।
कलाडी का शाब्दिक अर्थ है ‘पैरों के निशान.’ ऐसा माना जाता है कि पूर्णा या पेरियार नदी नदी से शंकर के गांव से कुछ दूरी पर बहती थी। एक बार बालक शंकर की मां नदी जाते समय बेहोश हो गईं और उन्होंने कृष्ण से प्रार्थना की। बालक की भक्ति और विश्वास से प्रसन्न होकर कृष्ण ने उनको आशीर्वाद दिया कि नदी उनके पदचिह्नों पर चलेगी. इस तरह वह नदी को गांव ले आए। तब से पेरियार नदी कलाडी गांव के करीब से बहती है। इस पवित्र स्थान और शंकराचार्य से जुड़ी जगहों को संरक्षित करने की काफी सुंदर कोशिश की गई है।