बंदरों व लंगूरों ने कास्तकारों ही नहीं आम जनता के भी नाक दम कर दिया
–-गौचर से दिग्पाल गुसाईं—
क्षेत्र में उत्पाती बंदरों व लंगूरों ने कास्तकारों ही नहीं आम जनता के नाक दम कर दिया है।इन जंगली जानवरों ने तमाम फसलों को फल लगने से पहले ही तहस नहस कर दिया है इससे कास्तकार खासे चिंता में पड़ गए हैं।
अमूमन बांज के जंगलों में जीवन यापन करने वाले लंगूरों ने लंबे समय से पालिका क्षेत्र के गांवों में डेरा जमा दिया है।जो तमाम पेड़ पौधों को भारी नुक़सान पहुंचा रहे हैं। इनसे निजात दिलाने के लिए क्षेत्रीय जनता कई बार वन विभाग से गुहार लगा चुकी है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही न किए जाने से लंगूर कास्तकारों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं।
लंगूर फलों ही नहीं मवेशियों के चारे के काम आने वाले पेड़ पौधों को भी नोच कर खा जा रहें हैं। यही हाल धनउत्पाती बंदरों का भी है। बंदरों ने भी तमाम प्रकार की सब्जियों की बेलों व पौधों को फल लगने से पहले ही नुक़सान पहुंचाना शुरू कर दिया है। इससे क्षेत्र के कास्तकारों को इस बात की चिंता शताने लगी है कि समय रहते इन जंगली जानवरों से निजात नहीं दिलाई गई तो उनको बीज का दाना भी नसीब नहीं हो पाएगा। हालांकि नगरपालिका द्वारा बंदरों का पकड़ने का कई बार अभियान चलाया गया लेकिन बंदर इतने चालाक हो गए हैं कि जिस क्षेत्र में पिंजरा लगाया जाता है बंदर वहां से नदारद हो जाते हैं।
अलग राज्य बने 22 साल बीतने को हैं इन 22 सालों में जितने भी छोटे बड़े चुनाव हुए हैं कोई भी प्रतिनिधि ऐसा नहीं रहा जिसने जनता से बंदरों व जंगली जानवरों से निजात दिलाने का वादा न किया हो लेकिन जीतने के बाद सबने जनता की इस सबसे बड़ी समस्या को आई गई बनाया है। पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश नेगी का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए सरकार से धन मुहैया कराने की आवश्यकता है। मैंने अपने कार्यकाल में कई बंदरों को पकड़वाया है। गौचर पालिका के अधिशासी अधिकारी एच एस असवाल का कहना है कि इस काम के लिए पालिका में बजट की कमी है।