हर साल 1 करोड़ से अधिक लोग टीबी से बीमार पड़ते रहते हैं ; भारत में प्रति वर्ष  मरने वालों की संख्या हुयी 3.31 लाख

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Tuberculosis (TB) is an infectious disease that most often affects the lungs and is caused by a type of bacteria. It spreads through the air when infected people cough, sneeze or spit. Tuberculosis is preventable and curable. About a quarter of the global population is estimated to have been infected with TB bacteria.

Tuberculosis (TB) is a preventable and usually curable disease. Yet in 2022, TB was the world’s second leading cause of death from a single infectious agent, after coronavirus disease (COVID-19), and caused almost twice as many deaths as HIV/AIDS. More than 10 million people continue to fall ill with TB every year. Urgent action is required to end the global TB epidemic by 2030, a goal that has been adopted by all Member States of the United Nations (UN) and the World Health Organization

 

TB is caused by the bacillus Mycobacterium tuberculosis, which is spread when people who are sick with TB expel bacteria into the air (e.g. by coughing). About a quarter of the global population is estimated to have been infected with TB (3). Following infection, the risk of developing TB disease is highest in the first 2 years (approximately 5%), after which it is much lower (4).1 Some people will clear the infection (5, 6). Of the total number of people who develop TB disease each year, about 90% are adults, with more cases among men than women. The disease typically affects the lungs (pulmonary TB) but can affect other sites as well.

-By Usha Rawat

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 7 नवंबर, 2023 को अपनी वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2023 जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने टीबी के मामलों का पता लगाने में सुधार को लेकर शानदार प्रगति की है और टीबी कार्यक्रम पर कोविड​​-19 का प्रभाव दिखा है।

क्षय रोग (टीबी) एक रोकथाम योग्य और आमतौर पर इलाज योग्य बीमारी है। फिर भी 2022 में, कोरोनोवायरस बीमारी (कोविड-19) के बाद, टीबी दुनिया में एक ही संक्रामक एजेंट से होने वाली मौत का दूसरा प्रमुख कारण था, और एचआईवी/एड्स की तुलना में लगभग दोगुनी मौतों का कारण बना। हर साल 10 मिलियन से अधिक लोग टीबी से बीमार पड़ते रहते हैं। 2030 तक वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, एक लक्ष्य जिसे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया है।

टीबी बेसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है, जो तब फैलता है जब टीबी से पीड़ित लोग हवा में बैक्टीरिया को बाहर निकालते हैं (उदाहरण के लिए खांसने से)। अनुमान है कि वैश्विक आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा टीबी (3) से संक्रमित है। संक्रमण के बाद, पहले 2 वर्षों में टीबी रोग विकसित होने का जोखिम सबसे अधिक होता है (लगभग 5%), जिसके बाद यह बहुत कम हो जाता है (4)।1 कुछ लोग संक्रमण से मुक्त हो जाते हैं (5, 6)। प्रत्येक वर्ष टीबी रोग विकसित होने वाले लोगों की कुल संख्या में से लगभग 90% वयस्क होते हैं, जिनमें महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक मामले होते हैं। यह रोग आमतौर पर फेफड़ों (फुफ्फुसीय टीबी) को प्रभावित करता है, लेकिन अन्य स्थानों को भी प्रभावित कर सकता है।

उपचार कवरेज में सुधार अनुमानित टीबी मामलों के 80 फीसदी तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19 फीसदी अधिक है। भारत के प्रयासों के परिणामस्वरूप साल 2022 में (2015 से) टीबी के मामलों में 16 फीसदी की कमी आई है, जो कि वैश्विक टीबी के मामलों में गिरावट की गति (8.7 फीसदी) से लगभग दोगुनी है। इस अवधि के दौरान भारत सहित वैश्विक स्तर पर टीबी से मृत्यु दर में 18 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी मृत्यु दर को साल 2021 के 4.94 लाख से घटाकर 2022 में 3.31 लाख कर दिया। यह एक साल की अवधि में 34 फीसदी से अधिक की कमी है।

वैश्विक टीबी रिपोर्ट- 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारत के लिए डेटा को “अंतरिम” के रूप में प्रकाशित करने पर सहमति व्यक्त की थी। यह सहमति इस समझ पर आधारित थी कि आंकड़ों को अंतिम रूप देने के लिए मंत्रालय की तकनीकी टीम के साथ डब्ल्यूएचओ काम करेगा।

इसके बाद डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी टीमों के बीच 50 से अधिक बैठकें हुईं। इन बैठकों में जिसमें देश की टीम ने प्राप्त सभी नए साक्ष्य प्रस्तुत किए। नि-क्षय पोर्टल के डेटा सहित देश में गणितीय मॉडलिंग विकसित की गई, जो हर एक रोगी के उपचार के दौरान उनके जीवनचक्र को दर्ज करता है।

डब्ल्यूएचओ की टीम ने प्रस्तुत किए गए सभी आंकड़ों की गहनता से समीक्षा की और उसने न केवल इसे स्वीकार किया, बल्कि भारत के प्रयासों की सराहना भी की। इस साल वैश्विक टीबी रिपोर्ट ने भारत के लिए बोझ अनुमानों, विशेष रूप से टीबी से संबंधित मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी के साथ संशोधित अनुमानों को स्वीकार और प्रकाशित किया है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी के मामले का पता लगाने को लेकर भारत की गहन रणनीतियों के परिणामस्वरूप साल 2022 में सबसे अधिक 24.22 लाख टीबी रोगियों की पहचान की गई। यह संख्या पूर्व-कोविड के ​​स्तरों से अधिक है। सरकार ने कई प्रमुख पहलों की शुरुआत की और उन्हें आगे बढ़ाया है, जिसके परिणामस्वरूप छुटे हुए मामलों के अंतर को काफी सीमा तक कम किया जा सका है। इन पहलों में मामले का पता लगाने के लिए विशिष्ट सक्रिय अभियान, आण्विक निदान को प्रखण्ड स्तर तक बढ़ाना, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों के माध्यम से परीक्षण सेवाओं का विकेंद्रीकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी शामिल हैं।

पूरे देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और जीवन के सभी क्षेत्रों के 1 लाख से अधिक नि-क्षय मित्र 11 लाख से अधिक टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए आगे आए हैं। साल 2018 में शुरू होने के बाद से नि-क्षय पोषण योजना के तहत 95 लाख से अधिक टीबी रोगियों को लगभग 2613 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। इसके अलावा मृत्यु दर में और अधिक कमी लाने व उपचार की सफलता दर में सुधार सुनिश्चित करने के लिए रोगी केंद्रित नई पहल, जैसे कि पारिवारिक देखभालकर्ता मॉडल और विभेदित देखभाल शुरू की गई हैं। इस रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यान्वित किए जा रहे राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में अतिरिक्त संसाधनों का निवेश करके टीबी उन्मूलन प्रयासों को प्राथमिकता देने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं।

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