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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने पूर्व-मानसून/मानसून स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की

नयी दिल्ली,  15 मई ( उहि )।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 5 मई को जबरदस्त गर्मी के साथ लू और मानसून की तैयारी की समीक्षा बैठक के अनुसरण में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने दक्षिण-पश्चिमी मानसून के लिए प्री-मानसून/ मानसून स्थिति पर एक समीक्षा बैठक की। बैठक में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), एकीकृत रक्षा कर्मचारी, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), भारतीय तटरक्षक बल, 19 बाढ़ संभावित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्थानिक आयुक्तों के अलावा आवास और शहरी मामले एवं गृह मंत्रालय के अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल हुए।

बैठक में 19 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की आपदा प्रबंधन योजनाओं (एसडीएमपी) की स्थिति की समीक्षा की गई। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्रों और जिला आपातकालीन संचालन केंद्रों (डीईओसी) की वर्ष में 365 दिन 24X7 कार्यक्षमता को सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई। आईएमडी ने सूचित किया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून, 2022 का पूर्वानुमान सामान्य रहने की संभावना है। एनडीआरएफ ने पहले ही राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के परामर्श से बाढ़ के संबंध में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के लिए पूर्व-मानसून तैनाती की योजना बनाई है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सिफारिशों के आधार पर एकीकृत बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली के साथ निर्णय समर्थन प्रणाली की अवधारणा को अपनाने पर भी विचार-विर्मश किया गया। इन राज्यों के नगर निकायों द्वारा इस प्रणाली को अपनाने से शहरी बाढ़ को काफी हद तक कम करने में सहायता की जा सकती है। जलाशयों और बांधों के खतरे और चेतावनी स्तरों की भी समीक्षा की गई और समय-समय पर जांच की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

जिलों और राज्यों में विभिन्न स्तरों पर आपदाओं के प्रबंधन में सहयोग करने के लिए आपदा मित्र स्वयंसेवकों की तैनाती के साथ-साथ रेत खदानों और कोयला खदानों में बाढ़ के नए उभरते खतरों पर भी चर्चा की गई। साजो-सामान और उपकरणों की समय पर खरीद और भंडारण पर भी चर्चा की गई। शहरी बाढ़ पूर्वानुमान और अचानक बाढ़ की संभावना वाले क्षेत्रों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला गया। विभिन्न राज्यों के “बाढ़ जोखिम क्षेत्र एटलस” तैयार करने में एनआरएससी के प्रयासों पर भी विचार-विमर्श किया गया। दामिनी ऐप का उपयोग; आने वाले मानसून के मौसम में शून्य मृत्यु दर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी के प्रसार के लिए नाउकास्ट के साथ-साथ विभिन्न गूगल अलर्ट पर भी जोर दिया गया था।

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