ऐतिहासिक नवंबर ; कई हस्तियां और 9 राज्य जन्मे थे इसी महीने
After the bifurcation of the JK into two separate Union Territories; the number of states in India changed to 28 states while the number of Union Territories became 9 which were 7 earlier the bifurcation.
-जयसिंह रावत
भारतीय इतिहास में नवम्बर का महीना अनगिनत घटनाओं से भरपूर रहा है। सन् 1857 की गदर के बाद इसी माह की पहली तारीख को बृटिश सामाज्ञी ने भारत की सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से हटा कर स्वयं अपने हाथ में ले ली थी। इसी नवम्बर के महीने रानी लक्ष्मी बाई, टीपू सुल्तान, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, लाला लाजपत राय, विरसा मंुडा, पंडित मदन मोहन मालवीय, हरिवंश राय बच्चन, इंदिरा गांधी, अमर्त्य सेन एवं इंदिरा गोस्वामी जैसी महान हस्तियों की जयन्तियों के कारण उत्सवों से भरपूर रहता है तो इसी महीने लाला लाजपत राय, बिनोवा भावे, बाला साहेब ठाकरे और श्रीनिवास कुमार सिन्हा आदि हस्तियों की पुण्य तिथियां भी मनाई जाती हैं। इसी महीने सन् 1949 को गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड्से और नारायण आप्टे को फांसी पर लटकाया गया। वहीं यह महीना देश के सर्वाधिक 9 राज्यों के जन्मोत्सवों के उपलक्ष्य में भी जगमगाता है। इसी महीने की पहली तारीख को तो देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश सहित 9 राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसी माह जन्मे तीन नवीनतम् राज्यों में छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड और झारखण्ड भी शामिल हैं। इसी महीने की 26 तारीख को हमारा संविधान भी अंगीकृत किया गया था। दुर्भाग्य से 1984 के सिख विरोधी दंगे भी इसी माह हुये थे।
भारत पर शासन के लिय रानी की घोषणा
भले ही सत्ता का औपचारिक हस्तांतरण रानी विक्टोरिया की उद्घोषणा के साथ मई 1858 में हुआ था। 1 नवंबर 1858 को, ब्रिटिश क्राउन ने एक और उद्घोषणा जारी की जिसे ‘‘रानी की उद्घोषणा’’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘‘रानी की उद्घोषणा’’ ने भारतीय आबादी को आश्वस्त किया कि ब्रिटिश शासन के तहत उनके अधिकारों, धर्मों और रीति-रिवाजों का सम्मान और सुरक्षा की जाएगी। इसने उन सिद्धांतों और नीतियों को भी रेखांकित किया जो भारत में ब्रिटिश शासन का मार्गदर्शन करेंगे और ब्रिटिश राज की अवधि के दौरान ब्रिटिश सरकार और भारतीय लोगों के बीच संबंधों की प्रकृति को आकार देने में मदद करेंगे।
नवम्बर में ही भारत को मिला अपना संविधान
इसी नवम्बर के महीने की 26 तारीख को संविधान सभा द्वारा भारत का संविधान संविधान अंगीकृत किया गया था। हमारा संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। जिसमें वर्तमान समय में केवल 470 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। नवम्बर की 26 तारीख को संविधान दिवस मानाया जाता है।
नवम्बर महीने में ही हुआ 9 नये राज्यों का जन्म
दरअसल अंग्रेजों ने एक भाषा बोलने वालों की भू-क्षेत्रीय समरसता की अनदेखी कर अपनी प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए मनमाने ढंगे से भारत को 21 बड़ी प्रशासनिक इकाइयों में बँटा हुआ था। स्वतंत्रता के बाद नये ढंग से राज्यों का पुनर्गठन करने एवं नये राज्यों की मांग के जोर पकड़ने लगी। इस महीने देश के जिन 9 राज्यों का जन्म हुआ जिनमें आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब का जन्म वर्ष 1956 में हुआ। इसी महीने मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक हुआ। जबकि वर्ष 2000 में इसी महीने की पहली तारीख को छत्तीसगढ़ भारतीय गणतंत्र को छब्बीसवां, 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड 27वां और 15 नवम्बर को झारखण्ड 28वां राज्य बना था। भारत के इतिहास में सम्पूर्ण नवम्बर महीने से भी महत्वपूर्ण इस महीने की पहली तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। पश्चिम बंगाल का नये क्षेत्रों के साथ पुनर्गठन भी 1 नवम्बर 1956 को ही हुआ था। नवम्बर में जन्म लेने वाले केन्द्र शासित प्रदेशों में अण्डमान निकोबार, दिल्ली और लक्षदीप शामिल हैं।
उत्तराखण्ड आन्दोलन के बाद उपजे तीन नये राज्य
नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश के उत्तराखण्ड में पृथक राज्य के लिये ऐसा जबरदस्त आन्दोलन भड़का जिसे स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रित आन्दोलनों के इतिहास में अहिंसक जनक्रांति भी कहा गया। इस आन्दोलन में लगभग 3 दर्जन लोगों ने अपनी शहादत दी। गांधी जयन्ती के दिन मुजफ्फरनगर में पुलिसकर्मियों द्वारा 7 आन्दोलनकारी महिलाओं से बलात्कार और 17 अन्य की लज्जा भंग की गयी। उत्तर प्रदेश सरकार के एडवोकेट द्वारा हाइकोर्ट में जमा रिपोर्टों के अनुसार 18 अगस्त 1994 से लेकर 9 दिसम्बर 1994 तक चमोली, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़ एवं पौड़ी गढ़वाल जिलों में कुल 20,522 गिरफ्तारियां की गयीं जिनमें से 19,143 लोगों को उसी दिन रिहा कर दिया गया जबकि 1,379 को जेलों में भेजा गया। इनमें से भी 398 लोगों को पहाड़ों से बहुत दूर बरेली, गोरखपुर, आजमगढ़, फतेहगढ़, मैनपुरी, जालौन, बांदा, गाजीपुर बलिया और उन्नाव की जेलों में भेजा गया। इस आन्दोलन को मुजफ्फरनगर काण्ड ने ऐसा मोड़ दिया कि तत्कालीन नरसिम्हाराव सरकार उत्तराखण्ड राज्य देने से तो कतरा गयी मगर हिल काउंसिल जैसी प्रशासनिक इकाई के लिये लोगों को मनाने लगी।
देवगौड़ा ने घोषणा की और बाजपेयी ने बनाये नये राज्य
इसी दौरान केन्द्र में सरकार बदली और नये प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने 15 अगस्त 1996 को लाल किले की प्राचीर से उत्तराखण्ड राज्य के गठन की घोषणा कर डाली। हालांकि संयुक्त मोर्चा के अपने अन्तर्विरोधों के कारण यह घोषणा फलीभूत नहीं हो पायी, मगर केन्द्र में संयुक्त मोर्चा की जगह अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आयी तो उसने न केवल उत्तराखण्ड अपितु झारखण्ड और छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन कर डाला। इस प्रकार 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) 27वां राज्य, 15 नवंबर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया।
छोटे राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता
इन छोटे राज्यों के गठन से शासन और प्रशासन भले ही जनता के करीब आ गया हो लेकिन इनमें से ज्यादातर में अवसरवाद, राजनीकि विचारों के प्रति प्रतिबद्धता की कमी और पदलोलुपता के कारण व्याप्त राजनीतिक अस्थिरता से इनका विकास भी अवरुद्ध होता रहा है। इस समस्या पर दलबदल कानून भी कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2000 में गठित झारखण्ड में 15 नवम्बर से 2019 तक 10 बार मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली तथा 3 बार राष्ट्रपति शासन रहा। इनमें बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोडा, हेमन्त सोरेनए रघुवर दास और हेमान्त सोरेन शामिल हैं। इसी तरह उत्तराखण्ड में गत 23 सालों में 10 मुख्यमंत्रियों ने 13 बार पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इन दो नये राज्यों में ही नहीं बल्कि गोवा, अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैण्ड जैसे छोटे राज्य आयाराम गयाराम राजनीतिक संस्कृति के पर्याय बन गये हैं। सन् 1987 में संघीय शासित प्रदेश बनने के बाद गोवा ने अब तक 20 बार मुख्यमंत्री बदलते देखा है। अरुणाचल प्रदेश में पिछले एक दशक में 6 मुख्यमंत्री बने। नगालैंड में पिछले एक दशक में यहां चार मुख्यमंत्री सत्तारूढ़ हुये।