अब हर साल 31 अगस्त बुग्याल दिवस के रूप में मनाया जायेगा

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-उषा रावत –

Kalyan Singh Rawat “Maiti”

देहरादून, 1 सितम्बर। चिपको की जन्मभूमि से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नयी पहल हो गयी है। पहल यह कि हिमालय के पर्यावरणवादी हर साल 31 अगस्त को बुग्याल दिवस मनायेंगे। हिमालय दिवस मनाने की शुरुआत भी उत्तराखण्ड हिमालय से ही हुयी थी। पहाड़ी भाषा में बुग्याल (मीडो) हिमालय के उन लम्बे चौड़े घास के मैदान को कहते हैं जो वृक्ष रेखा से ऊपर और कोल्ड डिजर्ट के नीचे होते हैं।

मैती आन्दोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत की पहल और गुरु राम राय विश्व विद्यालय के कुलपति डा0 उदय सिंह रावत के सहयोग से उन्हीं के विश्व विद्यालय सभागार में आयोजित प्रदेश के बुद्धिजीवियों और पर्यावरणवादियों की चिन्तन बैठक में हिमालयी बुग्यालों की उपेक्षा से अनुपम नैसर्गिक छटा और जैव विविधता से भरपूर हिमालयी बुग्यालों के संकट पर गहन चर्चा की गयी। इस चिन्तन बैठक में बीज वाक्य पद्मश्री आदित्य नारायण पुरोहित ने दिये। प्रोफेसर पुरोहित ने लम्बे समय तक तुंगनाथ आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों की जैव विविधता पर शोध किया है।

चिन्तन बैठक में प्रो0 पुरोहित और कल्याण सिंह रावत सहित सभी वक्ताओं का कहना था कि एक तो ग्लोबल वार्मिंग से वृ़क्ष रेखा के बुग्यालों की ओर खिसकने से बुग्यालों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। ऊपर से बुग्यालों की बेहद नाजुक वनस्पितियों और पारितंत्र की अति संवेदनशीलता से अनविज्ञ लोग बुग्यालों को रौंद रहे हैं। तस्कर कीड़ा जड़ी जैसी बहुमूल्य जड़ी बूटियों का बेतहासा दोहन कर रहे हैं। हथजड़ी या सालम पंजा जैसे मूल को जड़ से उखाड़े जाने से वे विलुप्ति की कगार तक पहुंच गयी हैं। बैठक में महसूस किया गया कि क्षेत्र विशेष के पारितंत्र के असली रखवाले वहां का स्थानीय समुदाय होता है। इसलिये बुग्याल संरक्षण की शुरूआत भी वहीं से होनी चाहिये। साथ ही स्कूल -कालेजों के विद्यार्थियों को भी बुग्यालों के महत्व और उनकी संवेदनशीलता के प्रति जागरूक किया जाना चाहिये।

      गुरु राम राय विवि एवं मैती फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को बुग्याल अमृत महोत्सव आयोजित किया गया।

लाइफ साइंस ऑडिटोरियम में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ विवि के कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत एवं मैती फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने किया। डॉ. उदय सिंह रावत ने कहा कि यहां विभिन्न वनस्पतियां एवं जड़ी-बूटियां अकूत मात्रा में हैं। बुग्यालों पर बढ़ते मानवीय दखल ने प्लास्टिक संग प्रदूषण बढ़ाया। उन्होंने मैती फाउंडेशन की ओर से घोषणा की कि हर साल 31 अगस्त को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में पद्मश्री एएन पुरोहित, प्रो. एमसी बागड़ी, मदन बिष्ट, गुलाब सिंह नेगी, संजय चौहान, डॉ महेंद्र सिंह कुंवर को गिरी गंगा गौरव सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान मैती फाउंडेशन के अध्यक्ष कल्याण सिंह रावत ने कहा, बुग्यालों का धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है। मैती की ओर से कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया गया। जागर गायिका बासंती देवी बिष्ट ने जागर प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संयोजक डॉ. विपुल जैन, डॉ. दिव्या नेगी घई, कुलसचिव डॉ. दीपक साहनी, डॉ. आरपी सिंह, मनोज तिवारी सहित कई लोग मौजूद रहे।

 

 

इस अवसर पर बुग्याल संरक्षण के लिए काम कर रहे बुग्याल वीरों को गिरी गंगा गौरव सम्मान देकर सम्मानित किया गया।

 

                                             उत्तराखण्ड के कुछ प्रमुख बुग्याल:-

फूलों की घाटी – चमोली

 

गोरसों बुग्याल – चमोली

 

चोपता बुग्याल – रुद्रप्रयाग

 

तपोवन बुग्याल – उत्तरकाशी

 

हर की दून बुग्याल – उत्तरकाशी

 

कुश कल्याण बुग्याल – उत्तरकाशी

 

बर्मी बुग्याल – रुद्रप्रयाग

 

कसनी खर्क बुग्याल – रुद्रप्रयाग

 

खतलिंग बुग्याल – टिहरी

 

मासरताल बुग्याल – टिहरी

 

कल्पनाथ बुग्याल – चमोली

 

रूपकुंड बुग्याल – चमोली

 

चौमासी बुग्याल – चमोली

 

दयारा बुग्याल- उत्तरकाशी

 

बेदिनी बुग्याल- चमोली

 

पंवाली काँठा बुग्याल – टिहरी

 

केदार कांठा बुग्याल- उत्तरकाशी

 

औली बुग्याल- चमोली

 

पांडुसेरा बुग्याल – चमोली

 

देवदामिनी बुग्याल – उत्तरकाशी

 

मनपे बुग्याल – चमोली

 

मानेग बुग्याल – उत्तरकाशी

 

कफनी बुग्याल – बागेश्वर

 

लाताखर्क बुग्याल – चमोली

 

कोराखर्क बुग्याल – चमोली

 

नंदनकानन बुग्याल – चमोली

 

 

 

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