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राजनीति का महाभारत : भाजपा ने नूपुर को अभिमन्यु बना कर क्यों छोड़ा?

दिनेश शास्त्री, देहरादून
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए कथित विवादित बयान के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया।
इसमें कुछ् लोगों को बेशक आश्चर्य हो, लेकिन मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ है। आपको याद है न! नूपुर शर्मा के बयान का मुस्लिम समुदाय ने भारी विरोध किया था। पार्टी ने भाजपा की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियों ने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया। यह विमर्श का अलग हिस्सा है। जब किसी पार्टी को ‘सबका साथ’ नामक इन्फेक्शन हो जाता है तो इस तरह की बात विचलित नहीं करती है। माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा कथित रूप से पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान से मचे बवाल की आग पर पानी डालने की कोशिश करने के प्रयासों के तहत कहा है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धर्म के पूजनीय लोगों का अपमान स्वीकार नहीं करती। लेकिन क्या आग बुझ गई है? यह सवाल यह पूछा जा सकता है कि क्या आप अपने कार्यकर्ताओं को इसी तरह निरीह छोड़ देना चाहते हैं?
बहरहाल नूपुर शर्मा के बयान से उपजे विवाद के बीच भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी को ऐसा कोई भी विचार स्वीकार्य नहीं है, जो किसी भी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए। ये तो हुई पार्टी लाइन। अब बात करते हैं उस सच की जो आप भी खुली आखों से देख और समझ सकते हैं। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नही है। पिछ्ले साल बंगाल में चुनाव के बाद से हुई हिंसा के बाद से भाजपा के दो सौ से अधिक कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। लोग अदालत गये तो सीबीआई की जान्च हुई। न्याय पाना अभी बाकी है। अभी और कितने लोग शहादत देगें, कोई नहीं जानता। इसी भाजपा के सौ से ज्यादा कार्यकर्ता केरल में भी तो जान दे चुके हैं। उनके परिवारो के साथ क्या किसी ने भाजपा नेता या पार्टी को खड़े होते देखा है? आपको ऐसा कुछ याद आ जाए तो मुझे भी जरूर बताइयेगा।
अब सवाल यह है कि
दुनिया के देशों से आन्ख मिला कर बात करने का दावा करने वाली सरकार एक बयान से इस कदर विचलित हो गई कि उसने अपनी प्रखर वक्ता को दूध की मक्खी की तरह तब बाहर फेन्क दिया जब उसके जीवन को गम्भीर खतरा हो। उसका सिर तन से जुदा करने का फरमान जारी हो चुका हो। अकेली नूपुर ही क्यो, उसके पूरे परिवार पर खतरा है। ऊपर से आपने उसका घर का पता भी सार्वजनिक कर दिया। एक समाचार चैनल ने तो बाकायदा मुनादी सी कर दी कि नूपुर कहां रह रही है।
बात फिर वहीं आ जाती है कि जब आप दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करते हों तो सबसे बड़ी डरपोक पार्टी का तमगा भी गले में बांध क्यों नहीं लेते जो अपने लोगों के साथ खड़ी न हो सके। सुनो सरकार इस हालत में आप अपना कुनबा खोने में देर नहीं लगाएंगे और नूपुर के मामले से लग रहा है कि इसकी शुरुआत हो गई है। अब आपकी अगली मन्जिल आप ही जाने।
( ये लेखक के निजी विचार हैं जिनसे एडमिन या संपादक मंडल का सहमत होना जरुरी नहीं है )

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