योग दिवस पर रामदेव ने कहा अग्निवीर योजना में भी जो संशोधन आवश्यक है, सरकार करेगी
हरिद्वार, 20 जून। 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस- को सफल बनाने के उद्देश्य से आज स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार स्थित पतंजलि वैलनेस सेंटर, पतंजलि योगपीठ-।। में योग प्रोटोकोल का पूर्वाभ्यास (रिहर्सल) कराया। इस अवसर पर स्वामी ने कहा कि पतंजलि योग का पर्याय है, पूरा देश और विश्व योगमय बने, यही हमारा संकल्प है।
अग्निवीर प्रकरण पर स्वामी रामदेव ने कहा कि युवा धैर्य रखें, अग्निपथ पर नहीं योग पथ पर चलें। योगपथ पर आन्दोलन भी अहिंसक होता है। अहिंसक आंदोलन होने चाहिए, अहिंसक धर्म, अहिंसक राजनीति, अहिंसक खेती, अहिंसक व्यापार और अहिंसक मीडिया, सब जगह अग्निपथ नहीं योग पथ पर चलें। अग्निपथ पर योजना में भी जो संशोधन आवश्यक है, सरकार करेगी। आग लगाने से, ट्रेन जलाने से देश का नुकसान होता है, यह राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान आत्मघात है, यह किसी भी युवा को नहीं करना चाहिए। आर्मी के जवान देश की सेवा करते हैं, देश फूँककर देश की सेवा नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में आजादी के अमृत महोत्सव तथा 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 75 आइकोनिक स्थानों पर, 500 जिलों की 5000 तहसीलों में और लाखों गावों में करीब 25 करोड़ लोग एकसाथ, एकरूपता से योग कर एकजुटता का संदेश देंगे। उन्होंने कहा कि योग कोई पूजा-पाठ नहीं, हमारे पूर्वजों की विद्या है और इससे शारीरिक, मानसिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक जो भी मांगें है, भूख है, अभिप्सा है वो पूरी होती हैं, जिससे हम बी.पी., शूगर, थायराइड, अर्थराइटिस, अस्थमा आदि दुसाध्य रोगों को नियंत्रित व क्योर कर सकते हैं। इतना ही नहीं सब व्याधियों से मुक्त होकर, व्याधियों की समाप्ति कर समाधि की प्राप्ति कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि योग के विविध पहलू हैं जिनपर हम प्रकाश डालेंगे और सबको यह समझायेंगे कि कुछ लोगों ने भ्रान्ति फैलाई कि योग केवल कन्दराओं में रहने वाले योगियों को करना चाहिए, कुछ लोगों ने भ्रान्ति फैलाई कि अमुक धर्म के लोेगों को योग नहीं करना चाहिए।
रामदेव ने कहा कि जब 177 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का समर्थन किया तो उसमें कम्यूनिस्ट देश भी थे, इस्लामिक देश भी थे, क्रिश्चयन देश भी थे, सब राष्ट्र अध्यक्षों ने माना कि योग कोई मजहबी विद्या नहीं। आरोग्य की आत्मनिर्भरता का सूत्र है योग।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारे लिए गौरव की बात है कि योग भारत की विधा है। यदि योग पूरी दुनिया में पहुँचता है तो भारत और भारतीयता के लिए इससे गौरवशाली क्षण नहीं हो सकता। हम उसी क्षण में जी रहे हैं, आनन्दित हो रहे हैं। हम सबको भी योग जरूर करना है जिससे कि यह संदेश जाए कि जहाँ से योग विद्या का प्रादुर्भाव हुआ है, उस देश का प्रत्येक व्यक्ति योग करता है और योग के लिए समर्पित है।