तीन साल में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक पहुँच जाएगी रेल
- इस रेल लाईन पर 12 स्टेशन
- 17 टनल बनाये जा रहे हैं
- मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने14 सितंबर को रेल विकास निगम के अधिकारियों के साथ ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की समीक्षा की।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबंधक हिमांशु बडोनी ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने के लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। बडोनी ने जानकारी दी कि 125 किमी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन पर 12 स्टेशन व 17 टनल बनाये जा रहे हैं। मुख्य सुरंगों के कार्यों में तेजी लाने के लिए 10 कार्य स्थलों के लिए 12 किमी की एप्रोच रोड का निर्माण पूर्ण हो चुका है। जबकि 07 में से 06 एडिट टनल का कार्य पूर्ण हो चुका है।
अभी तक परियोजना में अपेक्षानुरूप गति से काम हुआ है। ऋषिकेश के बाद परियोजना मुख्यतः अंडरग्राउंड है। भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। इस रेल लाईन पर 12 स्टेशन और 17 टनल बनाये जा रहे हैं। काम निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर एक साथ काम चल रहा है। एप्रोच रोड़ पहले ही बनाई जा रही हैं।
बडोनी ने बताया कि रेल विकास निगम द्वारा अनेक जनकल्याणकारी काम किए जा रहे हैं। श्रीनगर में 52 बेड का संयुक्त चिकित्सालय बनाया जा रहा है। ऑक्सीजन प्लांट भी बनाए गए हैं। रेल परियोजना की बेल्ट को हॉर्टिकल्चर और हनी बेल्ट के रूप में विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया जा रहा है।
पिछले रिकार्डों के अनुसार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए पहला सर्वे 1919 में गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे.एम. क्ले ने करवाया था। इसके बाद इस लाईन के लिए 1927 के आस पास भी सर्वे हुआ। उसके बाद हुये सर्वेक्षणों के आधार दार्जिलिंग और शिमला तक तो उस समय रेल चली गयी, मगर उत्तराखण्ड अब तक कर्णप्रयाग तक रेल की प्रतीक्षा कर रहा है। सन् 1996 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सतपाल महाराज की पहल पर एक बार फिर कर्णप्रयाग तक सर्वे हुआ। इसी तरह टनकपुर-बागेश्वर लाइन अंग्रेजी प्रशासन की प्रस्तावित योजनाओं में शामिल रही। कुछ लोग पहाड़ के इस ख्वाब का नाम ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल के बजाय अलकापुरी एक्सप्रेस या सतोपंथ एक्सप्रेस जैसा नाम चाहते हैं।