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मृदुभाषी,सरल स्वभाव के कामरेड दिनेश पाण्डेय का असमय चले जाना…

अनन्त आकाश
मृदुभाषी सरल स्वभाव के कामरेड दिनेश पाण्डेय अब इस दुनिया में नहीं रहे,शुक्रवार को रानीधरा अल्मोड़ा स्थित पैतृक निवास में हृदयाघात के चलते उनकी असमय मृत्यु हो गई। कामरेड पाण्डेय अपने पीछे वृद्ध माता पिता, पत्नी अर्चना दो पुत्र कबीर व आरुष के साथ ही एक भरापूरा परिवार छोड़ गये है। उनकी छोटी बहिन कामरेड सुनीता पाण्डेय जनवादी महिला समिति की प्रान्तीय अध्यक्ष हैं तथा अल्मोड़ा की लोकप्रिय अधिवक्ता हैं ।

कामरेड दिनेश पाण्डेय कम्युनिस्ट पांत के अभिन्न व महत्वपूर्ण शख्सियत रहे हैं, जिन्होंने पिछले साढ़े तीन से भी अधिक दशकों से लाल झण्डे को हाथ में थामे अपने साथियों के साथ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर गरीब तथा अभिशप्त हिस्से की बुलंद रूप से आवाज उठाई है। संपूर्ण कुमाऊं क्षेत्र के विकास को एक जनपक्षीय नजरिए से देखते हुए उस दिशा में संघर्ष करना उनका प्रमुख योगदान अविस्मरणीय है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण बिनसर क्षेत्र में ग्रामीण समुदाय आधारित निवेश व समुदाय आधारित लाभ की नीति पर विलेज वेज के नाम से पर्यटन विकास को बढ़ावा देने में ऐतिहासिक योगदान रहा है जो कि आज के दौर की वंतरा रिजॉर्ट पर्यटन मॉडल का एक बेहतर विकल्प है ।

दूरदृष्टि रखने वाले कामरेड दिनेश पांडे ने सोच विचार कर उस दिशा में काम किया, जिसके तहत आज अल्मोड़ा के विनसर क्षेत्र के आस पास के गांवों के कई युवा विलेज वेज के तहत समुदाय आधारित पेइंग गेस्ट पर्यटन के कारोबार से अपना रोजगार कर रहे हैं। पर्यटन को रोजगार से जोड़ने व जन पक्षी पर्यटन रोजगार नीति बनाने के लिए प्रदेश सरकार से कई बार उन्होंने वार्ता की और बहुआयामी सुझाव भी दिए, किंतु पूरे प्रदेश में समुदाय आधारित पर्यटन रोजगार की नीति बनने का उनका सपना आज भी अधूरा रह गया है। इसके अलावा जनपद उधम सिंह नगर के शक्ति फार्म में किसान सभा द्वारा बंगाली विस्थापितों की जमीन को सूदखोरों से छुड़ाए जाने के लिए चलाए गए आंदोलन में कामरेड दिनेश पांडे का भारी योगदान रहा है।

माकपा नेता कामरेड आर.पी जोशी कामरेड दिनेश पाण्डेय का नाम लेते ही भावुक हो गये उन्होंने कामरेड मदन मिश्रा से अपनी बात शेयर करते हुए कामरेड पाण्डेय के साथ बिताये हुऐ संघर्ष के दिनों को याद करते हुऐ कहा कि वे 1989 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने तथा वे एस.एफ. आई के बुनियादी सिध्दांतों के साथ हमेंशा खड़े रहे, कभी भी उन्होंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया । माकपा नेता आर.पी जोशी ने कहा कि जैसे ही कामरेड दिनेश जोशी भारी मतों से अल्मोड़ा कैंपस के छात्रसंघ अध्यक्ष बने वैसे ही कुछ दिनों बाद पहाड़ में आरक्षण विरोधी आन्दोलन की ज्वाला धधकने लगी किन्तु उन्होंने अपने पूरे छात्र संघ के पदाधिकारियों के साथ आरक्षण के पक्ष में मजबूत स्टैण्ड लिया, सामाजिक न्याय के पक्ष में यह उनकी साफ व स्पष्ट समझ का ही परिचायक था।

उनका मानना था कि आरक्षण के खात्मे से दलित एवं कमजोर तबके के लिए आगे आने व बढ़ने के वे तमाम अवसर समाप्त हो जाऐंगे जो आज संवैधानिक व्यवस्था के तहत उन्हें प्रदत हैं। उनकी सैद्धांतिक दृढ़ता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि संविधान विरोधी व गरीब विरोधी आरक्षण विरोध के आंदोलन के मुद्दे पर वे भारी छात्र व जन दबाव के आगे भी नहीं झुके, जिसके परिणाम स्वरूप इस दौरान आरक्षण विरोधियों ने उनके पैतृक निवास पर पथराव तक कर डाला तथा उनसे इस्तीफे की मांग की किन्तु उन्होंने आरक्षण विरोधियों की एक न सुनी ।

आर.पी. जोशी आगे बताते है कि अल्मोडा़ में 1988 में जन नाट्य मंच का गठन संयुक्त रूप से हुआ जिसमें कामरेड दिनेश पांडे,आर.पी जोशी,दयाल दा,पूरन पाण्डेय,महेंद्र बिष्ट, अशोक पंत,भावना आदि अनेक साथी सक्रिय थे। जन नाट्य मंच के गठन व इसकी सक्रियता के चलते इस सांस्कृतिक आंदोलन से कई युवा प्रेरित व प्रभावित हुए जिनमें एक जमाने की विख्यात कला मूवी बैण्डेट क्वीन के हीरो दिवगंत निर्मल पाण्डेय भी उनमे प्रमुख थे जो दिनेश पाण्डे से काफी प्रभावित थे,दोनों का पैतृक गांव महाकालेश्वर के पास पान-बैरती अगल- बगल के गांव हैं ।

कामरेड दिनेश दा शुरुआती दौर में जन नाट्य मंच एवं स्टूडेंट्स फैडरेशन आफ इण्डिया से जुड़कर अल्मोड़ा महाविधालय छात्र संघ के लोकप्रिय अध्यक्ष बने,उन्होंने छात्र राजनीति का उपयोग छात्रों व समाज की बेहतरी के लिये किया। छात्र राजनीति का व्यक्तिगत हितों के लिए इस्तेमाल करने की स्थापित परंपरा के विपरीत लीक से हट कर काम करने में उनकी इस महारत ने उन्हे उस समय कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं की अग्रिम पंक्तियों में स्थापित कर दिया।उन्होंने शिक्षा एवं साक्षरता के आंदोलन में भी बढ़ चढ़ कर काम किया साथ ही नुक्कड़ नाटकों के जरिए शिक्षा व साक्षरता के लिए जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम भी भारत ज्ञान विज्ञान समिति के सहयोग से उनके द्वारा चलाए गए। अपने सरल स्वभाव व हर वक्त हर किसी की समस्या के समाधान के लिए उपलब्ध रहने के कारण जनता के बीच वे दिनेश दा के नाम से जाने जाते थे।

अल्मोड़ा जनपद में छोटी पार्टी होने के बावजूद भी उनके नेतृत्व में अल्मोड़ा में सी.पी.एम का पिछला राज्य सम्मेलन होना अपने में बड़ी बात थी, जो दिनश दा और वहाँ के साथियों की पार्टी के प्रति प्रतिबध्दता एवं जनता के मध्य पहचान को ही दर्शाता है। अल्मोड़ा हिन्दुस्तान के कम्युनिस्ट आन्दोलन के पुरोधा कामरेड पी. सी जोशी की जन्म स्थली तथा पेशावर विद्रोह के महानायक कामरेड चन्द्रसिंह गढ़वाली की कर्मस्थली भी रही है। कामरेड पाण्डेय व उनके साथियों ने संघर्ष और बलिदान की परम्परा को आगे बढ़ाते हुऐ अपने व्यक्तिगत कैरियर को तिलांजलि देकर समाज की बेहतरी के लिये लाल झण्डा उठाया। वे कस्वों से लेकर सुदूरवर्ती गांवों तक गये । उस दौर में अल्मोड़ा कुमाऊं जैसे क्षेत्र में एक बडे़ उद्देश्य के लिये काम करना अपने आप में एक चुनौती थी, जो कामरेड पाण्डेय एवं उनके साथियों ने बिगत बर्षो में करके दिखाया ।

कुमाऊं भी हमारा ऐसा क्षेत्र रहा है जहाँ प्रगतिशील मूल्यों व आन्दोलन का रूढिवादी, दकियानूसी मानसिकता से निरन्तर ठकराव रहा है। यहाँ दलित समाज पर शादियों में घोड़ी चढ़़ने पर कफिल्टा जैसी नरसंहार की घटनाओं का होना, तो आटे की चक्की छूने पर शिक्षक द्वारा दलित समाज के युवा की हत्या तथा हाल के दिनों में अन्तरजातीय विवाह करने पर दलित समाज के युवा की हत्या इस समाज में सामन्तवादी सोच के अवशेषों को ही दर्शाता है। 1991के बाद कांग्रेस की नव उदारवादी नीतियों तथा आज संघ परिवार-भाजपा की साम्प्रदायिक एवं कॉरपोरेट तथा फूटपरस्त नीतियों ने समाज के सामने गम्भीर चुनौती खड़ी कर दी है। परिणामस्वरूप भाजपा की झूठ, फूट व लूट की राजनीति ने हमारी पार्टी तथा प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष ताकतों के सामने इनसे निपटते हुऐ आगे बढ़ने के लक्ष्य के साथ कामरेड पाण्डेय सतत संघर्ष कर रहे थे। सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष कामरेड मदन मिश्रा जो कि अक्सर पार्टी एवं जनसंगठनों व ट्रेड यूनियन के कार्य से अल्मोड़ा जाते रहे हैं उनसे वार्ता करने पर वे कहते हैं कि 28 अक्टूबर 2022 की देहरादून रैली में दिनेश दा से हुई मुलाकात अंतिम होगी उन्होंने कभी नहीं सोचा था। उसके बाद वे सीटू के अल्मोड़ा जिला सम्मेलन में राज्य कमेटी की ओर से बतौर पर्यवेक्षक जाने पर पहली बार उनकी मुलाकात दिनेश दा से नहीं हो पाई, क्योंकि उन दिनों दिनेश दा अपने पिताजी के इलाज के लिए अपनी बहन कॉमरेड सुनीता के साथ दिल्ली गए हुए थे। 30 नवम्बर को अल्मोड़ा सीटू जिला सम्मेलन सफल ढंग से संपन्न हो इस संबंध में मंत्राणा करने के लिए आर. पी. जोशी और उन्होंने 29 नवंबर 2022 की रात्रि को काफी लंबी फोन वार्ता साथी दिनेश पांडे से की।

दिनेश दा से उनके पिताजी की कुशल क्षेम जानने के बाद उन्होंने सम्मेलन के लिए अपने अमूल्य सुझाव भी दिए और अपनी पारेवारिक परिस्थितियों के कारण सम्मेलन में अनुपस्थित रहने का अफ़सोस उनकी बातचीत मे सपष्ट रूप से महसूस हो रहा था। 30 नवंबर की सायं को उन्होंने ही फोन कर कामरेड मिश्रा से सम्मेलन की सफलता पर गर्मजोशी के साथ बधाईयां दी थी और मुलाकात ना हो सकने के लिए मलाल भी व्यक्त किया। कॉमरेड मदन मिश्रा बताते हैं कि 5 नवम्बर को उन्होंने दिनेश दा से उनके पिताजी के स्वास्थ्य के संबंध में हाल-चाल जानने के लिए फोन किया था, कामरेड मिश्रा कहते हैं कि नहीं मालूम था कि दिनेश दा के साथ यह उनकी आखिरी फोन वार्ता होगी! आगे कहते है कि 2003 से 2016 तक भारत की जनवादी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश दा व कामरेड मिश्रा प्रदेश महामंत्री रहे। दोनो ने तेरह साल राज्य पदाधिकारी के रूप में साथ-साथ काम किया। वे बताते हैं कि यूं तो दिनेश दा को सभी छात्र जीवन से ही जानते थे।

वह अल्मोड़ा कैंपस में छात्र राजनीति करते हुए अल्मोड़ा कैंपस के छात्र संघ अध्यक्ष रिकॉर्ड मतों से निर्वाचित हुए। बहुत ही लोकप्रिय छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में आज भी उन्हें याद किया जाता है। छात्र राजनीति के बाद दोनों नौजवान सभा में काम करने लगे, कामरेड मिश्रा ने कहा कि दिन दा के साथ काम करने का मेरा बेहतरीन अनुभव रहा उन्होंने अपने व्यक्तिगत कामों को कभी भी संगठन के कामों के बीच आड़े आने नहीं दिया। पूरे प्रदेश में जनवादी नौजवान सभा के विस्तार और विकास में उन्होंने सबके साथ बेहतर केमिस्ट्री बनाकर जिस तरीके से काम किया वह तारीफ ए काबिल एवं प्रेरणादाई है। कामरेड मदन मिश्रा स्वयं में गोपेश्वर छात्रसंघ के लोकप्रिय अध्यक्ष रहे हैं ।

कामरेड दिनेश पाण्डेय के असमय चले जाने से हमारी पार्टी के साथियों पर और अधिक जिम्मेदारी आ गई है जिसे स्वीकार करते हुऐ आगे बढ़ना ही आज के समय की मांग है। हमारी राज्य की जनता के लम्बे संघर्ष एवं कुर्बानी के बाद जो कुछ भी हासिल किया उसे बचाये रखने की चुनौती हमारे सामने है ।
(9 दिसम्बर022 को जैसे ही कामरेड दिनेश पाण्डेय की मृत्यु का दुखद समाचार मिला,इस अप्रत्यासित खबर से पार्टी के लोग काफी दुखी व आहत थे। इस अनहोनी से पूर्व हरिद्वार के जिलामन्त्री कामरेड आर.सी धीमान की असमय चले जाने से पार्टी उभर भी नहीं पायी थी कि कामरेड दिनेश पाण्डेय के निधन की सूचना ने पार्टी को हिलाकर रख दिया। आनन फानन में देहरादून से पार्टी राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, देहरादून पार्टी जिला सचिव कामरेड राजेंद्र पुरोहित, जनवादी महिला समिति की प्रान्तीय उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल, महामंत्री दमयंती नेगी, सीटू प्रदेश महामन्त्री कामरेड महेंद्र जखमोला,सचिव लेखराज तथा चमोली से पार्टी राज्य कमेटी सदस्य कामरेड मदन मिश्रा, सीटू प्रदेश कोषाध्यक्ष कामरेड मनमोहन सिंंह रौतेला,चमोली सीटू उपाध्यक्ष कामरेड जितेंद्र मल्ल अल्मोड़ा के लिये रवाना हो गए, जहाँ अगले दिन कम्यूनिस्ट परम्परा व राजनीतिक सम्मान के साथ पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने सुयाल नदी तट विश्वनाथ घाट पर उनकी अन्तेष्टि हुई जिसमें समाज के विभिन्न हिस्सों के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। पार्टी राज्य कमेटी व प्रदेश के सभी पार्टी कार्यालयों ने कामरेड पाण्डेय के सम्मान में अपना झण्डा झुकाया ।

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