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वैज्ञानिकों को पता लगाना है कि आखिर क़ुतुब मीनार झुकी क्यों है ? उसकी छाया अब दिसंबर तक नापी जाएगी

-उषा रावत
नयी दिल्ली, 21 जून। विश्व योग दिवस पर सरकारी तौर पर पहली बार होने वाला दिल्ली में महरौली स्थित ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार का खगोलीय वैज्ञानिक परीक्षण नहीं हो सका। मौसम खराब होने और बादल छा जाने के कारण यह परीक्षण फिलहाल टाल दिया गया है। मौसम साफ होने के लिए नैनीताल और बेंगलुरु से पहुंचे विज्ञानी इंतजार करते रहे। परीक्षण को अब नवंबर या दिसंबर में किया जाएगा।

भारतीय वैज्ञानिकों को दिल्ली स्थित कुतुब मीनार के खगोलीय अध्ययन के लिये मीनार की छायाओं को नापने का कार्य सौंपा गया है।  । विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सहायता से  मीनार के आसपास सूर्य की गतिविधि का एक खगोल भौतिकी विश्लेषण किया किया जाना है।  अध्ययन से यह निर्धारित होगा कि क्या कुतुब मीनार एक निश्चित कोण पर झुकी हुई है, क्या इसका कोई खगोलीय महत्व है ? और क्या 21 जून को दोपहर में मीनार की शून्य छाया यानी कोई छाया नहीं होती है। वैज्ञानिकों को अपने अध्ययन की रिपोर्ट राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकारण को देनी है।इसमें कुछ विशेष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है ।

तरुण विजय  के अनुसार  इससे न सिर्फ यह पता चलेगा कि क्या दोपहर में शून्य छाया की स्थिति बनती है, बल्कि इससे छाया की लंबाई में बढ़ोतरी पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी। कुतुब मीनार के आकार को देखते हुए, इन मापों से इसके झुकाव की गणना करना संभव होगा। झुकाव के कुछ कोणों के लिए, ऐसा अनुमान है कि दोपहर को छाया जमीन पर दिखेगी और कुछ समय के लिये यह मीनार पर दिखेगी। इस उद्देश्य के लिए, जब छाया कुछ समय मीनार पर रहेगी तो इसको मापने के लिए एक उपकरण की मांग की गई है।

दरअसल इस झुकी हुई मीनार को भूकंप के दौरान भी बचाए रखने में इस टावर के नीचे की खास स्ट्रक्चर वाली मुलायम मिट्टी सबसे बड़ा योगदान है। दरअसल इस टावर की लंबी उचाई, उसका कड़ापन और उसके नींव की मुलायम मिट्टी मिलकर एक ऐसी स्थिति का निर्माण करते हैं, जिससे भूकंप के दौरान भी इस मीनार में कंपन नहीं होता।

राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अनुरोध पर अध्ययन के लिए वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सर्वेक्षकों की एक टीम बनाई गई है, जिसमें भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, बेंगलुरु के वैज्ञानिक संचार प्रमुख डॉ. नेरुजू मोहन रामानुजम, आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के श्री राजीव ध्यानी शामिल हैं। वे एक अध्ययन करेंगे और राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री तरुण विजय को एक रिपोर्ट सौंपेंगे।

क़ुतुब मीनार लाल और बफ सेंड स्टोन से ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। 13वीं शताब्‍दी में निर्मित यह भव्‍य मीनार दिल्‍ली में खड़ी है। इसका व्‍यास आधार पर 14.32 मीटर और 72.5 मीटर की ऊंचाई पर शीर्ष के पास लगभग 2.75 मीटर है। कुतुब मीनार में 379 सीढ़िया है जिससे आपको इसकी विशालता का पता लग जायेगा। लेकिन अब। आपको सीढ़ियों के सहारे मीनार में ऊपर जाने की अनुमति नहीं है। इस संकुल में अन्‍य महत्‍वपूर्ण स्‍मारक हैं जैसे कि 1310 में निर्मित एक द्वार, अलाइ दरवाजा, कुवत उल इस्‍लाम मस्जिद; अलतमिश, अलाउद्दीन खिलजी तथा इमाम जामिन के मकबरे; अलाइ मीनार सात मीटर ऊंचा लोहे का स्‍तंभ आदि।

गुलाम राजवंश के क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने ए. डी. 1199 में मीनार की नींव रखी थी और यह नमाज़ अदा करने की पुकार लगाने के लिए बनाई गई थी तथा इसकी पहली मंजिल बनाई गई थी, जिसके बाद उसके उत्तरवर्ती तथा दामाद शम्‍स उद्दीन इतुतमिश (ए डी 1211-36) ने तीन और मंजिलें इस पर जोड़ी।यह मीनार प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई बार क्षतिग्रस्त हुई जिसे फिरोज शाह तुगलक ने मरम्मत करके ठीक करवाया। बाद में मुगल शासक शेरशाह सूरी ने इसमें एक मंजिल और जोड़कर इसे आज का रूप दिया।

 

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