दून यूनिवर्सिटी में सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन अल्ट्रा वायलेट -विस्बिल स्पेक्ट्रोस्कोपी पर व्याख्यान
- उचित विधि से डाटा संग्रहण एवं विश्लेषण का शोध की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण स्थान : डॉ विनीत कुमार
- सिर्फ पेटेंट हासिल करना उद्देश्य नहीं बल्कि शोध की उपयोगिता एवं व्यावहारिकता अधिक महत्वपूर्ण: डॉ राजकुमार
–uttarakhandhimalaya.in —-
देहरादून, 29 जनवरी । दून विश्वविद्यालय में भारत सरकार द्वारा समर्थित ‘सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम यूटिलाइज़िंग द साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर’ (स्तुति) योजना कार्यक्रम के तहत रसायन विज्ञान, भौतिकी और पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन विभाग में ” एडवांस्ड इंस्ट्रुमेंटल टेक्निक्स ऑफ़ सिंथेसिस एंड फैसिकोकेमिकल एनालिसिस ऑफ़ ननोमाटेरिअलस ” पर सात दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ स्थित स्तुति परियोजना प्रबंधन इकाई के सौजन्य से 27 जनवरी से 2 फरवरी तक आयोजित कीजा रही है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन फ्रॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (एफ आर आई)के प्रख्यात वैज्ञानिक एवं रसायन प्रभाग में चीफ साइंटिस्ट डॉ विनीत कुमार ने इंफ्रारेड एवं अल्ट्रा वायलेट -विस्बिल स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक के ऊपर वख्यान दिया एवं फ्रॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में किये जा रहे शोध कार्यों से अवगत कराया । उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे देश के विभिन्न राज्यों से आये पीएच0डी0 के छात्र -छात्राओं को स्पेक्ट्रोस्कोपिक तकनीक के मूल सिधान्तो से अवगत करवाते हुए कहा कि किसी तकनीक का प्रयोग न केवल सही एवं उचित विधि से डाटा अभिग्रहण के लिए जरूरी है परन्तु उसका सही एवं उचित विधि से विश्लेषण एवं उसे समाज के लिए उपयोगी बनता महत्वपूर्ण है। इस तकनीक के उपयोगिता बताते हुए डॉ विनीत कुमार ने कहा के आज के तकनीकी युग में किसी भी प्रकार के शोध कार्य की कल्पना स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों के इस्तेमाल के बिना नहीं के जा सकती।
दूसरे सत्र में प्रतिभागियों को उपकरणों की व्यावहारिक जानकारी देते हुए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम (आई आई पी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं क्रुएड आयल एरिया के एरिया हेड डॉ राज कुमार कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर)तथा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम (आईआईपी) के नवीनतम अनुसंधानों के बारे में बताया। डॉ राज कुमार ने कहा कि मात्र किसी शोध पर पेटेंट लेना ही उपलब्धतधा नहीं है बल्कि उस तकनीक की बाजार में माँग उसकी उपयोगिता का मानक है और सी एस आए आर विश्व में इसमें अग्रणी भूमिका में है। डॉ राज कुमार ने पेट्रोलियम इंडस्ट्री में स्पेक्ट्रोस्कोपीय टेक्निक्स की मदद से की जाने वाली रीसर्च कार्यों से भी अवगत करते हुए कहा की भारत में स्वदेशी ईंधन संसाधन की तकनीक भी विकसित की जा रही है ताकि युद्ध या किसी प्राकृतिक आपदा की समय भी भारत आत्मनिर्भर रहे। प्रतिभागियों के रोचक प्रश्नो ने इस सत्र को रुचिकर बनाया।
कार्यक्रम का संचालन दून विश्वविद्यालय की केमिस्ट्री विभाग विभागाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार ने किया। आज के अंतिम सत्र में कार्यक्रम की संयोजक डॉ. चारु द्विवेदी एवं शोधार्थी ज्योति रावत ने प्रतिभागियों को वैज्ञानिक शोध मैं उपयोगी तकनीक पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया डॉ चारू द्विवेदी ने कहा के इस कार्यक्रम के सब प्रतिभागी कभी भी शोध में उपयोग किए जाने वाले तकनीक का प्रयोग अपने रिसर्च कार्यों के लिए दून यूनिवर्सिटी में कर सकते हैं । कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद डॉ हिमानी शर्मा ने एवं तकनीकी सहयोग डॉ शिवा अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।