क्या सचमुच आने वाले विधानसभा चुनावों में हार से डर गये मोदी ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अन्ततः तीनों विवादित कानूनों को वापस लेने की घोषणा किये जाने को विपक्षी नेताओं ने जहां अहंकार की हार और अन्नदाता की जीत बताया वहीं सरकार समर्थकों ने प्रधानमंत्री की घोषणा का अभिनन्दन कर उनकी सराहना भी की है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तो इसे 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को देखकर हारने के डर से लिया गया कदम बताया है। कुछ विपक्षियों ने प्रधानमंत्री से किसानों के साथ ही सम्पूर्ण देश से अपनी हठधर्मिता के लिये माफी मांगने की मांग भी की है। राजनीतिक विष्लेशकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा निर्णय लेने में काफी विलम्ब कर दिया जिससे उनकी लौह पुरुष और दृढ़ निश्चयी की छवि को धक्का लगा है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि प्रधानमंत्री भले ही अपनी बॉडी लेंग्वेज से स्वयं को बादशाह की तरह दिखने का प्रयास करते हैं मगर वोटों के लिये वे कभी किसी के पैर धोने लगते हैं तो कभी पैर पड़ने लगते हैं और अब तो इतने लम्बे समय तक अड़े रहने के बाद पुनः नतमस्तक हो कर उन्होंने साबित कर दिया कि वोटों के लिये मोदी जी कुछ भी कर सकते हैं।
अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ग्रेट न्यूज. गुरुनानक जयंती के पवित्र अवसर पर हर पंजाबी की मांगों को मानने और 3 काले कानूनों को निरस्त करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद. मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार किसानों के विकास के लिए मिलकर काम करती रहेगी.
प्रियंका गांधी का तंज– चुनाव में हार दिखने लगी तो देश की सच्चाई समझ आ गई
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 600 से अधिक किसानों की शहादत , 350 से अधिक दिन का संघर्ष. पीएम मोदी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी. आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला. उनपर लाठिया बरसायीं, उन्हें गिरफ्तार किया. अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी, कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती.
सरकार ने देर से फैसला किया– मायावती
बसपा सुप्रिमो मायावती ने कहा, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को देर से रद्द करने की घोषणा की है. यह फैसला बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. इसके लिए सभी किसानों को हार्दिक बधाई. यदि केंद्र सरकार यह फैसला काफी पहले ले लेती तो देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता.
ये पीएम मोदी के अहंकार की हार– सीएम गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है. यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है. देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं. यह उनके बलिदान की जीत है.
हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं फैसला– चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, लोकतांत्रिक विरोध से जो हासिल नहीं किया जा सकता, वह आने वाले चुनावों के डर से हासिल किया जा सकता है! तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा नीति परिवर्तन या हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव के डर से प्रेरित है! वैसे भी, यह किसानों के लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी जीत है जो कृषि कानूनों के विरोध में अडिग थी.
पहले वापस लेते तो कई किसानों की जान बच जाती– कमलनाथ
एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा, पहले कृषि कानून वापस लेते तो कई किसानों की जान बचाई जा सकती थी. यह किसानों के संघर्ष की जीत है. इसने अहंकारी सरकार को झुका दिया. पिछले साल सितंबर में संसद में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 1 साल से अधिक समय से देश भर के लाखों किसान भाई सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे , सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की गुहार लगा रहे थे ,बारिश ,ठंड ,भरी गर्मी में भी वह इस कानूनों के विरोध में सड़कों पर डटे रहे. इस आंदोलन के दौरान 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई ,किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी ,कई-कई राते सड़कों पर गुजारना गुजारना पड़ी ,उन्हें तरह-तरह की उलाहना भी सहना पड़ी ,कभी उन्हें आतंकवादी ,कभी देशद्रोही ,कभी दलाल ,कभी अन्य नामों से संबोधन किया गया लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए।
आज लोकतंत्र की जीत हुई– दिग्विजय सिंह
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, तीनों कृषि कानून आए तो पूरी भाजपा लगी रही कि बहुत अच्छे कानून है. बहुत अच्छे कानून है. बड़ी प्रगति होगी यहां तक की नरेंद्र मोदी ने हर भाषण में कुछ ना कुछ किसानों के खिलाफ आए हुए कानून के पक्ष में बात की. लेकिन आज फिर से लोकतंत्र की विजय हुई है. किसान आंदोलन की विजय हुई है. उन बहादुर किसानों को मैं बधाई देता हूं जो आज 1 साल से धरने पर बैठे थे उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं. जो इस बहुत प्रसन्नता के साथ यह बात कहना चाहता हूं कि देश के किसानों ने एक बार फिर से जता दिया कि उनसे बिना पूछे तलाशें कोई भी मिला कानून लाएंगे, किसान अपना हित समझता है आप उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते.
तेजस्वी बोले– यह किसान की जीत
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, यह किसान की जीत है, देश की जीत है. यह पूंजीपतियों, उनके रखवालों, नीतीश-भाजपा सरकार और उनके अंहकार की हार है. विश्व के सबसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक किसान आंदोलन ने पूंजीपरस्त सरकार को झुकने पर मजबूर किया. आंदोलनजीवियों ने दिखाया कि एकता में शक्ति है. यह सबों की सामूहिक जीत है. बिहार और देश में व्याप्त बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण के ख़िलाफ हमारी जंग जारी रहेगी.
सिद्धू बोले– ये सही दिशा में कदम
नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया, काले कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में एक कदम. किसान मोर्चा के सत्याग्रह को ऐतिहासिक सफलता मिली. आपके बलिदान से यह संभव हुआ है. पंजाब में एक रोड मैप जरिए खेती को पुनर्जीवित करना पंजाब सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
चुनाव में हार के डर से वापस लिए कानून– संजय सिंह
आप सांसद संजय सिंह ने कहा, ये मोदी के अन्याय पर किसान आंदोलन की जीत है उन्हें ढेरों बधाई. भारत के अन्नदाता किसानो पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैंकड़ों किसानो की शहादत हुई अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया. इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी. देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनो काला कानून वापस हुआ.
भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने किया सरकार के फैसले का स्वागत
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि मैं भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने की आज घोषणा कर दी है. इसके लिए उनका बार-बार स्वागत और बार-बार अभिनंदन करता हूं. ऐसा ही होना चाहिए देश का प्रधानमंत्री जो किसानों के लिए एक की बात सुनकर किसी को दुखी ना होने दें . लेकिन लेकिन भारत के किसानों के बारे में मैं जानता हूं किसान परेशान हैं 75 साल में किसानों को कोई खेती के भाव नहीं मिले, गेहूं का, गन्ने का, आलू का धान का इसलिए किसान कर रहा है इसलिए कर्जा माफ करने की घोषणा करके किसान आयोग का गठन करके किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार दे दो.