ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य बोले, मानव कल्याण के लिए विकास जरूर चाहिए मगर पश्चात्य संस्कृति नहीं !
-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-
थराली, 28 जून। ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 ने कहा कि विकास तो जरूरी है किंतु जो पाश्चात्य संस्कृति विकास के साथ आ रही है, उसे मंजूर नही किया जा सकता हैं।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य इन दिनों चमोली जिले में मंगलम यात्रा पर हैं। इसके तहत अपने चौदह दिन वे पिंडर घाटी पहुंचे यहां पहुंचने नारायणबगड़ कुलसारी,रायकोली, थराली नंदकेसरी में लोगों ने शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया। कुलसारी में एक क्लश यात्रा निकाली गई इसके बाद शंकराचार्य ने दक्षिण कालिका मंदिर में पूजा-अर्चना कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की।
इसके बाद वे रायकोली पहुंचे जहां पर श्री बदरी नारायण संस्कृति विद्यालय में उन्होंने एक धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विकास तो होना चाहिए परंतु पाश्चात्य संस्कृति के साथ विकास को मंजूर नही किया जा सकता हैं।इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य चमोली जिले को आध्यात्मिक रूप से विकसित करना है।
शंकराचार्य ने कहा कि सब लोग विश्व कल्याण का नारा तो लगाते हैं किन्तु इन नारों से विश्व कल्याण नही किया जा सकता हैं इसके लिए धरातल पर कार्य करना होगा।इसी सोच के साथ चमोली मंगल यात्रा का आयोजन किया जा रहा है, इस यात्रा को चमोली जिले में काफी बढ़ जनसमर्थन भी मिल रहा हैं। विश्व कल्याण का प्रयास अगर सफल होता है, तो इसके बाद चमोली जिले एक माडल बन जाएगा।
इस मौके पर शंकराचार्य के धर्माधिकारी जगदंबा प्रसाद सती, आशुतोष डिमरी, मुकुंदानंद ब्रह्मचारी महाराज ने धर्म सभाओं में विचार व्यक्त किया।जबकि कुलसारी खिलाप बिष्ट, गोविंद भंडारी, विनोद रावत रायकोली में उत्तराखंड की प्रथम कथावाचिका राधिका जोशी, विद्यालय के प्रबंधक नवीन जोशी, कुंवर सिंह मनराल, मनवीर फर्स्वाण आदि के नेतृत्व में क्षेत्र के लोगों ने शंकराचार्य एवं उनकी टीम का स्वागत किया गया।