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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय कल ‘सांकेतिक भाषा दिवस’ मनाएगा

नई दिल्ली स्थित भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी), जोकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के भीतर एक स्वायत्त निकाय है, कल डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली में ‘सांकेतिक भाषा दिवस’ मनाएगा।

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक एवं श्री ए. नारायणस्वामी विशिष्ट अतिथि होंगे। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती अंजलि भवरा, शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री संतोष सारंगी, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के संयुक्त सचिव एवं आईएसएलआरटीसी के निदेशक डॉ. प्रबोध सेठ और ऑल इंडियन फेडरेशन ऑफ डेफ के महासचिव श्री वी. गोपाला कृष्णन भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

जब से संयुक्त राष्ट्र ने 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया है, आईएसएलआरटीसी ने इस दिवस को हर साल मनाया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को भारतीय सांकेतिक भाषाओं और सुनने में अक्षम रहने वाले व्यक्तियों की सूचना और संचार तक पहुंच के महत्व के बारे में जागरूक करना है। सांकेतिक भाषा न केवल लोगों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह सुनने में रहने वाले अक्षम व्यक्तियों के लिए रोजगार के सृजन और व्यावसायिक प्रशिक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

इस कार्यक्रम के दौरान, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र ‘भारतीय सांकेतिक भाषा यात्रा’ के बारे में एक वृत्तचित्र प्रस्तुत करेगा और चौथी भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता 2021, जोकि सुनने में अक्षम रहने वाले छात्रों के लिए आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता है, के विजेताओं की घोषणा भी करेगा। केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले कुछ विजेताओं के साथ उनके अनुभव साझा करने के लिए सीधी बातचीत करने की भी संभावना है।

आईएसएलआरटीसी ने पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय सांकेतिक भाषा (डिजिटल प्रारूप) में रूपांतरण कराने के उद्देश्य से 6 अक्टूबर, 2020 को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे ताकि इन पाठ्यपुस्तकों को सुनने में अक्षम रहने वाले बच्चों के लिए सुलभ बनाया जा सके। पहली कक्षा से लेकर पांचवीं कक्षा तक की पाठ्यपुस्तकों के रूपांतरण की इस परियोजना का पहला चरण पूरा हो चुका है और इस कार्यक्रम के दौरान इन पाठ्यपुस्तकों की ई-सामग्री का शुभारंभ किया जाएगा।

उद्देश्य

  1. भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) का उपयोग करने के लिए जनशक्ति विकसित करना और द्विभाषिता सहित आईएसएल में शिक्षण और अनुसंधान का संचालन करना।
  2. प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा स्तरों पर बधिर छात्रों के लिए शैक्षिक मोड के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना।
  3. भारत और विदेशों में विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से अनुसंधान करने और भारतीय सांकेतिक भाषा के विश्लेषण / भाषाई रिकॉर्ड बनाने / बनाने के लिए, जिसमें भारतीय सांकेतिक भाषा कोष (शब्दावली) का निर्माण भी शामिल है।
  4. विभिन्न समूहों को उन्मुख करना और प्रशिक्षित करना, अर्थात सरकार। भारतीय सांकेतिक भाषा को समझने और उपयोग करने के लिए बड़े पैमाने पर अधिकारी, शिक्षक, पेशेवर, सामुदायिक नेता और जनता।
  5. भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए विकलांगता के क्षेत्र में बधिरों और अन्य संस्थानों के संगठनों के साथ सहयोग करना।
  6. दुनिया के अन्य हिस्सों में उपयोग की जाने वाली साइन लैंग्वेज से संबंधित जानकारी एकत्र करने के लिए ताकि भारतीय साइन लैंग्वेज को अपग्रेड करने के लिए इस इनपुट का उपयोग किया जा सके।

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