खेल/मनोरंजन

फिल्म स्नो फ्लावर’: दो देशों की संस्कृति, परिवार और पहचान की कहानी

At the 55th International Film Festival of India, Snow Flower made its mark as part of the Gala Premiere and the cast and crew of the film including the acclaimed director Gajendra Vitthal Ahire, Chhaya Kadam, Vaibhav Mangle and Sarfaraz Alam Safu addressed the media during a Press Conference yesterday in Goa.

 

भारत के 55वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में, स्नो फ्लावर ने भव्य प्रीमियर के दौरान अपनी छाप छोड़ी और फिल्म के कलाकार और तकनीकी और व्‍यावहारिक पहलुओं पर काम करने वाले सदस्य जिनमें प्रशंसित निर्देशक गजेंद्र विट्ठल अहिरे, छाया कदम, वैभव मांगले और सरफराज आलम सफू शामिल थे, इन लोगों ने कल गोवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया को संबोधित किया।

 

मराठी भाषा की यह फिल्म दो देशों के बीच की एक मार्मिक कहानी है जो दो अलग-अलग संस्कृतियों – रूस और कोंकण को ​​जोड़ती है। बर्फीले साइबेरिया और हरे-भरे कोंकण की विपरीत पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म भारत में रहने वाली दादी और रूस में रहने वाली पोती के बीच की ‘दूरी’ को दर्शाती है।

निर्देशक गजेंद्र विट्ठल अहिरे ने स्नो फ्लावर के पीछे की रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी साझा की। अहिरे ने इन खराब परिस्थितियों में फिल्मांकन की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। साइबेरिया के खांटी-मानसिस्क में तापमान -14 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाने के कारण, छोटे दल को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद, दल के समर्पण और मजबूत टीमवर्क ने उन्हें एक ऐसी फिल्म बनाने की अनुमति दी जो कहानी की भावनात्मक गहराई को पकड़ती है।

अहीरे ने कहा, “जब हम रूस पहुंचे, तो तापमान माइनस 14 डिग्री था।” “उन्होंने हमारा ख्याल रखा- हमें जूते, कपड़े, जैकेट, यहाँ तक कि साबुन और शैम्पू भी मुहैया कराया। उनके सहयोग से, हम अच्छी तरह से काम करने और कहानी के साथ न्याय करने में सक्षम हुए।” उन्होंने यह भी कहा कि भाषा की बाधा के बावजूद- क्रू में से कोई भी अंग्रेजी नहीं बोलता था, और रूसी क्रू को हिंदी नहीं आती थी- टीम फिल्म निर्माण की सार्वभौमिक भाषा और आपसी सम्मान पर भरोसा करते हुए प्रभावी ढंग से संवाद करने में कामयाब रही। “अपनी संस्कृति का पालन करते हुए हम पहले शॉट से पहले हर सुबह गणपति आरती करते हैं। रूस से आए क्रू ने पहले दो दिन तक इसका पालन किया और आपको यकीन नहीं होगा कि उन्होंने तीसरे दिन से ही आरती करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि हमें समझ में नहीं आता लेकिन ऐसा करना अच्छा लगता है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

वैभव मंगले ने बताया कि रूस को स्थान के रूप में जानबूझकर चुना गया था, न केवल इसकी आकर्षक भौगोलिक स्थिति बल्कि कोंकण के साथ इसके सांस्कृतिक विरोधाभास के कारण। साइबेरिया के बर्फ से ढके परिदृश्य कहानी में भावनात्मक और भौगोलिक विभाजन के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं, जो हरे-भरे, उष्णकटिबंधीय कोंकण क्षेत्र की विपरीत विषय वस्‍तु को दर्शाता है।

फिल्म की एक प्रमुख अभिनेत्री छाया कदम ने दोनों देशों के बीच के अंतर को चित्रित करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया, “मैं गजेंद्र की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं और उनके साथ काम करके मुझे रूस और भारत के बीच के सांस्कृतिक अंतर को चित्रित करने का अवसर मिला।”

फिल्म के मुख्य अभिनेता सरफराज आलम सफू ने सेट पर अनुभव की गई सहयोगी भावना पर और जोर दिया। मॉस्को में रहने वाले सफू ने कम से कम उपकरणों और बुनियादी ढांचे के साथ काम करने की छोटी सी टीम की क्षमता की प्रशंसा की। “सीमित संसाधनों के साथ भी, हम शूटिंग को सफलतापूर्वक पूरा करने में सफल रहे। निर्देशक गजेंद्र ने मुझे खुद को अभिव्यक्त करने का मौका दिया और मैंने कलाकारों और क्रू से बहुत कुछ सीखा,” सफू ने कहा। उन्होंने दर्शकों पर फिल्म के भावनात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, कई रूसी दर्शक, जो आईएफएफआई प्रतिनिधियों के रूप में यहां आए थे, स्क्रीनिंग के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ रहे हैं।” सफू ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म रूसी और भारतीय फिल्म निर्माताओं के बीच और अधिक सहयोग को प्रेरित करेगी।”

कोंकण के शानदार समुद्र तट से लेकर साइबेरिया के बर्फ से ढके ठंडे परिदृश्यों तक, फिल्म में एक ऐसा विरोधाभासी दृश्य प्रस्तुत किया गया है जो पात्रों की भावनात्मक उथल-पुथल को दर्शाता है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फिल्म निर्माताओं ने मीडिया और दर्शकों से क्षेत्रीय सिनेमा का सहयोग करने का आग्रह किया। अहीरे ने कहा, “यह एक क्षेत्रीय फिल्म है जिसे हर भारतीय को देखना चाहिए।” “यह सिर्फ़ दो संस्कृतियों के बीच फंसी एक लड़की की कहानी नहीं है, यह परिवार, प्यार और अपनेपन के सार्वभौमिक विषयों के बारे में है।”

सुश्री निकिता जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का संचालन किया।

आप प्रेस कॉन्फ्रेंस यहां देख सकते हैं:

फिल्म के बारे में

‘स्नो फ्लावर’ पूरे भारत के सिनेमाघरों में नवम्बर 2024 में रिलीज होगी।

स्नो फ्लावर की कहानी एक युवा लड़की परी की भावनात्मक यात्रा पर आधारित है, जो खुद को दो अलग-अलग दुनियाओं के बीच फंसी हुई पाती है। कहानी दो देशों में सामने आती है: भारत के कोंकण में, सपने देखने वाले एक युवा बबल्या, की रूस जाकर दशावतार थिएटर समूह में शामिल होने की प्रबल इच्‍छा होती है, जिसके कारण उसके अपने माता-पिता, दिग्या और नंदा के साथ  रिश्ते खराब हो जाते हैं। रूस में, बबल्या जीवन बनाता है, शादी करता है, और उसकी एक बेटी, परी होती है। हालाँकि, उस वक्‍त त्रासदी हो जाती है जब पब में झगड़े के दौरान बबल्या की मौत हो जाती है, और उसके माता-पिता अनाथ परी को वापस कोंकण लाने के लिए रूस जाते हैं। उनके प्यार और उसे पालने के प्रयासों के बावजूद, उन्हें जल्द ही अहसास होता है कि लड़की की असली जगह रूस में है, जहाँ उसे पूर्णता और खुशी मिल सकती है। एक पीड़ादायक फैसला लेकर, लड़की और उसकी मातृभूमि के बीच गहरे संबंध को स्वीकार करते हुए नंदा परी को रूस वापस भेज देती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!