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जूते बनाने वाले का बेटा अब्राह्म लिंकन, जो अमेरिका का पहला अश्वेत राष्ट्रपति बना

–अनंत आकाश
आज अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन की पुण्यतिथि है ,आज ही के दिन 15 अप्रैल 1865 को उनकी हत्या हुई थी । 12 फरवरी 1809 में गरीब परिवार में जन्में लिंकन ने वो सब कष्ट एवं उत्पीड़न सहे, जो गरीब एवं दलित परिवार के लोग सदियों से सहते चले आ रहे हैं ।


लिंकन अपने दौर में दुनियाभर में इन्हीं लोगों का सही मायनों में प्रतिनिधित्व करते थे , जिन्होंने अपने समय में इन विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करते हुऐ देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच कर अपने देश एवं उत्पीड़ित समाज की सेवा की और उनके मन में आगे बढ़ने का विश्वास जागृत किया ।उनके जीवन से विश्वभर के राजनेताओं एवं समाज की बेहतरी के लिऐ काम करने वालों ने प्रेणा ली तथा अपने को आगे बढ़ाया । जब दुनिया के किसी कोने में अच्छा होता तो उसका प्रभाव एवं लाभ मानव समाज को होता है ।
इब्राहिम लिंकन के जीवन से दुनिया ने बहुत कुछ सीखा ।अब्राहम लिंकन के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची!

एक बार की बात है ,सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा,
मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे! इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी! लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे! उन्होंने कहा कि, मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है! अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूँ! मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है!

सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है और उसी भाषण से एक थ्योरी निकली Dignity of Labour (श्रम का महत्व) और इसका ये असर हुआ कि जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया जैसे कि – कोब्लर, शूमेंकर, बुचर, टेलर, स्मिथ, कारपेंटर, पॉटर आदि।अमेरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है इसीलिए वो दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति है।

किन्तु वहीं हमारे देश भारत में जो श्रम करता है उसका कोई सम्मान नहीं है वो छोटी जाति का है नीच है। यहाँ जो बिलकुल भी श्रम नहीं करता वो ऊंचा है।जो यहाँ सफाई करता है, उसे हेय (नीच) समझते हैं और जो गंदगी करता है उसे ऊँचा समझते हैं।ऐसी ऊंच नीच एवं साम्प्रदायिक मानसिकता के साथ हम दुनिया के नम्बर एक देश बनने का सपना सिर्फ देख तो सकते है, लेकिन उसे पूरा कभी नहीं कर सकते। जब तक कि हम श्रम.और.विभिन्न सम्प्रदायों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखेंगे।जातिवाद और ऊँच नीच साम्प्रदायिकता के आधार पर भेदभाव किसी भी राष्ट्र निर्माण के लिए बहुत बड़ी बाधा है।इसलिए महान युग प्रर्वतक लिंकन का जीवन की समाज प्रगति के लिये एक प्रेणा का श्रोत है ,उनकी स्मृति दिवस पर उन्हें शत् शत् नमन :- अनन्त आकाश_

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