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स्टेल्थ गाइडेड प्रेक्षपास्त्र विध्वंसक मोर्मूगाओ 18 दिसंबर को शामिल होगा नौसेना में

विशेषताएं :

  • पोत पलक झपकते 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है
  • राडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता।
  • पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7400 टन
  • पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है

-उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –

  पी15बी स्टेल्थ गाइडेड प्रेक्षपास्त्र विध्वंसक मोर्मूगाओ को रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया जायेगा। यह कार्यक्रम 18 दिसंबर, 2022 को मुम्बई के नौसेना डॉकयार्ड में होगा। कार्यक्रम के दौरान चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से दूसरे विध्वंसक को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जायेगा। इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है तथा निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुम्बई ने किया है।

इस शानदार पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7400 टन है। इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है, जो सीओजीएजी पैमाने के हैं। पोत पलक झपकते 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है। राडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता।

मोर्मूगाओ ‘उत्कृष्ट’ हथियारों और दूरसंवेदी उपकरणों से लैस है, जैसे जमीन से जमीन पर तथा जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल। पोत में आधुनिक निगरानी राडार लगा है, जो पोत की तोप संचालन प्रणाली से जुड़ा है तथा लक्ष्य के बारे में सीधे तोप प्रणाली को सूचित कर देता है। पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है तथा पोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है।

इस पोत की अनोखी विशेषता यह है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किया गया है। अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तारपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली शामिल है। प्रमुख ओईएम के साथ बीईएल, एल-एंड-टी, गोदरेज, मैरीन इलेक्ट्रिकल ब्रह्मोस, टेक्नीको, काइनको, जीत-एंड-जीत, सुषमा मैरीन, टेक्नो प्रॉसेस आदि जैसे छोटे एमएसएमई ने भी इस विशाल मोर्मूगाओ को बनाने में अपना योगदान दिया है।

आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्डों में किया जा रहा है तथा इस तरह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, 55 पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिये आदेश जारी किये जा चुके हैं। इनका निर्माण भारतीय शिपयार्डों में किया जायेगा।

पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक गोदी शहर गोआ के नाम पर मोर्मूगाओ नाम रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोआ की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुये थे। गोआ मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या, यानी 18 दिसंबर, 2022 को पोत को नौसेना में शामिल किये जाने से भारतीय नौसेना की गतिशीलता, पहुंच और कामकाज में बढ़ोतरी होगी तथा वह हिंद महासागर व उसके आगे के समुद्री क्षेत्र में अपना दायित्व और भूमिका निभाने में सक्षम होगी।

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