Front Page

पूर्व बीमारी से बीमा क्लेम का सम्बन्ध न होने पर क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता

*परिवादी को 2.19 लाख भुगतान करने का बीमा कम्पनी को आदेश
* हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के आधार पर स्टेटिंग का क्लेम निरस्त करने को सेवा में कमी मानने के उपभोक्ता फोरम के आदेश को सही माना

देहरादून, 28 जुलाई (उहि)। उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने पूर्व बीमारी से बीमा क्लेम की बीमारी का सम्बन्ध न होने पर बीमा क्लेम निरस्त करने को सही नहीं माना तथा बीमा कम्पनी की अपील निरस्त कर दी। जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग उधमसिंह नगर ने पूर्व बीामारी की संभावना के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करने को सेवा में कमी मानते हुये बीमा कम्पनी को उपभोक्ता को 2 लाख 19 हजार 619 रूपये के भुगतान का आदेश दिया है। इसमें 5 हजार वाद व्यय तथा 10 हजार मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति भी शामिल है। इसके अतिरिक्त बीमा कम्पनी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से वाद दायर करने से भुगतान की तिथि तक का ब्याज भी भुगतान करने को आदेशित किया गया था राज्य आयोग ने इस निर्णय व आदेश को बिल्कुल सही मानते हुये उसकी पुष्टि कर दी।

Activist and advocate Nadim Uddin

काशीपुर के विनोद कुमार भल्ला की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि परिवादी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 के काशीपुर कार्यालय से एक मेडी क्लेम पालिसी रू. 11287 का प्रीमियम भुगतान करके करायी। इसके अन्तर्गत परिवादी की बीमित राशि ढाई लाख तथा उसकी पत्नि व पुत्र की डेढ़-डेढ़ लाख रूपये थी। परिवादी को बीमा अवधि में ह्रदय रोग होने पर उसने काशीपुर व बरेली के अस्पतालों में इलाज कराया जिस पर 2,19,619 का खर्च हुआ जिसके भुगतान के लिये बीमा कम्पनी को क्लेम प्रस्तुत किया। समय सीमा के बाद मण्डलीय प्रबंधक ने अपने पत्र दिनांक 12-10-2012 से पालिसी की क्लॉज 4.1 के अन्तर्गत पालिसी के प्रारम्भ में पूर्व बीमारी तथा क्लॉज 4.3 के अन्तर्गत हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के इलाज का क्लेम नहीं दिया जा सकता सूचित किया। जबकि परिवादी को न ही कोई पूर्व बीमारी थी और न ही हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी का कोई क्लेम किया गया है। परिवादी ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से नोटिस भिजवाया जिस पर भी कोई कार्यवाही न करने पर परिवाद दायर किया गया।
बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि परिवादी की बीमारी का जब इतिहास जाना गया तब ज्ञात हुआ कि परिवादी को पूर्व से डायबिटीज तथा ह्रदय रोग था। हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज की बीमारी का इलाज खर्च पालिसी की शर्तों के आधार पर नहीं मिल सकता है। इसलिये बीमा क्लेम को सही खारिज किया गया है।
जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष आर0डी0पालीवाल तथा सदस्या नरेश कुमारी छाबड़ा तथा सदस्य सबाहत हुसैन खान ने परिवादीं के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में लिखा कि बीमा कम्पनी ने चिकित्सक का यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है कि परिवादी की पूर्व बीमारी के कारण ही स्टेन्टिंग की गयी। परिवादी ने हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज के इलाज का कोई क्लेम नहीं मांगा है उसने केवल अपने ह्रदय रोग की स्टेन्टिंग में जो खर्च आया उसके लिये क्लेम प्रस्तुत किया है। इस प्रकार बीमा कम्पनी द्वारा केवल सम्भावना के आधार पर परिवादी के क्लेम को खारिज करके सेवा में कमी की गयी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!