रुद्रप्रयाग, 26 जून। केदारनाथ के गर्भ गृह में सोने और पीतल विवाद मंदिर समिति के स्पष्टीकरण के बावजूद थमने के बजाय भड़कता जा रहा है। इस विववाद न केवल विपक्ष बल्कि केदार सभा के लोग भी मुखर होते जा रहे हैं. हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा गठित तथ्यान्वेषी दल ने मंदिर समिति के दावे पर सवाल उठाते हुए इस मामले की स्वतंत्र और उच्च स्तरीय तकनिकी जाँच की मांग की है।
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा गठित तथ्यान्वेषी दल जिसमे पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज रावत, जिला पंयायत सदस्यगण कुलदीप कण्डारी, गणेश तिवारी व विनोद राणा, पूर्व प्रमुख कर्णप्रयाग कमल सिंह रावत, वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित केदारनाथ पुरुषोत्तम तिवारी और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत शामिल थे, ने मीडिया के समक्ष एक साझा बयान जारी कर गर्भ गरीग में लगी सोने की चादरों की असलियत पर संदेह प्रकट करते हुए उच्च स्तरीय जाँच की मांग की है ।
तथ्यान्वेषी दल ने साझा बयान में कहा है कि केदारनाथ में हम सभी सदस्य व्यक्तिगत रुप से और सामुहिक रुप से कई पीढ़ियों से केदारनाथ जी की व्यवस्था से जुड़े महानुभावों और उनके संगठनों से मिले। रुद्रप्रयाग जिले के विभिन्न धार्मिक व सामजिक संगठनों से भी हमने विभिन्न माध्यमों से वार्ता कर उनका मत जाना। सभी लोग इस घटनाक्रम से चिंतित है तथा गहराई से स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच कर सत्यता को सामने लाने के पक्षधर है। केदार सभा के पदाधिकारीगणों ने बताया कि अक्टूबर के माह में जब गर्भ गृह को कथित रुप से स्वर्ण मंण्डित करने की बात सामने आयी तो उन्होंने विरोध किया था। परंतु तब मंदिर समिति द्वारा स्वर्ण मण्डित किये जाने के बाद भी गर्भ गृह में पहले की तरह पूजा- अर्चना हेतु प्रवेश पर रोक न लगाने के आश्वासन के बाद उन्होंने विरोध नहीं किया।
साझा बयान के अनुसार केदारसभा के पदाधिकारियों ने तथा विशिष्ठ व्यक्तियों ने बताया कि , पिछले साल कपाट बंद होने से पूर्व अक्टूबर माह के तीसरे सप्ताह पहले केदारनाथ के गर्भ गृह में पूर्व में लगी चांदी की प्लेटों को हटाया गया फिर उनकी जगह तांबे की प्लेटें लगायी गयी थी। ताबें की वे प्लेटें स्वरुप में बिल्कुल अब लगी कथित रुप से स्वर्ण मण्डित प्लेटों की तरह थी। उनके पूछने पर मंदिर के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि, तांबे की ये प्लेटें नीचे जायेंगी और इसी डिजाइन की सोने की प्लेटें आयेंगी । तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि, चांदी की प्लेंटों को उतारने, तांबे की प्लेटों को लगाने और उतारने का काम उन्हें कही नीचे अज्ञात स्थान पर भेजने और फिर नीचे से कथित रुप से स्वर्ण प्लेटों का आने और लगाने का सारा कार्य लगभग 10 दिन की अवधि में ही पूरा किया गया। यह समय कपाट बंद होने से ठीक पहले का था लोग केदारनाथ से नीचे आने की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी केदारनाथ धाम आये इसलिए कोई भी न तो इस प्रक्रिया की गहराई में गया और प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के कारण यह संभव भी नहीं था।
सभी प्रतिनिधियों ने बताया कि, तब प्रसारित समाचारों में और मंदिर के पदाधिकारियों द्वारा सोसल मीडिया ( जिनमें से अधिकांश अब डिलिट कर दी गई हैं पर उनके स्क्रीन शॉट भी हमे तीर्थ पुरोहितों ने दिखाये ) द्वारा यह माहौल बनाने की कोशिस की गई कि, केदारनाथ के मंदिर के गर्भ गृह में लगायी गई लगभग 550 प्लेटें स्वर्ण की हैं। अलग-अलग समाचार माध्यमों में इनका भार 230 किलो बताया या लिखा गया। इन सभी खबरों के लिंक , फोटो कापी और स्क्रीनशॉट को केदारसभा के पदाधिकारियों और प्रबुद्धजनों ने हमें भी दिखाया इनमें से अधिकांश अभी भी उन माध्यमों में उपलब्ध हैं। सभी का मानना था कि, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति बहुत ही प्रतिष्ठित समिति है और उसके पदाधिकारीगण जिम्मेदार लोग हैं। समिति के अध्यक्ष सहित कुछ सदस्य पूर्व में पत्रकार रहे हैं और कुछ अभी भी पत्रकारिता करते हैं। उन्हें अक्टूबर के अंत में जब देश और दुनिया में सभी भाषाओं के सैकड़ों समाचार पत्रों, टी0वी0 चैनलों और सोसल मीडिया में 555 स्वर्ण प्लेटों के लगाये जाने की खबरें प्रसारित होने पर और कई सौ किलो सोने के प्रयोग के समाचार छप रहे थे तब कथित रुप से इस मिथ्या प्रचार का खण्डन करना चाहिए था। अब कथित रुप से लगाए गये सोने का रंग उतरने की बात सार्वजनिक होने के बाद मंदिर समिति का पहला प्रेस नोट सामने आया है जिसमें उसने 23 किलो सोने के लगाए जाने की बात स्वीकारी गई है।
केदार सभा के पदाधिकारियों ने बताया कि, अक्टूबर में कथित रुप से स्वर्ण मण्डित किये जाने के बाद दूसरे दिन ही कपाट शीत काल के लिए बंद हो गये थे ओैर इस साल 25 अप्रैल को कपाट खुलने के बाद से हाल के दिनों तक गर्भ- गृह को सार्वजनिक दर्शनों हेतु नहीं खोला गया था इसलिए कथित रुप से लगाये गए सोने की गुणवत्ता पर किसी का ध्यान नहीं गया।
लेकिन हाल ही में जब मंदिर का गर्भ-गृह सबके लिए खोला गया तो देखा कि, गर्भ- गृह में लगाया गया सोना विभिन्न स्थानों पर अपनी रंगत खो कर अलग- अलग धातुओं के स्वरुप में दिख रहा है। हमने भी स्वयं अपनी आंखों से देखा कि केदार ज्योर्तिलिंग के साथ लगी झलेरी में वह चांदी के रंग में बदल रहा है। झलेरी के बाहर लगी प्लेटें जिनके ऊंपर अब प्लास्टिक की शीट लगा दी गई है वह जिन स्थानों पर कम घिसी है वहां पीतल के रंग की और जिन स्थानों पर अधिक घिस गई है उन स्थानों पर तांबे के रंग की हो गई हैं। दीवारों पर भी खुरचने पर कथित रुप से लगी सोने की प्लेटों से सोना खुरच कर झड़ रहा है कई स्थानों पर वह झड़ चुका है। कथित रुप से लगी सोने की प्लेटों को जोड़ने का काम बहुत ही निम्न स्तरीय है और डिजाइन में कहीं भी मेल नहीं खा रहा है ।
साझा बयान के अनुसार केदारसभा का मत था कि, सोने की मात्रा का संदेह मंदिर समिति के कार्यकलापों से ही उठा है यदि मंदिर समिति लगाते समय ही लगायी जाने वाली धातु और उसे लगाये जाने की पद्धति को सार्वजनिक रुप से बता देती तो आम-जनों में कोई शंका नहीं रहती । क्योंकि अब तक दुनिया भर के सनातनधर्मावलंबियों के पास विभिन्न समाचार माध्यमों द्वारा 555 स्वर्ण प्लेटों और 230 किलो सोने से गर्भ-गृह को स्वर्ण मंण्डित किये जाने का समाचार पंहुच चुका था और केदारनाथ धाम के स्थानीय लोगों और तीर्थ पुरोहितो को भी तांबें की प्लेटों का नाप ले जाकर उनके स्थान पर सोने की प्लेटों को लाकर लगाने की बात कही गई थी । इसलिए यह एक सुस्थापित सत्य और तथ्य का रुप ले चुका था कि श्री केदारनाथ के गर्भ गृह में 230 किलो सोने की 550 प्लेटें लगी हैं । केदार सभा के पदाधिकारियों का कहना था कि , श्री केदारनाथ जी उनके सब कुछ है उनके अराध्य देव है उनके ईष्ट हैं , इसलिए वहां हो रही किसी भी घटना की सत्यता जानना और उसे सार्वजनिक करना उनका पहला कर्तव्य है । इसलिए सोने की मात्रा और उसकी गुणवत्ता जो देखने में संदेहास्पद लगती है तथा प्लेटों पर सोने की पॉलिश करने की घटना से वे बहुत ही आक्रोशित थे और केदार सभा के उपाध्यक्ष का बयान जारी करना उसी आक्रोश का प्रतीक था सभी तीर्थ पुरोहितों ने श्री संतोष त्रिवेदी के बयान का समर्थन किया।
साझा बयान के अनुसार केदार घाटी के विभिन्न संगठन और प्रबुद्धजनों का मानना था कि, अभी भी इस घटना के संबध में दो प्रेस नोट श्री बदरीनाथ – केदारनाथ समिति ने जारी किए है । समिति के अध्यक्ष जी के प्रेस में दिए गए बयान भी सामने आए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि, केदार सभा में सभी दलों के लोग पदाधिकारी हैं इसलिए अध्यक्ष जी द्वारा इस विरोध को किसी दल विषेश का विरोध कहना उनकी हताषा को दिखाता है। सभी का मानना था कि, अध्यक्ष जी के स्थान पर पूरी समिति सामने आकर कथित रुप से स्वर्ण मण्डित करने के प्रस्ताव से लेकर उस पर मंदिर समिति का निर्णय , सोने की मात्रा , उसकी सत्यता, शुद्धता , उसे मंण्डित करने का तरीके तथा इस कार्य को विभिन्न स्तर पर किन- किन अधिकारियों व कर्मचारियों की निगरानी में किया गया इन विभिन्न तथ्यों को समिति के अभिलेखों के साथ सार्वजनिक करना चाहिए ।
साझा बयान के अनुसार सभी का मानना था कि , इस मामले में कोई भी जांच भी संदेह से परे होनी चाहिए इसलिए माननीय मंत्री श्री सतपाल महाराज के द्वारा गठित जांच समिति से स्थान पर राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच होनी चाहिए। जिसमें उच्च न्यायालय के सिंटिग जज की निगरानी में बनी उच्च स्तरीय समिति जिसमें देश में धातुओं पर काम कर रहे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित मान्यता प्राप्त संस्थान(जैसे एम0एम0टी0सी) के वैज्ञानिक विषेशज्ञों के साथ देश में सोने का काम कर रहे प्रतिष्ठित व्यवसायिक संस्थानों के सदस्यों , स्थानीय हक-हकूकधारियों की सदस्यता वाली समिति द्वारा जांच का भी विकल्प सुझाया गया। सभी का मानना था कि इस मामले में दूध का दूध – पानी का पानी करने वाली जांच होनी चाहिए।
साझा बयान के अनुसार केदारपुरी के सभी लोग झलेरी के बाहर प्लास्टिक की शीट लगाने से बहुत आक्रोषित थे। उनका कहना था कि, अपनी कमी को छुपाने के लिए यह शीट लगाई गई है। सभी तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि, केदारनाथ में ज्योर्तिलिंग पर घी लगाने का महातम्य है इसलिए सभी स्थानों पर घी लगा होता है। प्लास्टिक पर घी गिरने से कभी भी किसी के फिसल कर गिरने की बड़ी संभावना है। सांध्य आरती भी पुजारी जी द्वारा भाव-विभोर हो कर की जाती है । पुजारी जी ने भी अपने गिरने की संभावना व्यक्त कर प्लास्टिक की षीट को हटाने का सुझाव दिया है। इसके अलावा गर्भ गृह में आक्सीजन की भी बहुत कमी हो रही है जिसके कारण धार्मिक दृष्टि से बहुत ही अप्रिय घटनाओं को देखा गया है।