भारतीय राज्यों की मणि जिसे बारबाद कर दिया जातीय हिंसा ने: जानिये मणिपुर के बारे में
A MANI is a gem or precious stone (GEM). The state of Manipur is also a gem in the garland of the cultural, religious, and geographical diversity of India. Its capital is Imphal. Geographically, this state is divided into two parts. There are five districts in its mountainous part and four in the plains. Manipur is surrounded by Myanmar in the east, Nagaland in the north, Assam and Mizoram in the west, and Myanmar and Mizoram in the south.–Jay Singh Rawat
–जयसिंह रावत
मणि एक रत्न या बहुमूल्य पत्थर (GEM ) होता है। मणिपुर राज्य भी भारत की संास्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक विविधता की माला की एक मणि ही है। इसकी राजधानी इंफाल है। भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य दो भागों में बंटा हुआ है। इसके पर्वतीय भाग में पांच तथा मैदानी भाग में चार जिले हैं। मणिपुर पूर्व में म्यांमार, उत्तर में नगालैंड पश्चिम में असम और मिजोरम तथा दक्षिण में म्यांमार और मिजोरम से घिरा हुआ है। राज्य चारों तरफ से घिरी पहाड़ियों के बीच घाटी में है। इसका क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी (8,628 वर्ग मील) है। यहां के मूल निवासी मेइती जनजाति के लोग हैं, जो यहां के घाटी क्षेत्र में रहते हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है, जिसे मणिपुरी भाषा भी कहते हैं। यह भाषा 1992 में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई।
यहां के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई0 में पखंगबा के राज्याभिषेक के साथ शुरू होता है। उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया। मणिपुर की स्वतंत्रता और संप्रभुता 19 वीं सदी के आरंभ तक बनी रही। उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी लोगों ने यहां पर कब्जा करके शासन किया। 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में शेष देश के साथ स्वतंत्र हुआ। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ”सी” के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1962 में केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई। 19 दिसंबर, 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ा कर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। इसमें 19 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। राज्य में लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक प्रतिनिधि है।
जनसांख्यकी एवं लोग
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार मणिपुर की आबादी 27,21,756 है। इसमें पुरुषों की संख्या 13, 69,764 तथा स्त्रियों की संख्या 13,51,992 है। सन् 2001 से लेकर 2011 तक दशकीय वृद्धि दर 18.65 प्रतिशत तथा लिंगानुपात 987 है। राज्य का जनसंख्या घनत्व 119 हैं। सन् 2001 की गणना में जनसंख्या घनत्व 103 तथा दशकीय वृद्धि दर 24.86 प्रतिशत थी। पिछली गणना में लिंगानुपात 974 था। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में साक्षरता दर 79.85 है। इसमें पुरुषों की दर 86.49 प्र.श. तथा महिलाओं की साक्षरता दर 73.17 है। सन् 1961 में राज्य की साक्षरता दर 36.04 थी। जिसमें महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 18.87 थी।
यहां तीन प्रमुख जनजातियां निवास करती हैं। घाटी में मीतई या मेतई जाति रहती है तो नागा और कूकी-चिन जनजातियां पहाड़ियों पर रहती हैं। प्रत्येक जनजाति वर्ग की खास संस्कृति और रीति रिवाज हैं जो इनके नृत्य, संगीत एवं पारंपरिक प्रथाओं से दृष्टिगोचर होता है। मणिपुर में मेतयी समूह के लोग बहुसंख्यक हैं। यहां सदियों तक मीतई वंश का शासन रहा यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में आदिवासी समूह के तंगखुल नगा रहते हैं। यहां कबुई और माओ नगा जनजातियां भी हैं। जिस तरह मैदानी क्षेत्रों से बाहरी लोगों के आगमन की ही तरह पर्वतीय क्षेत्रों में भी एक के बाद दूसरी मंगोलियाई जनजाति के लोग आते रहे। मैतेयी यहां की विकसित संस्कृति के लोग हैं। इस संस्कृति की तीन धाराएं हैंः- ब्राह्मण, गैर ब्राह्मण और मुसलमान। हालांकि इनके अलावा मणिपुर में आइमोल, अनल, अंगामी, चिरू, भेरिंग, पाइटे, थडाऊ, जाउ आदि जातीय समूहों के लोगों की आबादी विभिन्न क्षेत्रों में है। अंग्रजों द्वारा ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार के कारण इस राज्य की अधिकांश जनजातीय आबादी ईसाई धर्म अपना चुकी है।
यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में नागा तथा कूकी जनजाति की लगभग 60 उपजातियाँ निवास करती हैं तथा यहां कई बोलियां बोली जाती हैं। यहाँ के लोग संगीत तथा कला में बड़े प्रवीण होते हैं। मणिपुर के लोग कलाकार होते हैं, साथ ही सृजनशील भी होते हैं, जो उनके द्वारा तैयार खादी और दस्तकारी के उत्पादों में झलकती है। ये उत्पाद दुनियाभर में अपनी डिजाइन, कौशल एवं उपयोगिता के लिए जाने जाते हैं। यहां नेपाल से आकर बसे नेपालियों की भी काफी संख्या है, जो मणिपुर के कई इलाकों में बसे हैं।
त्योहार
सांस्कृतिक रूप से मणिपुर काफी समृद्ध प्रदेश है। त्योहार मणिपुर निवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक आकांक्षाओं के प्रतीक हैं। शायद ही कोई महीना हो जब मणिपुर में कोई त्योहार न मनाया जाता हो। राज्य में इमोइनु, योशांग (होली), कृलाई हारोबा, रास लीला, चिराओबा, निंगोल चाक-कुबाए रथ यात्रा, ईद-उल-फितर, गाना-नागी, लई-नगाई-नी, ईद-उल-जुहा, दुर्गा पूजा, मेरा होचोंगबा, दीवाली, कुट तथा क्रिसमस आदि प्रमुख त्योहार मनाये जाते हैं।
(नोट -इस आलेख के अंश जयसिंह रावत की पुस्तक ‘‘ हिमालयी राज्य संदर्भ कोश’’ से लेखक की अनुमति से साभार लिये गये हैं। इनका अनधिकृत उपयोग कापी राइट का उल्लंघन होगा)